Kafla yu hi Chlta Raha - 5 in Hindi Motivational Stories by Neeraj Sharma books and stories PDF | काफला यूँ ही चलता रहा - 5

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काफला यूँ ही चलता रहा - 5

काफला यू ही चलता रहा -------(5)
जिंदगी मे कभी री टेक नहीं आता... सिर्फ फिल्मो मे ही आता है!!
एक बात जनता ज़ब समझ गयी... जो देश की गरीब जनता का पैसा किधर जाता है  ---- कमबखतो पूछ ही लो, लीडरो से,इनके घरो मे, बैंक भरे रहते है... इनके लिए कोई क़ानून नहीं, कयो ये हमदर्द है ये क़ानून के।
बादशाह आज  अख़बार पढ़ रहा था, होगा कोई समय 10 सुबह के। ललन भागा हुआ आया था..... " बादशाह ---वो चमेली आज रगली हवेली के पीछे तुझे बुला रही है " 
" अबे कौन चमेली -----" ललन थोड़ा झुका कान मे ---" बसी राजा की बहन जो कल -------"
बादशाह "ये बात है... चल फिर उसे प्यार का जलवा दिखाए।" 
"नहीं ---- दादा बादशाह --- बसी की बहन " 
जैसे फिर अतीत टूट गया हो... आज भी वो रहते है वही बदरगाह के पास ही।
"पता नहीं --- कयो तोड़ दिया उसने अतीत की स्टोरी को "
चितामनी चुप था... " अबे गोचु है, तू ललन ही है, हरकते वही है... " 
दादा हस पड़ा। फिर दोनों हस पड़े। चेहरे उम्र के मुताबिक ढलक गए, पर काम तो वही रहेंगे। काम ने दोनों के नाम बदल गए। 
"तीन साल जेल मे काटे... वो बेकार थोड़ी जाने देंगे। " दादा ने हसते हुए कहा। " चलो छोड़ो अतीत--" चितामनी ने कहा।
"कयो फटती है ---- शेर बूढ़ा हो जाये पर दहाड़ वही रहती है "
"--ललन तो बादशाह की जोड़ी जमी रहेगी " चितामनी उर्फ़ ललन ने एडनटी कार्ड दिखा कर कहा.... " चिंतामनी हूँ साहब " दोनों हस पड़े।
                            --------***--------
                        शाम भी काली शा हो चुकी थी। अंधेरा हो रहा था। ये कार हाउस बॉड की थी। जिसमे कालिया को लाया जाना था... कालिया बता दू... अफसर  जिसकी गाड़ी थी उनका बहनोयी था। कालिया 
बता दू जिसका बचपन बिन बाप के लडन मे गुजरा, यहां लोग रहते है पथर के... जिसका भविष्य सिर्फ डालर ही है... जज्बात नहीं मिलते, खरीदी नहीं जाती ये अहसास की खेल.... कालिया युवा था। ये बसी राजा का एकलौता था... वो तो रहा नहीं था... उसके चाचे ने उसको बड़ा किया बाहर आपने पास रखा... कुछ कहानी यू हुई थी।
जो अशोक दा का बड़ा बेटा ड्राइवर उसको लेने गया था...
वो इंतज़ार कर रहा था... तभी कालिया ---: समान उठा कर बेड मैन ऊपर छत पर बांध... विचारे ने ऐसा ही किया।
" यू स्टुपिड मैन को किस ने रखा है,  किधर धयान रहता है इस कपटी मैन का " कालिया ने थोड़ा जयादा ही कर दिया था... बड़े की शक्ल बाप पे गयी थी... पता नहीं कया उल्टा कनेक्शन था, हर बात पर धमाका होने का डर था।
पर फिर भी उसने सुनसान जगह पे गाड़ी रोक दी...
" तू हरामजादे नीचे उतर... तुझे बताता हूँ हिदुस्तान की रोटी मे कितना दम है। " 
कया हुआ पूछ बॉय.... यू आर गुड मैन...आयी अप्रैसेटिंग करुँगा... अक्ल को। " 
फिर वो कार मे शिगार पीने लगा। बम्बे पहुंच कर उसने युगल मुंशी से बात की इंग्लिच मे। 
उसको ड्राइवर का काम भी और उसका बाड़ी गार्ड बना दिया था। तनखाह डबल हो गयी। महीने की तीस हजार..
साल चल रहा था 1999 का....
" नाम तो बता दो ज़ेटल मैन... " 
" नाम विजय " उसने बिना आँख झपकी के कहा।
"यू आरे स्नेक मैन " दोनों ही मुस्करा पड़े।
सिर्फ नहीं पता चला तो अलग बात थी।
सुबह के 7 वज चुके थे.... चिडियो की चर्चाहट ख़ुशी पैदा कर रही थी।
(चलदा)---------------------------------- नीरज शर्मा