Night of Kuldhara in Hindi Horror Stories by Shailesh verma books and stories PDF | कुलधरा की रात

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कुलधरा की रात

भाग 1: वह गाँव जो थम गया थाराजस्थान की तपती रेत पर शाम उतर रही थी। दूर-दूर तक फैली बंजर ज़मीन और उसके बीच खड़ा वह वीरान गाँव—कुलधरा—


मानो सदियों से समय के थपेड़े सह रहा हो।आयुष, एक युवा पुरातत्वविद्, दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएच.डी. कर रहा था। उसने सुना था कि कुलधरा में कुछ ऐसा छुपा है जो इतिहास की किताबों में नहीं लिखा गया। एक रहस्य... एक आत्मा... या शायद एक प्रेम।आयुष अपने कैमरे, डायरी और स्लीपिंग बैग के साथ गाँव में दाखिल हुआ। उसके साथ उसकी रिसर्च पार्टनर रिया, एक जर्नलिस्ट थी जो रहस्यमयी जगहों पर डॉक्यूमेंट्री बनाती थी।जैसे ही उन्होंने गाँव की सीमा पार की, हवा बदल गई। तपन के बीच भी एक सिहरन सी महसूस होने लगी। गाँव में एक भी इंसान नहीं था, लेकिन कहीं न कहीं ऐसा लग रहा था कि कोई देख रहा है।---


भाग 2: इतिहास की परतेंगाँव की टूटी-फूटी हवेलियों के बीच उन्होंने अपनी अस्थायी कैंप लगाई। पास ही एक पुरानी हवेली थी जिस पर अब भी एक टूटा हुआ नामपट्ट लटका था—"चेतन माल पाटण"। रिया ने कहा, “यह वही हवेली है जहाँ उस आखिरी रात को कुछ भयानक हुआ था।”आयुष ने अपनी डायरी में लिखा:> “18वीं सदी में, कुलधरा एक समृद्ध पालीवाल ब्राह्मण बस्ती थी। पर एक रात, पूरा गाँव गायब हो गया, बिना कोई निशान छोड़े।”आयुष को हवेली की दीवारों पर कुछ संस्कृत श्लोक और एक अजीब-सा चिन्ह दिखा। रिया ने पास आकर कहा, “यह तांत्रिक यंत्र है। क्या यह श्राप का संकेत है?”तभी एक ठंडी हवा का झोंका आया और दोनों के चारों ओर अजीब सी फुसफुसाहटें गूंजने लगीं।---


भाग 3: प्रेम की छायाआधी रात को आयुष की नींद खुली। उसे लगा जैसे कोई उसकी रजाई खींच रहा हो। उसने रिया को जगाया, लेकिन वह बेहोशी जैसी नींद में थी।तभी एक सफेद घाघरा चोली पहने एक लड़की की परछाईं हवेली की ओर जाते दिखी। वह बिना आवाज़ किए हवा में तैरती सी चल रही थी।आयुष उसका पीछा करते हुए हवेली के तहखाने तक पहुँच गया। वहाँ दीवार पर एक पुरानी पेंटिंग थी—एक राजकुमारी जैसी लड़की और एक जवान ब्राह्मण युवक की।आयुष को अचानक महसूस हुआ कि वह लड़की वही थी जिसे वह देख रहा था। तभी हवा में एक स्वर गूंजा:“वापस चले जाओ, यह प्रेम अधूरा है… और अधूरा ही रहेगा…”---


भाग 4: श्राप और सत्यसुबह होते ही रिया को सब बताया गया। उसने आयुष को पागल कह दिया, लेकिन जल्द ही उसकी आंखों ने भी वही लड़की देखी। यह कोई मतिभ्रम नहीं था।आयुष ने गाँव के एक पुराने पुजारी से मुलाक़ात की, जो पास के गाँव में रहता था। उन्होंने कहा:> “कुलधरा का राजकुमार चेतन और ब्राह्मण कन्या सारा एक-दूसरे से प्रेम करते थे। लेकिन दीवान सलिम सिंह की बुरी नजर उस लड़की पर थी। वह चाहता था कि सारा उसे सौंप दी जाए। पूरे गाँव ने मिलकर उस रात गाँव छोड़ने का निर्णय लिया, लेकिन सारा को हवेली में अकेला छोड़ दिया गया… श्राप यही है कि जब तक उसका प्रेम लौटकर उसे पूर्ण न करे, वह मुक्त नहीं हो सकती।”आयुष को अचानक सब समझ में आने लगा—वह आत्मा क्यों बार-बार उसकी ओर खिंच रही थी।---


भाग 5: पुनर्जन्म का रहस्यरिया ने एक दिन आयुष से कहा, “कहीं तुम वही चेतन तो नहीं?”आयुष ने हँसकर टाल दिया, लेकिन उसी रात उसे एक सपना आया जिसमें वह खुद को चेतन के रूप में देखता है, और सारा उसे हवेली में बुला रही है।वह उठा, और बिना किसी से कुछ कहे हवेली की ओर बढ़ा। रिया उसके पीछे-पीछे गई।तहखाने में पहुंचते ही पूरा कमरा रोशनी से भर गया। सारा की आत्मा सामने थी—दूधिया प्रकाश में, वही घाघरा, वही मुस्कान।आयुष उसके पास गया और कहा, “मैं लौट आया हूँ, सारा। मेरा प्रेम अधूरा नहीं रहेगा।”उसने सारा का हाथ थामा और अचानक एक ज़ोरदार प्रकाश हुआ। हवेली की दीवारें कांप उठीं। हवा तेज़ चलने लगी।रिया चिल्लाई, “आयुष! क्या कर रहे हो?”पर आयुष की आंखों में शांति थी। वह धीरे-धीरे सारा के साथ गायब हो गया।---


भाग 6: रहस्य जीवित रहता हैसुबह गाँव में फिर सन्नाटा था। हवेली वैसी की वैसी खड़ी थी। पर तहखाने की दीवार पर अब एक नई पेंटिंग थी—जिसमें चेतन और सारा एक साथ थे, और उनकी आंखें अब बंद थीं, मानो आत्मा को मुक्ति मिल गई हो।रिया ने गाँव छोड़ दिया। लेकिन उसने आयुष की डायरी को एक किताब के रूप में प्रकाशित किया—"कुलधरा की रात: एक प्रेम और श्राप की गाथा"।लोग कहते हैं कि कुलधरा अब शांत है। लेकिन कुछ यात्रियों को अब भी रात में हवेली से सितार की मधुर धुनें सुनाई देती हैं... और दो परछाइयाँ, हाथ थामे, हवेली के भीतर घूमती हैं।---


समाप्त।

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         लेखक:- शैलेश वर्मा