Tere ishq mi ho jau fana - 26 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 26

The Author
Featured Books
Categories
Share

तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 26

सड़क पर तेज़ रफ़्तार और धड़कते एहसास

रात गहरी हो चुकी थी। ठंडी हवा हल्की-हल्की सिहरन पैदा कर रही थी। समीरा खिड़की के पास खड़ी थी, पर उसके मन में अब भी दानिश की आवाज़ गूंज रही थी—

"सोने से पहले मेरी आवाज़ याद कर लेना… ताकि अगली बार पहचानने में देर न लगे।"

वह हल्की मुस्कान के साथ बालों को पीछे करते हुए सोचने लगी—"अजीब लड़का है! लेकिन... दिलचस्प भी।"

अचानक उसके फोन की स्क्रीन चमकी। दानिश का मैसेज था—

"नीचे आओ। तुम्हें कुछ दिखाना है।"

समीरा का दिल एक पल को तेज़ी से धड़क उठा। उसने खिड़की से झांका। सड़क के किनारे एक ब्लैक स्पोर्ट्स बाइक खड़ी थी, जिस पर हेलमेट पहने दानिश इंतज़ार कर रहा था।

"इतनी रात को?" समीरा बुदबुदाई।

लेकिन उसके अंदर एक अजीब सा रोमांच जाग चुका था। उसने झटपट एक जैकेट पहनी और धीरे से दरवाजा खोलकर बाहर निकल आई।

रात की सवारी

"तुम पागल हो क्या?" समीरा ने दबी आवाज़ में कहा।

दानिश ने हेलमेट उतारा और शरारती मुस्कान के साथ बोला, "पागलपन ही तो मज़ेदार होता है। बैठो, एक रात की सैर करते हैं।"

"अगर किसी ने देख लिया तो?"

"तो कह देंगे... रात खूबसूरत थी और हमें इसका एहसास करना था।"

समीरा ने गहरी सांस ली। कुछ सेकंड तक सोचा, फिर बाइक पर बैठ गई। दानिश ने उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराया, फिर एक झटके में एक्सीलेटर घुमा दिया।

बाइक तेज़ रफ्तार से सड़कों पर दौड़ने लगी। ठंडी हवा समीरा के बालों को बिखेर रही थी। उसने झिझकते हुए दानिश के कंधे पर हल्की पकड़ बनाई, लेकिन जैसे ही बाइक ने स्पीड पकड़ी, उसने कसकर उसकी जैकेट पकड़ ली।

"डर लग रहा है?" दानिश ने हंसते हुए पूछा।

"थोड़ा..." समीरा ने झूठ बोला।

"तो फिर आँखें बंद कर लो और बस महसूस करो।"

समीरा ने सच में आँखें बंद कर लीं। हवा, रफ़्तार, खुली सड़क... ये एक अलग ही दुनिया थी।

सुनसान सड़क और दिल की धड़कन

कुछ ही देर में वे शहर के बाहरी इलाके में आ चुके थे। सड़क के दोनों ओर पेड़ थे और हल्की धुंध फैली थी। आसमान में चाँद चमक रहा था, और पूरी सड़क जैसे सिर्फ़ उनकी थी।

दानिश ने बाइक रोक दी।

"यहाँ क्यों रुके?" समीरा ने पूछा।

दानिश बाइक से उतरा और बोला, "कभी चाँदनी रात में खाली सड़क पर खड़े होकर महसूस किया है कि हम कितने छोटे हैं?"

समीरा ने इधर-उधर देखा। चारों तरफ सन्नाटा था, सिर्फ़ जुगनू चमक रहे थे और दूर किसी पेड़ पर झींगुर गा रहे थे।

"अजीब हो तुम," उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

"और तुम्हें अजीब लोग पसंद नहीं?" दानिश ने नज़रों में हल्की शरारत के साथ पूछा।

समीरा चुप रही। उसका दिल इस खामोशी को समझ चुका था।

करीबियों की हल्की आहट

थोड़ी देर बाद ठंड बढ़ने लगी। समीरा ने अपनी जैकेट को और कसकर पकड़ लिया।

"ठंड लग रही है?"

"हाँ, थोड़ी।"

दानिश ने बिना कुछ कहे अपनी जैकेट उतारी और समीरा के कंधों पर डाल दी।

"ऐसे क्या देख रही हो?"

"तुम... अलग हो।"

दानिश मुस्कराया, "हाँ, शायद इसलिए तुम यहाँ खड़ी हो।"

समीरा कुछ बोल नहीं पाई।

दानिश ने हल्के से समीरा का हाथ पकड़ा।

समीरा ने एक पल के लिए अपना हाथ पीछे खींचना चाहा, लेकिन फिर जाने क्यों उसने ऐसा नहीं किया।

हवा चल रही थी, चाँद चमक रहा था, और दो दिलों के बीच कुछ ऐसा था जो शब्दों में नहीं कहा जा सकता था।

"चलिए, अब वापस चलते हैं," दानिश ने धीरे से कहा।

पुरानी यादें और नई धड़कनें

समीरा और दानिश बाइक पर वापस लौट रहे थे। रास्ते भर हवा उनके बालों से खेल रही थी, और उनके दिलों में अनकही बातें उमड़ रही थीं। समीरा ने खुद को समझाने की बहुत कोशिश की कि यह बस एक रात की बात है, लेकिन कहीं न कहीं, उसके दिल के कोने में कुछ नया अंकुरित हो रहा था—एक खिंचाव, जिसे वह चाहकर भी अनदेखा नहीं कर सकती थी।

जैसे ही वे उसके घर के पास पहुंचे, समीरा ने हल्की आवाज़ में कहा, "रुको, मैं थोड़ी देर यहीं बैठना चाहती हूँ।"

दानिश ने बाइक धीमी कर दी और सड़क किनारे रोक दी। उसने बिना कुछ कहे समीरा की तरफ देखा—जैसे उसकी हर सोच को पढ़ लेना चाहता हो। समीरा खामोश थी, लेकिन उसकी आँखों में एक सवाल था।

"क्या सोच रही हो?" दानिश ने पूछा।

समीरा हल्के से मुस्कराई। "बस... कुछ नहीं।"

दानिश ने थोड़ा झुककर समीरा की आँखों में झांका। "झूठ मत बोलो, समीरा। कुछ तो है जो तुम्हारे दिल में चल रहा है।"

समीरा ने गहरी सांस ली और आसमान की तरफ देखा। "पता नहीं... कभी-कभी लगता है कि कुछ चीज़ें बस एक खूबसूरत याद बनकर रह जानी चाहिए।"

दानिश ने हंसते हुए कहा, "शायद... लेकिन कभी-कभी यादें ही असली कहानी की शुरुआत होती हैं।"

रात की आखिरी बातें

दानिश चुपचाप उसकी ओर देख रहा था, जैसे उसके चेहरे के हर भाव को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो। समीरा ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी कई सवाल थे।

"अब चलूँ?" समीरा ने धीमी आवाज़ में पूछा।

दानिश ने सिर झुका लिया, जैसे कुछ सोच रहा हो। फिर उसने अपनी जैकेट की जेब में हाथ डाला और कुछ निकाला। "रुको, तुम्हें कुछ देना है," उसने कहा।

समीरा ने उत्सुकता से उसकी ओर देखा। दानिश ने अपनी हथेली खोली—उसमें एक छोटा सा कागज़ मोड़ा हुआ था।

"ये क्या है?" समीरा ने संदेह से पूछा।

"देख लो," दानिश ने कागज़ उसकी ओर बढ़ाया।

समीरा ने धीरे से कागज़ खोला। उस पर बड़े ही सधे हुए हाथों से लिखा था—

"अगर कभी ये रात याद आए, तो जान लेना कि कुछ एहसास वक्त से परे होते हैं।"

समीरा कुछ पल के लिए चुप रही। उस छोटे से कागज़ के टुकड़े ने उसकी सोच को कहीं और ही पहुंचा दिया था।

"तुम हमेशा इतनी गहरी बातें क्यों करते हो?" उसने हल्के अंदाज़ में पूछा, लेकिन उसकी आवाज़ में एक अजीब सी खुमारी थी।

"क्योंकि कुछ चीज़ें हल्की होकर भी भारी होती हैं," दानिश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

समीरा ने कागज़ को ध्यान से मोड़ा और अपनी जैकेट की जेब में रख लिया। "मैं चलती हूँ," उसने कहा और मुड़ने लगी।

"समीरा," दानिश ने धीमे से उसका नाम पुकारा।

वह ठिठक गई।

"तुम जानती हो न, ये सिर्फ़ एक रात की बात नहीं थी?"

समीरा ने धीरे से सिर झुका लिया। उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं। लेकिन वह नहीं चाहती थी कि उसकी आँखें उसकी असली भावनाओं को ज़ाहिर कर दें।

"शायद," उसने धीरे से कहा।

दानिश ने एक कदम आगे बढ़ाया, लेकिन फिर रुक गया।

"तुम्हें कभी लगा है कि कुछ रिश्ते ज़रूरी नहीं कि नाम के मोहताज हों?" उसने हल्की आवाज़ में पूछा।

समीरा ने धीरे से उसकी तरफ देखा। उसकी आँखों में हल्की नमी थी, लेकिन होंठों पर एक हल्की मुस्कान भी थी।

"शायद," उसने फिर वही शब्द दोहराए, लेकिन इस बार उसकी आवाज़ में एक नई गहराई थी।

कुछ पल के लिए दोनों चुप रहे। सिर्फ़ हवा की सरसराहट और दूर कहीं से आती सड़क पर गुजरती गाड़ियों की आवाज़ थी।

फिर समीरा ने हल्के कदमों से आगे बढ़ना शुरू किया। उसने दरवाज़े के पास पहुँचकर एक पल के लिए ठहरकर मुड़कर देखा।

दानिश अब भी वहीं खड़ा था, उसी नज़रों से उसे देखता हुआ, जैसे उसकी हर हलचल को अपने ज़ेहन में कैद कर लेना चाहता हो।

"अच्छा सुनो," समीरा ने हौले से कहा।

"हम्म?"

"शायद ये रात यादगार रहेगी..."

"शायद?"

समीरा मुस्कराई। "शायद से आगे की बात अभी नहीं सोचनी चाहिए," उसने कहा और धीरे से दरवाज़ा खोलकर अंदर चली गई।

दानिश ने एक गहरी सांस ली, अपनी जैकेट की जेब में हाथ डाला, और बाइक पर बैठते हुए एक आखिरी बार उस दरवाज़े की तरफ देखा।

फिर उसने बाइक स्टार्ट की और अंधेरे में धीरे-धीरे गुम हो गया।

समीरा ने खिड़की से झाँका। उसकी आँखों में हल्की चमक थी, और उसके होठों पर एक धीमी मुस्कान खेल रही थी।

कुछ एहसास शायद सच में वक्त से परे होते हैं...