सांझ ढल रही थी, और सूरज की आखिरी किरणें खेतों में बिखर रही थीं। एक काली, विशाल भैंस खेतों के बीच बेकाबू दौड़ रही थी, उसकी भारी टापों की गूंज दूर तक सुनाई दे रही थी। उसकी पीठ पर एक नन्ही बच्ची सवार थी, मुश्किल से खुद को संभाले हुए।
उसकी छोटी उंगलियाँ बफ़ेलो के खुरदुरे शरीर को कसकर थामने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन जानवर की तेज गति ने उसे डगमगा दिया। उसकी आँखों में डर था, और होठों से हल्की चीख निकल पड़ी—"आह ,बचाओ! प्यारी चुलबुल प्लीज रुक जाओ पानु को डर लग रहा है। "
वो लड़की अपनी मासूम सी आवाज में उस बफ़ेलो से बोली। लेकिन ऐसा लग रहा था आज उसे उसकी शैतानी बहुत भारी पड़ने वाली थी। वो बेशक से 6, 7 साल की छोटी सी क्यूट प्रिंसिस की तरह नजर आती थी। लेकिन उसने जब वो बफ़ेलो अपनी प्यारी सी नींद ले रही थी उसके पीठ पर चढ़कर उसे परेशान करने की गुस्ताखी की थी।
इसवक्त बफ़ेलो और भी बेकाबू हो गई, उसकी आँखें लाल हो उठीं, और वह तेजी से खेत के किनारे की ओर भागी। बच्ची की पकड़ ढीली पड़ गई, और अचानक वह हवा में झूल गई।
छोटी पावनी की एक दर्दनाक चीख निकल गई, परंतु हवा से नीचे गिरने से पहले ही, कुछ ऐसा हुआ जो उसकी छोटी-सी समझ से परे था।
एक काली छाया, बिजली की तेजी से लहराती हुई, अंधकार में से प्रकट हुई। समय जैसे थम सा गया। वो छाया इतनी तेज़ थी कि उसकी आँखों ने इसे देख भी नहीं पाया, बस हवा में एक हल्की सरसराहट महसूस हुई।
पलक झपकते ही वह बच्ची किसी की मजबूत बाहों में थी। गर्म साँसों की हल्की सरसराहट उसकी गर्दन पर महसूस हुई।
उसने हड़बड़ाकर ऊपर देखा—,एक अजीब-सा आदमी... नहीं, इंसान से कुछ ज्यादा। उसकी त्वचा चाँदनी जैसी सफेद थी, आँखें गहरी लाल—रक्त के रंग जैसी। लंबे, धारदार नुकीले दाँत उसके होठों के पीछे चमक रहे थे। उसके होठों पर उसे देखते ही अचानक हल्की मुस्कान खिल गई थी, लेकिन पावनी का डर के मारे बुरा हाल हुआ पड़ा था।
"तुम... तुम कौन हो? " बच्ची की आवाज़ काँप उठी।
वो अजनबी उसे देखता रहा, उसकी आँखों में एक गहरा रहस्य था। फिर धीमे से फुसफुसाया—" जो हुआ उसे भूल जाओ बेबी गर्ल।"
पावनी की आंखे अचानक उसकी उन खूंखार नजरों में मजबूरन खोने लगी थी।
भैंस अब शांत हो गई थी, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उसे वश में कर लिया हो। हवा में हल्की ठंडक भर गई, और वो वैम्पायर धीरे-धीरे बच्ची को ज़मीन पर उतारने लगा।
"अब तुम सुरक्षित हो," उसने कहा, उसकी आवाज़ किसी सम्मोहन जैसी थी।
बच्ची ने नीचे जमीन पर से अपनी ओझल होती नजरों से उसे दूर जाते हुए देखा, लेकिन उसके दिल की धड़कन अभी भी तेज़ थी।
"आख़िर कौन था वो? "
तभी पावनी हड़बड़ाते हुए एकदम से उठकर अपने बिस्तर पर बैठ गई और उसने अपने सीने को थाम लिया और लम्बी लम्बी सांस लेने लगी।
उसने जोर से अपना सिर दबाया और बड़बड़ाई-" क्या यार पिछले 10 सालों से एक ही सपना देख देखकर मैं अब बहुत बोर हो गई हूं, एक तो उस गोबलिन का चेहरा मुझे याद ही नहीं आता है।"
फिर उसने अलसाई नजरों से अपने पूरे कमरे की तरफ देखा और अपने चीक्स को दोनों हाथों के बीच सजाकर बोली-" V आज तो मैं तुम्हारा हैंडसम चेहरा बनाकर ही रहूंगी , खबरदार गोबलिन जो इस बार तुम मेरे और V के बीच में आए ।"
ये कहते हुए वो सामने वॉल पर टँगी हुई एक अधूरी पेंटिंग को देख रही। उस पेंटिंग का चेहरा ही नहीं था और वो बहुत अजीब लग रहा था।
देहरादून, उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों में बसा एक शांत और सुरम्य शहर, अपने प्राकृतिक सौंदर्य और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। चारों ओर फैले घने जंगल, हिमालय की चोटियों से बहती ठंडी हवाएं, और हर सुबह सुनाई देने वाली पक्षियों की चहचहाहट इसे और भी मनमोहक जगह बनाती हैं। देहरादून की सड़कों पर दौड़ती गाड़ियां, पलटन बाजार में गूंजती बातचीत, और दूर पहाड़ियों से टकराकर आती नदी की आवाज़ इस शहर को जीवंत बनाती है। इसी शहर के एक छोर पर एक छोटी पहाड़ी की तलहटी पर स्थित है, आशीर्वाद अनाथालय। और इसी अनाथालय के छत्रछाया में पली बढ़ी है हमारी प्यारी सी चुलबुली लड़की पावनी। वैसे तो यह जगह दिखने में काफी साधारण ही लगता था लेकिन ये पावनी की तरह कई अनाथ बच्चों का आशियाना था, उनका घर था ये। चारों ओर पेड़ों की हरियाली से घिरा हुआ, यह अनाथालय पुराने लेकिन मजबूत पत्थरों से बना था। यहां मुख्य द्वार पर "आशीर्वाद अनाथालय" का नाम नीले रंग में लिखा हुआ था और उसके नीचे एक छोटा सा मंत्र - "हर बच्चे में भगवान का वास होता है।" ये शब्द लिखा गया था। अनाथालय के भीतर एक बड़ा आंगन था, जो हमेशा बच्चों के हंसी ठिठोली की चिलकारी से गूंज उठती थी। बाईं ओर एक छोटा सा पुस्तकालय था, जिसमें दान की गई किताबें और कहानियों से भरी अलमारियां विराजमान थी। दाईं ओर एक छोटा सा बगीचा था, जहां बच्चे अपने हाथों से लगाए गए फूलों और सब्जियों की देखभाल करते थे। आशीर्वाद अनाथालय न केवल एक जगह थी बल्कि उन बच्चों के लिए उम्मीद का घर था, जो अपनी जिंदगी में किसी न किसी तरह से टूट चुके थे। यहां हर सुबह की शुरुआत सामूहिक प्रार्थना से होती थी और हर रात की समाप्ति कहानियों और हंसी के साथ।
इसवक्त पावनी अपने कमरे के खिड़की के पास लगे एक पुरानी मेज पर बैठी हुई थी। उसके सामने एक कागज रखा हुआ था। इसवक्त वो उस कागज पर ध्यानमग्न होकर एक स्केच बना रही थी। इस पूरे कमरे की दीवारें उसके द्वारा बनाए गए रहस्यमयी ड्रॉइंग्स से भरी हुई थी। जिससे ये अनुमान लगाया जा सकता था कि वो गॉथिक आर्ट की कितनी बड़ी शौकीन थी और सचमुच एक दो को छोड़कर बाकी ड्रॉइंग्स को देखकर ऐसा लगता था जैसे उन्हें किसी प्रोफेशनल आर्टिस्ट ने बनाया है। और मानो हर एक पेंटिंग के पीछे अपना ही कोई रहस्यई कहानी छुपा हुआ हो। पावनी दिखने की काफी सुंदर थी उसकी गहरी काली आँखें और चेहरे पर हल्की मुस्कान उसे एक ड्रीमगर्ल वाली छवि देती थी। इसवक्त उसके बालों की लटें बार-बार चेहरे पर गिर रही थी, जिन्हें वह बार-बार पीछे हटा रही थी। तभी अचानक उसके हाथ स्केच करते हुए रुक गए और उसने अपनी गोल मटोल आंखों को टिमटिमाते हुए उस स्केच पेपर पर बने उन दो जोड़ी आंखों को गौर से देखा और मन ही मन बुदबुदाई-” ये आंखें ऐसी तो नहीं बननी चाहिए थी, मेरा प्यारा सा V उसकी आंखें ऐसी तो नहीं दिखती! अब ये मैंने किसकी आंखे बना दी? ” फिर वो एक गहरी सांस लेकर वहीं साइड में रखे अपने फोन के स्क्रीन पर BTS के V की स्केच को एकटक देखने लगी जिसे देखकर वो ये स्केच बना रही थी।
लेकिन V कि आंखे और इन आँखों में तो जमीन आसमान का फर्क नजर आ रहा था। उसने हल्के से अपना माथा रब करते हुए वापस अपने बनाए गए उस स्केच को देखा और मासूम सा चेहरा बनाकर बोली-” अरे यार अब ये किस जानवर की आंखे बना दी मैंने? आखिर कहां देखा था मैंने इन आँखों को? गोबलिन की तो नहीं लग रहीं ये आंखे, आह फरगेट इट, वैसे भी मुझे हमेशा ही बनाना कुछ और होता है लेकिन मुझसे बन कुछ और ही जाता है, खैर चलो अब एकबार इसे ही कम्प्लीट करके देखते हैं मैं भी तो देखूं अब क्या बनता है ।” फिर वो अपना सिर झटककर वापस से उस स्केच को बनाने में मग्न हो गई थी। तभी एक छोटी सी बच्ची भागते हुए उस कमरे में आती आई, उसके हाथ में रंग बिरंगे बलून्स थे। जिनके पीछे वो डॉल सी दिखने वाली बच्ची लगभग आधी छिपी हुई थी। इतने में वो छोटी बच्ची चहकते हुए बोली-” पानु दीदी! आप यहाँ क्या कर रही हो? जल्दी नीचे चलो न! सब आपको बुला रहे हैं।” उस क्यूट सी बेबी को देखकर पावनी मुस्कुराते हुए बोली-”नीचे? क्या हुआ रिहा? अरे वाह सुबह सुबह आपको आज ये इतने सारे कलरफुल बलून्स किसने दिए हां?”
छोटी बच्ची जिसका नाम रिहा था, वो यहीं कोई 5 साल की होगी , वो थिरकते हुए उसके सामने आकर रुकी और उन बलून्स के एक साइड से उसे अपनी छोटी छोटी आंखों से झांकते हुए बोली-” ओफ्फो माँ तो आपको बहुत इंटेलिजेंट समझती है पानु दीदी लेकिन आपको तो इतना भी नहीं पता कि आज आपका हैप्पी वाला बिर्थ डे है, रीहा तो ये बलून आपके लिए ही तो लाई थी? “
फिर वो आगे क्यूट सा फेस बनाकर अफसोस जाहिर करते हुए बोली-“ उप्पस मुझे तो माँ ने इन सरप्राइज के बारे में आपको बताने से साफ मना किया था, सुनो पानु दीदी आप मुझे माँ के सामने एक्सपोज़ तो नहीं कर दोगी ना?” कहते हुए वो एकदम बेहद मासूम चेहरा बनाकर उसे देख रही थी। अपनी वन ऑफ द फेवरेट डॉल रिहा की इन प्यारी प्यारी बातों को सुनकर पावनी की आँखों में हल्का सा आश्चर्य और खुशी झलक गई।
पावनी तुंरन्त मेज से नीचे उतरी और हल्का सा झुकते हुए उसने रिहा के हाथों से उन बलून्स को छुड़ाकर वहीं अपने बिस्तर की तरफ उड़ा दिया और फिर उसके छोटू से नोज़ को क्यूटली टॉस करते हुए बोली-” आजतक कभी इस पानु दीदी ने रिहा बेबी की कोई सी भी सीक्रेट्स किसी के सामने रिवील की है बताओ मुझे?”
उसकी ये बात सुनकर रिहा अपने चीक्स पर एक उंगली टिकाकर फिर धीरे धीरे टैब करते हुए कुछ सोचते हुए बोली-“ उम्म रिहा ने भी तो अपनी पानु दीदी की सारी टॉप सीक्रेट अपने छोटू से दिल में छुपाकर रखा हुआ है।”