Eclipsed Love - 11 in Hindi Fiction Stories by Day Dreamer books and stories PDF | Eclipsed Love - 11

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Eclipsed Love - 11

 आशीर्वाद अनाथालय   रमा जी ने उस कमरे के अंदर आकर  लाइट ऑन करके पावनी को देखा। पावनी शांति जी के बेड के एकदम कोने से लगकर सिर झुकाए बैठी थी। उसकी आँखों में गहरी उदासी थी, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी आंसू नहीं थे।

 रमा जी आगे जाकर ड्रॉर से कुछ लेकर आई फिर उसके पास बैठ गईं और उसकी ओर प्यार से देखा। "पानू, क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहती हो?" रमा जी ने धीरे से कहा। पावनी ने सिर उठाया, उसकी आँखें शांति जी के बिना खोई हुई सी लग रही थीं।

वो धीरे से बोली- "काकी, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। माँ के बिना मैं कैसे जी सकती हूं? क्या मुझे भी मर जाना नहीं चाहिए?" ये कहते हुए वो कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी। इतने में रमा जी ने पावनी का हाथ थामा। और उसे अपनी तरफ घुमाकर बोली-" शांत हो जाओ पानू , एकदम चुप सुना तुमने, तुम ऐसा पाप सोच भी कैसे सकती हो हां? ““यहा मेरी तरफ देखो तुम  अकेली नहीं हो, सुना तुमने हम सब तुम्हारे साथ हैं। तुम्हारे साथ शांति जी की यादें हैं। वह तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ेंगी। तुम्हारी आत्मा से वह हमेशा जुड़ी रहेंगी। कभी सोचा है अगर उंन्होने तुम्हारी ऐसी दयनीय हालत देख ली तो उनकी आत्मा को कभी मुक्ति नहीं मिलेगी, उन्हें कितना दुख होगा तुम्हें ऐसे देखकर।" पावनी ने उसकी बातों पर कोई जवाब नहीं दिया। वह बस शांति जी की तस्वीर को हाथों में पकड़े हुए थी। "देखो, शांति ने अपने आखिरी समय में मुझे कुछ चीज़ें दी थीं,  उसने कहा था मैं इन्हें तुम्हें दे दूं।" रमा जी ने धीरे से कहा। "ये तुम्हारे लिए ।" 

ये कहते हुए रमा जी ने दो लिफाफे और एक  सिल्वर कलर का बॉक्स पावनी के सामने रखा। और बोली- "शांति जी ने चाहा था कि तुम्हारे पास ये चीजें हों। वह चाहती थीं कि तुम हमेशा याद रखो, तुम अकेले नहीं हो।"पावनी ने कांपते हाथों से उसमें से एक लिफाफे को उठाकर ध्यान से खोला और उसमें से एक पत्र निकाला। वह पत्र उसने धीरे-धीरे खोला। पत्र में लिखा था। "मेरी प्यारी पावनी, तुम मेरी बेटी जैसी नहीं बल्कि मेरी ही बेटी हो, और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी। अगर एक दिन मुझे इस दुनिया से जाना पड़ा, तो याद रखना, मैं कभी तुम्हारे दिल से दूर नहीं जाऊँगी। तुम्हारी हर सफलता में मैं तुम्हारे साथ रहूँगी। तुम अपनी खुशियाँ ढूंढो, तुम आगे बढ़ो। मेरी आत्मा तुम्हारे साथ है। तुम्हें मेरे खातिर जीना होगा और हमारे हर अधूरी उन सपनों को पूरा करना होगा। तुम अपनी पहचान खोजोगे ये वादा करो मुझसे।” “ ये जो बॉक्स देख रही हो न तुम, इस बॉक्स को मैंने कभी खोलने की हिम्मत नहीं कि क्योंकि मुझे हमेशा लगता था अगर मैंने इसे खोल दिया तो शायद मैं फिर तुम्हारी सच्चाई जान जाऊंगी और शायद तुम्हें खो दूंगी। मुझे माफ़ करना मेरी बच्ची मैं थोड़ी खुदगर्ज हो गई थी। क्योंकि तुम में मेरी खुशियां समाई हुई है। तुम मेरी जान हो गुड़िया।” तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, तुम्हारी माँ।"पावनी ने धीरे-धीरे  पत्र पढ़ा, और जैसे ही उसने पत्र को पूरा पढ़ा, उसकी आँखों में छुपे हुए आंसू तरतर करके बहने लगे। शांति जी का प्यार उसे बहुत जोर से महसूस हो रहा था। उनका त्याग उनका इतना सारा अपनापन  । उनकी आत्मा हमेशा उसके साथ थी। अभी तक उसने एक नजर भी उस बॉक्स और दूसरे लिफाफे की तरफ नहीं देखी थी।  इनफैक्ट  वो खुद अपने उस खोए हुए अस्तिव को खोजने में बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं लग रही थी। पावनी सुबकते हुए बोली-"काकी, माँ के मन में कितना बड़ा बोझ था। मैं उन्हें कभी समझ नहीं पाई। वो क्यों चली गई मुझे ऐसे छोड़कर मुझे कोई सच नहीं जानना था, मुझे तो सिर्फ मेरी माँ के आँचल के छाव में जीना था।” 

 इतने में रमा जी ने उसका सिर पकड़कर उसे खींचकर अपने सीने से लगा लिया और  उसके कंधे को सहलाते हुए बोली-” बच्चा मत रोको खुद को  तुम खुलकर  रो सकती हो। क्या मैं तुम्हारी माँ जैसी नहीं हूं हा। बेशक से शांति की जगह मैं कभी नहीं ले सकती लेकिन  जानती हो तुम तुम्हें मैंने भी अपने इन्ही हाथों में खिलाया है जब तुम इतनी सी थी। ” उनसे इतना सुनते ही पावनी उसके सीने से लगकर फूटफूटकर  रो पड़ी।कुछ देर बाद फ़ायनली जब वो थोड़ी शांत हुई तो रमा जी ने उसे खुद से अलग किया और उसके आंसुओ को साफ करते हुए बोली-” बच्चा  तुम्हारी माँ कहीं छोड़कर नहीं गई  है तुम्हें ये बात हमेशा  याद रखना , तुम जानती हो न हमेशा भगवान जी अच्छे लोगों को अपने पास जल्दी बुला लेते हैं। ““तुम चिंता मत करो सब  समय पर छोड़ दो ये सबकुछ वक्त अपने  साथ हील कर देगा। धीरज रखो मेरी बेटी।”  पावनी धीरे से बोली-” मैं कोशिश करूँगी काकी लेकिन ये सब करना मेरे लिए कोई इतना आसान काम नहीं है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे अंदर से किसी ने अचानक मेरी रूह को छीनकर अलग कर दिया है।” रमा जी ने प्यार से उसके बालों पर हाथ फेरा और कहा-” तुम  तो बहादुर बेटी हो हमारी  पानू,  मुझे भरोसा है तुमपर की तुम खुद को सम्भाल लोगी। तुम्हें खुद को संभालना ही होगा। “  “अच्छा सुनो पंडित जी ने कहा है हमें  शांति जी की आत्मा शांति के लिए गरुड़ पुराण का पाठ करना चाहिए । लेकिन उससे पहले तुम्हें हमारा एक कार्य करना होगा।”  पावनी ने रमा जी को ध्यान से देखा और बोली-” ठीक है काकी हम हमारी माँ की इच्छा पूर्ति के लिए कुछ भी करेंगे। बोलिए क्या करना होगा मुझे?” इतने में वहांपर निशान और रिहा आइस क्रीम लेकर के आ गए और रिहा उसे देखते ही बोली-” दीदी।” और जैसे ही पावनी ने उसकी तरफ देखा तो इतने में वो अपने नन्हें कदमो के साथ भागते हुए आई और तभी  पानू  ने  उसे देखकर अपनी बाहें फैला दी और रिहा ने आकर उसके बाहों के बीच से होकर सीने से लग गई और पावनी ने उसे जोर से पकड़कर हग कर लिया। उसे अचानक एहसास हुआ कि अभी भी उसे अपना कहने वाले थे यहांपर। उसकी माँ उसके लिए सबकुछ समेटकर गई थी।पावनी धीरे से बोली-” रिहा मेरी जान  क्या  तुम ठीक हो?” और उसे खुद से थोड़ा अलग करके उसे चेक करने लगी। रिहा मासूमियत से उसे देखते हुए बोली-” ओफ्फो पानु मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ और   मुझे पता है आपको मूड स्विगन्स हो रहे हैं ना इसी लिए तो मैं आपके लिए बटरस्कॉच आइस क्रीम लेकर के आई हूं।”  फिर वो निशान को देखकर इशारा करने लगी। पावनी ने प्यार से उसका सिर सहलाया और बोली-” रिहा तुम तो बहुत इंटेलिजेंट हो तुम्हे तो सबकुछ पता रहता है।”रमा जी ये सब अपनी प्यार भरी निगाहों से देख रही थी। तभी निशान आगे और पावनी तरफ आइस क्रीम का टब कर दिया  और जैसे ही पावनी ने उस टब को पकड़ा तो इतने में निशान उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया और उसे साइड हग करके जोर जोर से रोने लगा।अचानक उसे यू रोता देखकर पावनी का दिल पसीज गया था और वो भी अचानक उसे सम्भालते हुए तेज तेज  रोने लगी।

  उन्हें यू रोता देखकर तो  रिहा भी उन्हें हग करके तेज तेज रोने लगी थी।  रिहा इतनी तेज रोई की वो दोनों बिल्कुल चुप होकर एक  दूसरे को एक नजर देखकर फिर जल्दबाजी में उसे देखने लगे फिर तीनों एक दूसरे को हग करके एक साथ ही रोने लगे। तभी रमा जी आगे आई और उन्हें शांत कराने लगी।कुछ देर बाद पावनी सभी बच्चों के साथ बाहर गार्डन एरिया में आई हुई थी।पावनी ने सभी बच्चों को समझाते हुए कहा-” देखो बच्चों  क्या तुम्हे दूर आसमान में वो खूबसूरत तारे नजर आ रहें हैं?” सभी बच्चे एक साथ चिल्लाकर बोले-” हां ?” पावनी बोली-” अच्छा तो बताओ सबसे अधिक कौन सा तारा चमक रहा है?” उंन्होने दूर चांद के बगल में चमकते तारें की तरफ इशारा किया। तो  पावनी बोली-” तो अब से वहीं हमारी माँ है।  तुम सब जानते हो न माँ यहांपर हमारे बीच रहकर हमारी देखभाल करते हुए कितनी बीमार हो रही थी ।  “

 “तो इसीलिए अब वो दूर से ही हमपर नजर रखा करेंगी और हमें अपनी ब्लेशिंग देंगी तो हमें  आज के बाद हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना जिसे देखकर उन्हें दुख पहुचे, कभी किसी निर्दोष के साथ अत्याचार नहीं करना है। और झूठ नहीं बोलना है। एक दूसरे की हमेशा मदद करनी है। समझ गए ना तुम सभी?” सभी ने सहमति से अपना सिर हिलाया। वो सभी उस चमकते सितारे को बेहद क्यूरीयस भरी निगाहों से निहार रहे थे।   


पावनी आगे बोली-” चलो बच्चों अब हम ये कंदील जलाकर एक विश मांगेंगे और उनके पास भेज देंगे, वो हमारी विशेज जरूर पूरा करेंगे।”सभी ने नीचे जमीन से कंदील उठाया और निशान पावनी ने उन कंदील को जलाकर उड़ाने में उनकी  मदद की। सभी उस उड़ते कंदील को देखकर विश मांग रहे थे। वो सच में इसवक्त बेहद सुकूनमय लग रहे थे। पावनी मन ही मन बोली-” माँ ।” इससे आगे वो एक शब्द नहीं कह पाई थी। 

 दूर से दददू और रमा जी उन सभी को देखकर काफी भावुक हो गए थे। इसके बाद रमा जी और दददू सभी बच्चों को लेकर अंदर कमरें में चले गए और पावनी घँटों तक असेम्बली हॉल में आकर शांति जी के पास मौन बैठी रही।

 

वहीं आसमान में अभी भी वो कंदील अपनी रोशनी बिखेरते हुए उड़ रहे थे और दूर एक माउंट पर खड़ा शख्स अपनी सिल्वर कलर की आंखों से ये सब देख रहा था।  इसवक्त उसके हाथों में भी एक कंदील था । जिसे उसने जलाकर ऊपर आसमान की ओर छोड़ दिया था। जो धीरे धीरे बाकी कंदीलों से जाकर मिल चुका था।

 ऐसे ही ये रात भी गुजर गई थी। अगले दिन शाम के वक्त से यहां आश्रम में गरुड़ पुराण शुरू हो चुका और  ऐसे ही गरुड़ पुराण सुनते वक्त एक दिन  पंडित जी का एक श्लोक सीधा पावनी के आत्मा में आकर लग गई। जब पंडित जी ने कहा-“न त्वं व्योम भवान्त्वग्निर्न ते जलं न ते मही।न तविन्द्रियवर्गोऽयं न त्वं तेन्‍द्रियगोचरः॥साक्षी साक्ष्यात्मकस्त्वं च स्वप्रकाशो निरंजनः।आत्मारामः शाश्वतोऽसि निर्ममो निरहं गतः॥” अथार्थ:तुम ना तो आकाश हो, ना अग्नि, ना जल, ना पृथ्वी हो। ना तो तुम इंद्रिय हो और ना ही इंद्रियों के द्वारा अनुभव की जाने वाली वस्तुएँ। तुम केवल साक्षी हो, जो स्वयं प्रकाशित है, शुद्ध और शाश्वत आत्मा है।पावनी को अचानक अपने अंदर कुछ सकारात्मक ऊर्जा सी महसूस होने लगी थी।