Eclipsed Love - 5 in Hindi Fiction Stories by Day Dreamer books and stories PDF | Eclipsed Love - 5

Featured Books
Categories
Share

Eclipsed Love - 5

आशीर्वाद अनाथालय, देहरादून।

 लोग सही कहते हैं, अक्सर ज्यादा खुशियों को कभी-कभी अपनी ही नजर लग जाती है। सुबह सुबह कितने उत्साह और प्यार से सब लोग इक्कठा होकर पावनी का 17वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे थे । कितने खुश थे सब लेकिन किसे पता था ये खुशियां बस चंद लम्हों की मोहताज थी।

 

अचानक जब शांति जी बेहोश होकर गिर गई  तो रमा जी -” शांति जी।” कहकर चिल्लाते हुए उन्हें संभालने के लिए आगे आ गई थी।

 

इसवक्त अचानक से रमा जी की चीख सुनकर वहांपर मौजूद सभी घबरा गए थे,  और पावनी ने हड़बड़ाते हुए कहा-” माँ ।” और तेजी से उठकर बच्चों के बीच से शांति जी के पास आ गई।

 

निशान भी बाकी बच्चों के साथ-साथ घबराकर वहांपर आ गया था। अचानक शांति जी के ऐसे बेहोश हो जाने से बच्चे डरकर रोने लगे  थे और माँ माँ को क्या हुआ है,  करकर चिल्लाने लगे थे।

 

रमा जी वहीं बैठी शांति जी के हाथों  को आपस में मिलाकर मल रही थी।  पावनी भी शांति  जी के सामने घुटनों के बल बैठकर उन्हें जोर से पकड़कर -”माँ ,माँ।’ कहकर उन्हें हिलाते हुए आवाज लगा रही थी।

 

ये सब देखकर वहांपर मौजूद सभी बच्चे इतना ज्यादा पैनिक हो गए थे कि उन्होंने  रोते हुए एक दूसरे को पकड़ लिया था । 

 

निशान तो बिल्कुल बुत बनकर शून्य में ताके जा रहा था। उसका पूरा शरीर कांपने लगा था और उसे कुछ फ्लेशबैक आने लगे थे, जिनमें वो देख रहा था  यहीं कोई एक 3 से चार साल का एक मासूम सा बच्चा था। जिसके नजरों के सामने से कुछ लोगों की भीड़ एक सफेद चादर में लिपटी औरत को लेकर जा रहे थे और वो मासूम सा बच्चा  रोते हुए अपने पास खड़े शख्स से रोते हुए बोल रहा था-” दैडा रोको उन्हें ये गन्दे लोग माँ को इस तरह से लेकर कहाँ जा रहे हैं? दैडा।” 

लेकिन उस शख्स ने अपनी पीड़ा को अपने अंदर ही कहीं दबाते हुए किसी को आवाज लगाकर उस बच्चे को संभालने के लिए कहा और खुद आगे उस पार्थिव शरीर को लेकर जाने के लिए कन्धा देने चला गया।

 

इसवक्त निशान के चेहरे पर पसीने की बूंद उभर आई थी और उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका गला किसी ने जोर से पकड़ रखा है और वो बेतहाशा घुटन महसूस कर रहा था। 

 

इतने में उसे रमा जी की आवाज सुनाई दी। उंन्होने उसका पैर पकड़कर उसे जोर से हिलाते हुए कहा-” निशान बेटा क्या सोच रहे हो जल्दी से पानी लाकर दो न मुझे।”

 

अचानक रमा जी की आवाज से निशान होश में आया और हड़बड़ाते हुए उन्हें देखते हुए बोला-” जी माँ।” फिर अपने  चेहरे को नॉर्मल करते हुए  पसीने को बाजू से साफ करते हुए पानी लेने के लिए जाने लगा ।

 

लेकिन उससे पहले ही रिहा वहांपर अपने छोटे छोटे हाथों से पकड़कर पानी का ग्लास लेकर आ गई और वो पानी रमा जी ओर बढ़ाकर बोली-” लो काकी पानी।” और जब रमा जी ने एक नजर निशान को देखकर फिर रिहा से पानी का ग्लास लिया तो रिहा चुपचाप पावनी के  साइड में जाकर खड़ी हो गई और चुपचाप ये सब देखने लगी।  

 

 लेकिन रमा जी ने जब होश में लाने के लिए पानी के छींटे शांति जी के चेहरे पर मारा तो शांति जी ने कोई हरकत नहीं कि। ये देखकर वो बहुत ज्यादा घबरा गई और  जल्दी जल्दी उनका नब्ज चेक करने लगी। लेकिन लकिली वो अभी भी चल रही थी।

ये सब देखकर पावनी बिलखते हुए हुए एकदम से शांति जी के सीने में अपना सिर रखकर बोली-” माँ! उठो न माँ, उठ जाओ न प्लीज।”

 

तभी निशान ने आगे बढ़कर  उसके कंधे पर धीरे से हाथ रखा और बोला-” पानु  धीरज रखो सब ठीक हो जाएगा, अगर तुम ही ऐसा करोगी तो कैसे चलेगा? प्लीज रोना बन्द करो।”

 

जिसपर पावनी ने अपना सिर उठाकर उसे देखते हुए कहा-” देखो न निशान मेरी माँ को क्या हो गया है, मुझे डर लग रहा है ये उठ क्यों नहीं रही है काकी आप कुछ बोलती क्यों नहीं ।” कहते हुए वो निशान से अपनी नजर हटाकर रमा जी को देखने लगी।

 

इसवक्त पावनी का पूरा चेहरा रोने से एकदम लाल हो गया था और आंसुओ से भीगा हुआ था। उसे ऐसे टूटा हुआ देखकर रमा जी  का दिल एकदम से पसीज गया।

 

 लेकिन वो पावनी के चीक्स पर हाथ फेरकर  बोली-” लाडो इन्हें बस वीकनेस के कारण चक्कर आ गया है, तुम खुद को शांत रखो सब ठीक हो जाएगा हां।”  

लेकिन पावनी ये सुनकर शांति जो को हग करके फूटफूटकर रोने लगी। तभी रमा जी ने निशान को देखकर इशारे में कुछ समझाया और निशान उनका इशारा समझकर आगे आया और पावनी के सिर पर हाथ घुमाकर बोला-” पानु जल्दी करो, इन्हें जल्द से जल्द हॉस्पिटल ले जाना होगा।”

 

पावनी हड़बड़ाते हुए बोली-” हॉस्पिटल। ” ये कहते हुए वो अपनी आंसुओ से भरी हुई नजरों से रमा जी को देख रही थी।

रमा जी उसे देखकर खुद के भावनाओ को बड़ी मुश्किल से काबू किया और बोली-” पानु ऐसे रोते नहीं है बेटा तुम तो हमारी सबसे बहादुर बेटी हो न। देखो तुम्हे देखकर वो रिहा भी रोने लगी है।”

 पावनी ने हल्के से टर्न होकर देखा तो रिहा बिना आवाज के उसके सामने सुबक रही थी। ये देखकर उसने जल्दी से उसे खींचकर अपने सीने से लगा लिया और वो उसे चुप रहने का बोलकर खुद भी सुबकने लगी।

तभी रमा जी निशान से बोली-” निशान देख क्या रहे हो बेटा तुम जल्दी इन्हें उठाओ मैं तबतक दददू को गाड़ी निकालने के लिए बोलती हूँ एम्बुलेंस आने में अभी टाइम लगेगा और हमारे पास इतना वक्त नहीं है।” 

 

इतने में निशान ने आगे बढ़कर शांति जी को जल्दी से अपने गोद में उठा लिया और इतने में रमा जी के कॉल करने पर एक गाड़ी उस अनाथालय के दरवाजे पर आकर रुक गई।

 इसके बाद दददू जो इस अनाथालय के केयरटेकर भी थे उनके साथ निशान और पावनी दोनों शांति जी को लेकर हॉस्पिटल के लिए निकल गए और रमा जी वहीं बाकी बच्चों के पास रुक गई थी क्योंकि वो सभी बच्चे ये सब देखकर बहुत ज्यादा घबरा गए थे। और किसी एक बड़े का यहांपर रुकना बहुत जरूरी था। और शांति जी के अलावा सिर्फ रमा जी ही इन्हें सम्भाल सकती थी।

 

इसवक्त रमा जी अंदर आंगन में तुलसी माता के सामने हाथ जोड़कर शांति जी के लिए प्राथना कर रही थी।

 

वो बोली-” हे तुलसी मइया हमपर अपनी कृपा बनाए रखना, हमारी शांति को जल्दी से ठीक कर देना,  उनके बिना हम नहीं जानते हम ये सब कैसे संभालेंगे।” 

 

 तभी रिहा ने आकर उनके सारी के पल्लू को धीरे से पकड़कर खींचते हुए अपनी कोमल आवाज में उनसे कहा-” काकी, आप चिंता मत करो माँ को कुछ नहीं होगा, वो जल्द ही ठीक हो जाएगी।  पानु दीदी और शान भाई गए हैं न   उन्हें हॉस्पिटल लेकर। “ 

 

उस मासूम बच्ची की इतनी समझदारी वाली बातें  सुनकर रमा जी ने उसे अपनी भावविभोर नजरों से देखा और आस पास खड़े और बच्चों को देखने लगी। वो ऐसे हार नहीं मान सकती थी।  क्योंकि अगर वो हार गई तो फिर इन मासूमों का क्या होगा।

 

इतने में उन सभी बच्चों ने उससे कहा-”  हा काकी रिहा ने हम सभी को समझा दिया है कि माँ हम सभी का ध्यान रखते रखते खुद कमजोर होकर बेहोश हो गई है । लेकिन अब से हम सभी मिलकर उनका ध्यान रखेंगे काकी हम उन्हें बिल्कुल तंग नहीं करेंगे, लेकिन उन्हें जल्दी से होश तो आ जायेगा न काकी?”

 

 रमा जी अभी तक यहीं सोच रही थी कि वो इन बच्चों को कैसे संभालेगी लेकिन उनका ये मुश्किल काम भी उनकी इस समझदार रिहा ने यूँ मिनटों में पूरा कर दिया था । सच में बच्चे भगवान के रूप होते हैं और कभी कभी वो ऐसे मुश्किल हालातों में हम बड़ों से अधिक समझदार साबित होते हैं।

 

वो  खुद को शांत करके रिहा के सिर पर प्यार से हाथ फेरकर फिर हल्के से मुस्कुराते हुए सभी से बोली-” हां बच्चों माँ  बहुत जल्द हम सभी के पास एकदम तंदुरुस्त होकर आएंगी, तुम सब चिंता मत करो वो बिल्कुल ठीक हो जाएगी, आपका हल्क शान भाई और आपकी  एंजल पानु दीदी गई है न उनके साथ तो उन्हें कुछ नहीं होगा। चलो तुम सब चलकर केक खत्म करो।”  कहकर वो उन्हें अपने साथ अंदर लेकर चली गई।

वहीं यहां एक साधारण से अस्पताल का वातावरण गहन और गंभीर बना हुआ था।  अभी कुछ देर पहले  ही शांति जी को तत्काल यहांपर भर्ती करवाया गया था और अंदर डॉक्टर उनकी जांच कर रहे थे।

 

दददू जो यहीं कोई 50 वर्ष के रहें होंगे वो काफी साधारण से दिखते थे लेकिन उनका नेचर बेहद दयालु और स्नेह भरा रहता था। 

 

 वो इसवक्त डॉक्युमेंट्स वगैर का काम देख रहे थे और पावनी निशान दोनों यहां जिस रूम में शांति जी को भर्ती करवाया  गया था उसके बाहर टेंशन में वॉक कर रहे थे। पावनी का रोना बड़ी मुश्किल से थोड़ा रुका था लेकिन अभी भी वो अंदर से मानो जैसे सैलाब में डुबकी लगा रही थी। 

 

तभी डॉक्टर जाँच के बाद बाहर आए तो पावनी और निशान जल्दी से उनके पास चले गए।

 

निशान ने उनसे पूछा-” परिवेश अंकल क्या इन्हें होश आया, अब कैसी है उनकी तबियत?” लेकिन पावनी बस चुप करके उन्हें देख रही थी।

 

ये डॉक्टर जिनका नाम परिवेश था वो उनके लिए बहुत फैमिलियर थे, क्योंकि ये अक्सर अपने टीम के साथ रूटीन चेकअप के लिए उस अनाथालय में आते जाते रहते थे।  

 

लेकिन डॉक्टर परिवेश ने एक गहरी सांस लेकर इशारे से उन दोनों को अपने साथ अपने केबिन में चलने के लिए कहा।

 

इसवक्त  पावनी और निशान दोनों डॉक्टर परिवेश के सामने उनके केबिन में बैठे हुए थे। डॉक्टर परिवेश ने उन्हें पहले तो पानी ऑफर किया  फिर  उनके आगे एक फ़ाइल करते हुए काफी गम्भीरता से कहा-” देखो बच्चों वैसे तो मुखिया जी( वो शांति जी को यहीं करकर सम्बोधित किया करते थे) ने मुझे  ये बात आप में से किसी को भी बताने से साफ मना किया हुआ था लेकिन अब मैं इस बोझ को और अपने  अंदर  नहीं छुपा सकता, हालात अब हाथ से निकल चुका है और एक डॉक्टर होने के नाते इसे मुझे बताना ही होगा।”

 

उनकी ऐसी बातें सुनकर निशान और पावनी के चेहरे पर डर साफ़ तौर पर नजर आने लगा था।

 

 निशान ने तुंरन्त उस फ़ाइल को उठा लिया और वो रिपोर्ट पढ़ने लगा।  जिसे देखकर उसके आंखों के आगे बिल्कुल अंधेरा सा छा गया था और उसके उन कांपते हाथों से वो रिपोर्ट छूटकर नीचे गिर गया था।

 

ये देखकर पावनी ने एक नजर उसे देखा और चिंतित स्वर में बोली-” निशान क्या लिखा था उसमें? क्या हुआ तुम्हें?माँ ठीक तो है ना?” 

 

लेकिन निशान ने एक नजर उसे देखा लेकिन कुछ भी नहीं कहा। इनफैक्ट उसके होंठ कुछ कहने के लिए फड़फड़ा रहे थे लेकिन उसके शब्द मुह से बाहर ही नहीं निकल रहे थे।

 

पावनी जो पहले से घबराई हुई थी अब निशान को ऐसे देखकर उसका डर  और भी बढ़ गया था। उसने नजर घुमाकर डॉक्टर परिवेश को देखा और  हिम्मत जुटाकर डॉक्टर परिवेश से सीधा पूछा-” अंकल आप ही कुछ खुलकर बताइए आखिर बात क्या है? पता नहीं अब इसे क्या हो गया है ।” इतने में उसे एहसास हुआ निशान ने उसके कंधे पर जोर से अपना हाथ रख दिया था। 

 

तभी डॉक्टर परिवेश  गंभीर स्वर में बोला-”मुझे ये अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है पावनी कि मुखिया जी को कैंसर है, और ये आखिरी स्टेज पर है। अब हम सिर्फ उनकी तकलीफ को जितना हो सके कम कर सकते हैं, मुझे माफ़ करना।”

ये सुनकर पावनी के चेहरे का रंग उड़ गया था।  उसे लगा जैसे  उसे किसी ने उठाकर एकदम से ठंडे पानी में फेंक दिया  है और ऊपर से करंट छोड़ दिया है । 

 

 पावनी ने निशान का हाथ अपने कंधे से दूर किया और उस डॉक्टर को देखने लगी उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थे।  वो डॉक्टर  परिवेश से कुछ कहने की कोशिश करती है  लेकिन  उसके मुह से शब्द नहीं निकल रहे थे।

 

निशान ने फिर से पावनी का कंधा पकड़ते हुए धीरे से कहा-” पावनी, संभालो खुद को। “

 

पावनी ने अपनी मुठियों को जोर से बन्द किया और डॉक्टर परिवेश से बोली-” नहीं ये झूठ हैं, उन्हें कुछ नहीं हुआ है, निशान तुम कुछ बोलते क्यों नहीं, तुमने   अंकल से मेरे साथ ऐसा घटिया प्रेंक करने के लिए कहा है न? नहीं एक मिनट इन कागज में क्या लिखा हुआ है।” 

 

फिर वो पागलों की तरह  नीचे फर्स पर बिखरें रिपोर्ट को समेटने लगी और जैसे ही उसकी नजर उस रिपोर्ट कार्ड में लिखे पेसेंट के नाम के सामने डायग्नोसिस स्टेज 4 केंसर, लिखा था और वहांपर आज से करीब 6 महीने पहले की डेट लिखी गई थी। मतलब ये शांति जी की पुरानी रिपोर्ट कार्ड थी।

 इतने में डॉक्टर परिवेश ने गहरी सांस लेकर कहा- “ एक्चुअली उन्हें बहुत देर में इसका पता चला लेकिन उंन्होने बहुत पहले ही इसके इलाज की कोशिश करने से भी मुझे रोक दिया था क्योंकि वो शायद इसकी गम्भीरता को पहले ही समझ गई थी।”

 पावनी सदमें में वहीं फर्स पर गिर गई और सोचने लगी कि कैसे इन दिनों शांति जी कमजोर नजर आने लगी थी और वो बहुत जल्दी ही किसी चीज को करने में थक जाया करती थी। उनके हेयरफॉल एक्ट्रीम लेवल पर हो रहे थे लेकिन उन्होंने हमेशा पावनी के सामने सब ठीक होने का झूठा नाटक किया ।

 “ उसकी माँ इतने टाइम से इतनी प्रॉब्लम में थी और उंन्होने इतने टाइम से उसे इनफैक्ट सभी को धोखे में रखा था?  वो उनकी बेटी थी फिर वो उसके साथ ऐसा कैसे कर सकती थी? वो कैसे  उसे अच्छी लाइफ के लिए प्रोत्साहित करके इतनी तकलीफ अकेले झेल रही थी। “ पावनी को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आत्मा अंदर ही अंदर तड़पकर मर रही है।

 उसे खुदपर ही ग़ुस्सा आ रहा था कि वो कितनी लापरवाह बेटी थी जो अपनी माँ के  इतने दर्द में अपनी लाइफ में इतनी व्यस्त थी।  लेकिन इसमें उसकी भी क्या गलती थी शांति जी ने उससे कभी इस सच को शेयर करना जरूरी नहीं समझा। 

 

निशान ने उसका हाथ पकड़कर उसे उठने में मद्दत की और वापस चीयर में बैठने में हेल्प की और उसे पानी पिलाया। पावनी बस चुप थी।

 

डॉक्टर परिवेश बोले-” पावनी तुम जानती हो वो तुम्हे कभी ये सच क्यों नहीं बताना चाहती थी क्योंकि उन्हें हमेशा से ये डर था कि तुम टूट जाओगी और उन्हें यहीं लगता था कि तुम अभी ये सब सुनने के लिए मेंटली प्रिपेयर नहीं हो। हिम्मत रखो क्योंकि अगर उंन्होने तुम्हें ऐसे देखा तो शायद उन्हें जीवन के इन  आखरी पलों में इससे कहीं ज्यादा दुख होगा। “ 

कुछ देर तक यहांपर बिल्कुल खामोशी सी छाई रही फिर पावनी ऊपर सीलिंग की तरफ देखकर एक गहरी सांस लेकर बोली-”  उन्हें कब तक होश आ जाएगा अंकल?” 

 

डॉक्टर परिवेश उसे इस बात का कोई जवाब दे पाते इतने में एक नर्स वहांपर भागते हुए आई और डोर के सामने आकर डोर नॉक करते हुए जल्दबाजी में बोली-” डॉक्टर शांति जी को होश आया गया है और उंन्होने पावनी जी को अपने पास बुलाया है।”

उससे इतना सुनते ही पावनी तेजी से उठकर उस केबिन से बाहर की तरफ भाग गई और निशान वहीं धक्क  से बैठा रहा और फिर वो भी दददू को कॉल करते हुए वहां से बाहर निकल गया।  

यहां पावनी के कदम अचानक उस 55 नम्बर के कमरे के बाहर आकर धीमे पड़ गए और उसने एक गहरी सांस लेकर छोड़ी  फिर खुद को थोड़ा समझाकर धीरे-धीरे उस कमरे में आ गई जहाँपर शांति जी को एडमिट किया गया था। 

 

पावनी जैसे ही अंदर आई तो उसकी नजर शांति जो के नजरों से जाकर टकरा गई। और पावनी लड़खड़ाई आवाज में बोली-” माँ।”

 

सामने से उनके होठ हिले और उंन्होने  धीरे से कहा-” पानु।”  इसवक्त वो बेहद कमजोर और असहाय सी नजर आ रही थी। उन्हें देखकर पावनी का मन बैठ गया था। वो धीरे धीरे  हर एक चीज को गौर से देखते हुए आगे बढ़ रही थी।

तो आगे क्या नई मोड़ लेने वाली है ये कहानी? क्या पावनी इस दर्द को बर्दाश्त कर पायेगी? क्या शांति जी उसे हमेशा के लिए छोड़कर चली जायेगी?