Dastane - ishq - 15 in Hindi Fiction Stories by Tanya Gauniyal books and stories PDF | Dastane - ishq - 15

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Dastane - ishq - 15

Ek bhi part mai comment na like, ok ok kya kahani pasand nhi aari? Agar aari hai tou comment kyu nhi hai aur ha agar aapko yahi update chaiye phir comment karo par pratilipi par issai aage ki kahani aaram se mill jayngi so go now and do follow and comment and yeah yaha ye last update hai...... 

Now no update agar kahani padhni hai tou jao pratilipi par follow karo aur waha comment bhi aur folllow karo 

आयुषी काफी देर तक वही सदमे मे बैठी रही । उसे लोगो पर गुस्सा आ रहा था ।

उसने दांत काटकिटाते हुए कहा: " अगर  इसे पहले ले आते तो शायद बच जाता पर उन लोगो ने ....( उसे लोगो की बाते याद आई की वो सत्या के नाम से डर रहे थे, ये सोचकर आयुषी ने नफरत से कहा ) सत्या, वो सत्या ने ही मारा है न इसे... " 

बगल मे बैठा ओटो वाला बोला : " मैने और उन सबने कहा था ना  बेटी की सत्या जिसे मारता है वो जिंदा नही बचता, तुम बेवजह उस आदमी को यहा ले आई " 

आयुषी  ने चिड़कर और गुस्से से कहा  : " तो क्या करती ? वहा उसे मरने के लिए  छोड़ देती , वहा किसी मे भी इतनी हिम्मत नही  थी की एक इंसान की जान बचा ले बस खडे़ होकर उसे तड़पता देख रहे थे " 

ओटो वाला आयुषी की हालत समझ सकता था । वो उसके चेहरे पर उदासी देख सकता था । उसे खुद भी बुरा  लग रहा था पर वो जानता था इसे सत्या के आदमियों ने मारा है तो बचना नामुमकिन ही था पर अब उसके पास कुछ करने को  था भी नही क्योंकी वो  मर चुका था ।

उधर नर्स डोक्टर के पास जाकर बोली : " सर जो अभी अभी यहा आई है उन्होंने फोर्म नही भरा " 

" क्यों ?" डोक्टर ने नर्स से पूछा ।

" वो कह रही थी की  वो इन्हें नही जानती " नर्स ने जवाब दिया  ।

डोक्टर ने फोर्म पकड़कर  कहा : " रूको मै बात करता हूँ " 

डोक्टर आयुषी के पास आया और पूछा : " मिस वैसे आपने फ्रोम नही भरा ?" 

आयुषी जो सर पकडे़ ये सब सोच रही थी । 

उसने डोक्टर की आवाज से नजरे उठाकर उसे देखा और खडी़ होकर जवाब दिया : " जी क्योंकि मै इनके बारे मे कुछ नही जानती ये मुझे रोड मे मिले थे " 

ये सुनकर डोक्टर ने पूछा : " आपको पता है ? इनका एक्सीडेंट कैसे हुआ ?"

आयुषी  ने सोचते हुए जवाब दिया : " जी नही , बस ये इसी हालत मे रोड थे " 

डोक्टर ने  उसे जवाब देते हुए कहा  : " ओ तब तो पुलिस केस बनता है , आपको पुलिस को इंफोर्म करना चाहिए " 

आयुषी सोचते हुए बोली : " पुलिस..( उसने कुछ देर सोचकर डोक्टर को देखकर अपनी बात पूरी की  )  हा ये तो मैने सोचा ही नही ? आप सही कह रहे है पुलिस कंप्लेन होनी चाहिए " 

ओटो वाला जो शांति से उन दोनों की बात सुन रहा था वो पुलिस का नाम सुनते ही डर गया और  डर  से बोल पडा़  : "नही, पुलिस कंप्लेन नही होंगी, नही होंगी " 

डोक्टर ने ओटो वाले को देखकर कहा : " क्या आप जानते है पेशेंट का नाम ? "

आयुषी ने ओटो वाले को देखा ।

" न, नही मै नही जानता, पर मै पुलिस कंप्लेन करने से मना कर रहा हूँ " ओटो वाला खौफ से बोला  ।

" क्यों ?" डोक्टर ने हैरानी से पूछा ।

" क, क्योंकि.. इ.. इसे  सत्या ने मारा है या फिर उसके आदमियो ने " वो ओटो वाला हकलाकर बोला ।

डोक्टर ने  जैसे ही ये  सुना वो डर से कांप गया पर वो डर छुपाकर बोला : " व.. वो ..मा.. मै चलता हूँ " 

ये कहकर वो दबे पाओ पीछे मुड़कर चला गया ।

वो नर्स के पास गया और उससे बोला : "इन्हें ऐसे ही जाने दो " 

नर्स ने हैरानी से फोर्म पकड़कर पूछा : " क्यो सर ?" 

" क्योंकि , ,क्योंकि इसे सत्या ने मारा है "  डोक्टर के कहने से नर्स  भी डर गई ।

आयुषी को समझ नही आया की सब सत्या के नाम से डर क्यों रहे है ?  उसने एक पल ओटो वाले को घूरा और नर्स के पास जाकर पूछा ।

" क्या कोई पेमेंट नही देनी ? " 

" न, नही वो हो गया.. ववव ..वैसे भी वो मर गया था "  नर्स ने आयुषी के सवाल से  बेचैनी से इधर उधर देखकर कहा ।

आयुषी ने उसकी घबराहट देखकर  सर्द सी नजरो से उसे देखकर पूछा :  " आप भी सत्या के नाम से घबरा रही है न ?" 

नर्स ने उसकी बात टालकर कहा : " म..मुझे काम है " 

उसने फाइल उठाई और बाहना कर निकल गई ।

वो कुछ सोचकर आधे रास्ते  से पलटकर बोली : " और प्लीज हो सके तो भूल जाओ की तुम किसी को लाई थी और पुलिस के पास जाने की गलती मत करना " 

वो कहकर मुड़कर  चली गई । आयुषी काफी देर तक सोचती रही और फिर बाहर निकलकर ओटो मे बैठी ।

ऑटो वाला ने पूछा : " अब कहा जाना है ? कहा रहती हो ?" 

" पुलिस स्टेशन " आयुषी बोली और ओटो वाले के हाथ से हैंडल छुट गया ।

उधर राधिका घर आ गई थी । अपनी बहन को ना पाकर उसने चिंता से इधर उधर देखा ।

" इस समय दी कहा गई ?" राधिका बुदबुदाई ।

उसने फ्लैट बंद किया और नीचे आकर उसे फोन मिलाया । आयुषी ने अपना  फोन साइलेंट कर  पर्स मे रखा था इसलिए वो सुन नही पाई ।

" हम्म शायद सामान लेने गई हो ?" वो सोचते हुए नीचे आई और पास की दुकानो मे गई । चलते चलते वो काफी दूर निकल गई ।


राधिका मू बनाकर बोली : " हम तो आज ही आए है,  कहा चली गई दी ? अभी तो हम यहा किसी को जानते भी नही " 


वो इधर उधर देख ही रही थी तबतक उसका फोन बजा । उसने सोचा की वो आयुषी का होगा इसलिए उसने बिना देखे उठाकर " हैल्लो " कहा ।


" बेटा कहा हो तुम ? और मेरा फोन क्यों नही उठा रहे थे ?" सामने से एक आदमी घबराई सी आवाज मे बोला । 


सामने आवाज सुनकर राधिका रूक गई और हैरानी से बोली : " अ..आप " 


" हा बेटा , कहा हो तुम दोनों ? और आयुषी कहा है ?" फोन मे से आवाज आई ।


राधिका ने ये बात टालते हुए कहा : " आप.." 


वो आदमी राधिका के बोलने से पहले बोल पडा़ : " राधिका आयुषी कहा है उसे फोन दो, तुम मुझे बता क्यों नही रही ? कहा गई तुम दोनों ? मैने कहा था मुझे बताना जरूर " 


" दी.. व.. वो ..." राधिका कह ही रही थी ततबतक सामने से आवाज आई : " मैने कल उसे फोन किया था उसने फोन नही उठाया " 


" क्या आपने दी को फोन किया था ?" राधिका हैरानी से बोली ।


" हा बेटा मुझे फिक्र हो रही है तुम दोनों की " सामने से आदमी की  फिक्र भरी आवाज आई ।


" वो दी अभी काम से गई है जब वो आएगी आपसे बात करवा दूंगी " राधिका ने कहकर फोन काट दिया ।


वो एक तक फोन को घूरती रही । उसके चेहरे के भाव देखकर कोई नही बता सकता था की उसके मन मे क्या चल रहा है ?, चलते चलते वो काफी आगे निकल गई । वहा उसे एक बीच दिखा । वो वहा एक चट्टान पर जा बैठी । उधर सत्या ने अपनी आँखें खोली और कोट लेकर नीचे पहुंचा । वो कार के पास आया और दरवाजा खोला ।


" सर आपको कही जाना है ?"  पीछे से करन ने पूछा ।


" मै खुद जाऊंगा "  सत्या  कार मे बैठकर बोला ।


" पर सर आप अकेले ? बिना सिक्योरटी के ?" करन ने फिक्र से कहा ।


" यहा मेरी पहचान कोई नही जानता और मै अपने दुशमनो के लिए अकेला काफी हूँ " सत्या ने कहकर गाडी़ शुरू की और चला गया ।


गाडी़ चलाते चलाते वो उसी रास्ते जा पहुंचा जहा आयुषी दिखी थी ।

उसने वहा गाडी़ रोकी जहा वो दिखी थी । उसने कार का शिशा नीचे किया उसे ऐसा लगा जैसे आयुषी उसके सामने ही है , एक अजीब से सुकून ने उसे घेर लिया  । कुछ देर बाद वो ड्राइव करने लगा । काफी दूर ड्राइव करके उसे बीच दिखा । सत्या ने कार साइड मे रोक दी और  बीच पर चला गया । वो शांति से आती जाती लहरो को देखने लगा , उसने सिगरेट निकाली और गश भरने लगा । आज सुबह जो कुछ भी हुआ सब उसे याद आने लगा । उसने आधी पी सिगरेट नीचे फेंक दी और अपने हाथ को निहारते हुए ना जाने क्या सोचने लगा । दुसरी तरफ राधिका शांत सी बैठी थी । उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे ।


वो अपने इमोशन को कंट्रोल करके भारी गले से बोली :  " माँ पापा मै आप दोनों को बहुत मिस करती हूँ " 


काफी देर अपने माँ पिता को याद कर वो रोती रही फिर अपने आँसू पोछकर उठ गई ।


उसने अपने आँसू पोछे और  बुदबुदाई   : " शायद दी आ गई होंगी " 


वो वापिस जाने लगी तबतक वहा कुछ लड़को  ने उसे घेर लिया और उसे देखकर  गलत कमेंट पास करने लगे । वो उन सबसे बचकर जाने लगी पर उन सबने चारो तरफ से उसे घेर लिया ।


उधर आयुषी की बात सुनकर ओटो वाले ने चिड़कर कहा : " आपका दिमाग खराब है ? आप पुलिस स्टेशन क्यों जाना चाहती है ? "


" सत्या की कप्लैन करने "  आयुषी उसे देख आराम से बोली ।


ओटो वाला साफ शब्दो मे बोला : " देखो मैडम तुम्हें अपनी जान की फिक्र नही है पर मुझे है , मेरे छोटे बच्चे है और बीवी भी  है " 


" हा तो जब बच्चे है तो बीवी भी होंगी ही न " आयुषी झल्लाकर बोली और हसँने लगी । वो ओटो वाला उसे अजीब नजरो से देखने लगा ।


आयुषी ने जब देखा की ओटो वाला उसे अजीब नजरो से  देख रहा है तो  वो झेप गई और बात बदलते हुए बोली :" मैने कहा न चलिए पुलिस स्टेशन , कोई चाहे कितना भी गुंडा हो, कानून के आगे सब को झुकना पड़ता है " 


ओटो वाले को उसकी बात पर हैरानी हुई , उसने पूछा : " क्या आप यहा नई आई है आपको कुछ नही पता ?" 


आयुषी ने बेफिक्री से जवाब दिया :  " जी हा मै यहा नई हूँ  ( फिर उसने गुस्से से कहा ) अब बाते नही जल्दी चलिए वरना सत्या का तो पता नही मै जरूर आपको मार दूंगी अगर आप नही लें जाएगे " 


ओटो वाला चिड़कर और झल्लाकर बोला : " मैडम मरूंगा तो मै तब भी अगर सत्या को पता चल गया की मै आपको पुलिस स्टेशन ले गया वो भी उसकी कंप्लैन करवाने " 


ओटो वाले ने उसे समझाने की कोशिश मे कहा : "देखो घर चली जाओ, अपनी नही तो कमसे कम अपने परिवार की खैर मनाओ, सत्या कोई मामूली गुंडा नही है " 


आयुषी ने गुस्से से कहा : " तुम मेरी फिक्र मत करो जितना कहा है उतना करो गाडी़ जल्दी चलाओ " 


आयुषी बोल ओटो मे बैठी । ओटो वाला बेचारा सा मू बनाकर बैठा ।


उसने एक आखिरी कोशिश करते हुए कहा  : " प्लीज मान जाओ " 


उसने एक आखिरी कोशिश करते हुए कहा था पर आयुषी उसे घूरने लगी ।


 वो घूरते हुए बोली : " टाइम वेस्ट मत कीजिए जल्दी चलिए "


ओटो वाले ने मरेमन से ओटो शुरू  किया और भगा दिया ।


सत्या का आदमी जिसने आयुषी और ओटो वाले की सारी बाते सुन ली थी । वो भी उसका पीछा करने लगा । ओटो सीधा पुलिस स्टेशन के सामने रूका । वो आदमी हैरान  रह गया ।


" ये सच मे पुलिस स्टेशन आई है, भाई को बताना पडे़गा " आदमी ने कहकर राजवीर को फोन लगाकर सब कुछ बता दिया ।


" क्या ?"  राजवीर सुनकर  हैरान था की किसी लड़की ने कंपलेन की है ।


वो हैरानी के साथ बुदबुदाया : " आखिर है कौन वो लड़की जो बेपाक हो गई, भाई के खिलाफ जा रही है , क्या उसे भाई के बारे मे कुछ नही पता , कौन है वो, पहले उस आदमी को होस्पिटल ले गई और अब कंप्लेन भी कर रही है " 


राजवीर हैरानी से ये सब सोच रहा था ।


 फोन मे से आदमी जो ये सब सुन रहा था, वो बोला : " वो पता नही अब बताओ क्या करना है ?" 


राजवीर जो ये सोच रहा था उस आदमी की आवाज से होश मे आया और बोला : " वापिस आ जा,पहले तेरा यहा काम है जल्दी आ " 

राजवीर ने कहकर फोन काट दिया । 


ये बात उसने असलम और अनवर को भी बताई तो दोनों हैरान रह गए  ।


" क्या करना है अब ?" राजवीर ने  चिंता से पूछा ।


" क्या करना है क्या मतलब भाई को बताना ही होंगा " असलम सोचते हुए बोला ।


" पर वो लड़की है कौन ?" राजवीर ने असलम को देखकर पूछा । 


अनवर चिंता से बोला : " ऐसा हो सकता है की वो ओटो वाला नही हो और वो लड़की उसका मौहरा हो ( अनवर सोचने लगा  फिर कुछ देर बाद उसने सबसे कहा  : " चलो हमे अभी साहब से बात करनी होंगी "


आयुषी काफी देर तक वही सदमे मे बैठी रही । उसे लोगो पर गुस्सा आ रहा था ।


उसने दांत काटकिटाते हुए कहा: " अगर  इसे पहले ले आते तो शायद बच जाता पर उन लोगो ने ....( उसे लोगो की बाते याद आई की वो सत्या के नाम से डर रहे थे, ये सोचकर आयुषी ने नफरत से कहा ) सत्या, वो सत्या ने ही मारा है न इसे... " 


बगल मे बैठा ओटो वाला बोला : " मैने और उन सबने कहा था ना  बेटी की सत्या जिसे मारता है वो जिंदा नही बचता, तुम बेवजह उस आदमी को यहा ले आई " 


आयुषी  ने चिड़कर और गुस्से से कहा  : " तो क्या करती ? वहा उसे मरने के लिए  छोड़ देती , वहा किसी मे भी इतनी हिम्मत नही  थी की एक इंसान की जान बचा ले बस खडे़ होकर उसे तड़पता देख रहे थे " 


ओटो वाला आयुषी की हालत समझ सकता था । वो उसके चेहरे पर उदासी देख सकता था । उसे खुद भी बुरा  लग रहा था पर वो जानता था इसे सत्या के आदमियों ने मारा है तो बचना नामुमकिन ही था पर अब उसके पास कुछ करने को  था भी नही क्योंकी वो  मर चुका था ।


उधर नर्स डोक्टर के पास जाकर बोली : " सर जो अभी अभी यहा आई है उन्होंने फोर्म नही भरा " 


" क्यों ?" डोक्टर ने नर्स से पूछा ।


" वो कह रही थी की  वो इन्हें नही जानती " नर्स ने जवाब दिया  ।


डोक्टर ने फोर्म पकड़कर  कहा : " रूको मै बात करता हूँ " 


डोक्टर आयुषी के पास आया और पूछा : " मिस वैसे आपने फ्रोम नही भरा ?" 


आयुषी जो सर पकडे़ ये सब सोच रही थी । 


उसने डोक्टर की आवाज से नजरे उठाकर उसे देखा और खडी़ होकर जवाब दिया : " जी क्योंकि मै इनके बारे मे कुछ नही जानती ये मुझे रोड मे मिले थे " 


ये सुनकर डोक्टर ने पूछा : " आपको पता है ? इनका एक्सीडेंट कैसे हुआ ?"


आयुषी  ने सोचते हुए जवाब दिया : " जी नही , बस ये इसी हालत मे रोड थे " 


डोक्टर ने  उसे जवाब देते हुए कहा  : " ओ तब तो पुलिस केस बनता है , आपको पुलिस को इंफोर्म करना चाहिए " 


आयुषी सोचते हुए बोली : " पुलिस..( उसने कुछ देर सोचकर डोक्टर को देखकर अपनी बात पूरी की  )  हा ये तो मैने सोचा ही नही ? आप सही कह रहे है पुलिस कंप्लेन होनी चाहिए " 


ओटो वाला जो शांति से उन दोनों की बात सुन रहा था वो पुलिस का नाम सुनते ही डर गया और  डर  से बोल पडा़  : "नही, पुलिस कंप्लेन नही होंगी, नही होंगी " 


डोक्टर ने ओटो वाले को देखकर कहा : " क्या आप जानते है पेशेंट का नाम ? "


आयुषी ने ओटो वाले को देखा ।


" न, नही मै नही जानता, पर मै पुलिस कंप्लेन करने से मना कर रहा हूँ " ओटो वाला खौफ से बोला  ।


" क्यों ?" डोक्टर ने हैरानी से पूछा ।


" क, क्योंकि.. इ.. इसे  सत्या ने मारा है या फिर उसके आदमियो ने " वो ओटो वाला हकलाकर बोला ।


डोक्टर ने  जैसे ही ये  सुना वो डर से कांप गया पर वो डर छुपाकर बोला : " व.. वो ..मा.. मै चलता हूँ " 


ये कहकर वो दबे पाओ पीछे मुड़कर चला गया ।


वो नर्स के पास गया और उससे बोला : "इन्हें ऐसे ही जाने दो " 


नर्स ने हैरानी से फोर्म पकड़कर पूछा : " क्यो सर ?" 


" क्योंकि , ,क्योंकि इसे सत्या ने मारा है "  डोक्टर के कहने से नर्स  भी डर गई ।


आयुषी को समझ नही आया की सब सत्या के नाम से डर क्यों रहे है ?  उसने एक पल ओटो वाले को घूरा और नर्स के पास जाकर पूछा ।


" क्या कोई पेमेंट नही देनी ? " 


" न, नही वो हो गया.. ववव ..वैसे भी वो मर गया था "  नर्स ने आयुषी के सवाल से  बेचैनी से इधर उधर देखकर कहा ।


आयुषी ने उसकी घबराहट देखकर  सर्द सी नजरो से उसे देखकर पूछा :  " आप भी सत्या के नाम से घबरा रही है न ?" 


नर्स ने उसकी बात टालकर कहा : " म..मुझे काम है " 


  उसने फाइल उठाई और बाहना कर निकल गई ।


वो कुछ सोचकर आधे रास्ते  से पलटकर बोली : " और प्लीज हो सके तो भूल जाओ की तुम किसी को लाई थी और पुलिस के पास जाने की गलती मत करना " 


वो कहकर मुड़कर  चली गई । आयुषी काफी देर तक सोचती रही और फिर बाहर निकलकर ओटो मे बैठी ।



ओटो वाला ने पूछा : " अब कहा जाना है ? कहा रहती हो ?" 


" पुलिस स्टेशन " आयुषी बोली और ओटो वाले के हाथ से हैंडल छुट गया ।


उधर राधिका घर आ गई थी । अपनी बहन को ना पाकर उसने चिंता से इधर उधर देखा ।


" इस समय दी कहा गई ?" राधिका बुदबुदाई ।


उसने फ्लैट बंद किया और नीचे आकर उसे फोन मिलाया । आयुषी ने अपना  फोन साइलेंट कर  पर्स मे रखा था इसलिए वो सुन नही पाई ।


" हम्म शायद सामान लेने गई हो ?" वो सोचते हुए नीचे आई और पास की दुकानो मे गई । चलते चलते वो काफी दूर निकल गई ।


राधिका मू बनाकर बोली : " हम तो आज ही आए है,  कहा चली गई दी ? अभी तो हम यहा किसी को जानते भी नही " 


वो इधर उधर देख ही रही थी तबतक उसका फोन बजा । उसने सोचा की वो आयुषी का होगा इसलिए उसने बिना देखे उठाकर " हैल्लो " कहा ।


" बेटा कहा हो तुम ? और मेरा फोन क्यों नही उठा रहे थे ?" सामने से एक आदमी घबराई सी आवाज मे बोला । 


सामने आवाज सुनकर राधिका रूक गई और हैरानी से बोली : " अ..आप " 


" हा बेटा , कहा हो तुम दोनों ? और आयुषी कहा है ?" फोन मे से आवाज आई ।


राधिका ने ये बात टालते हुए कहा : " आप.." 


वो आदमी राधिका के बोलने से पहले बोल पडा़ : " राधिका आयुषी कहा है उसे फोन दो, तुम मुझे बता क्यों नही रही ? कहा गई तुम दोनों ? मैने कहा था मुझे बताना जरूर " 


" दी.. व.. वो ..." राधिका कह ही रही थी ततबतक सामने से आवाज आई : " मैने कल उसे फोन किया था उसने फोन नही उठाया " 


" क्या आपने दी को फोन किया था ?" राधिका हैरानी से बोली ।


" हा बेटा मुझे फिक्र हो रही है तुम दोनों की " सामने से आदमी की  फिक्र भरी आवाज आई ।


" वो दी अभी काम से गई है जब वो आएगी आपसे बात करवा दूंगी " राधिका ने कहकर फोन काट दिया ।


वो एक तक फोन को घूरती रही । उसके चेहरे के भाव देखकर कोई नही बता सकता था की उसके मन मे क्या चल रहा है ?, चलते चलते वो काफी आगे निकल गई । वहा उसे एक बीच दिखा । वो वहा एक चट्टान पर जा बैठी । उधर सत्या ने अपनी आँखें खोली और कोट लेकर नीचे पहुंचा । वो कार के पास आया और दरवाजा खोला ।


" सर आपको कही जाना है ?"  पीछे से करन ने पूछा ।


" मै खुद जाऊंगा "  सत्या  कार मे बैठकर बोला ।


" पर सर आप अकेले ? बिना सिक्योरटी के ?" करन ने फिक्र से कहा ।


" यहा मेरी पहचान कोई नही जानता और मै अपने दुशमनो के लिए अकेला काफी हूँ " सत्या ने कहकर गाडी़ शुरू की और चला गया ।


गाडी़ चलाते चलाते वो उसी रास्ते जा पहुंचा जहा आयुषी दिखी थी ।

उसने वहा गाडी़ रोकी जहा वो दिखी थी । उसने कार का शिशा नीचे किया उसे ऐसा लगा जैसे आयुषी उसके सामने ही है , एक अजीब से सुकून ने उसे घेर लिया  । कुछ देर बाद वो ड्राइव करने लगा । काफी दूर ड्राइव करके उसे बीच दिखा । सत्या ने कार साइड मे रोक दी और  बीच पर चला गया । वो शांति से आती जाती लहरो को देखने लगा , उसने सिगरेट निकाली और गश भरने लगा । आज सुबह जो कुछ भी हुआ सब उसे याद आने लगा । उसने आधी पी सिगरेट नीचे फेंक दी और अपने हाथ को निहारते हुए ना जाने क्या सोचने लगा । दुसरी तरफ राधिका शांत सी बैठी थी । उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे ।


वो अपने इमोशन को कंट्रोल करके भारी गले से बोली :  " माँ पापा मै आप दोनों को बहुत मिस करती हूँ " 


काफी देर अपने माँ पिता को याद कर वो रोती रही फिर अपने आँसू पोछकर उठ गई ।


उसने अपने आँसू पोछे और  बुदबुदाई   : " शायद दी आ गई होंगी " 


वो वापिस जाने लगी तबतक वहा कुछ लड़को  ने उसे घेर लिया और उसे देखकर  गलत कमेंट पास करने लगे । वो उन सबसे बचकर जाने लगी पर उन सबने चारो तरफ से उसे घेर लिया ।


उधर आयुषी की बात सुनकर ओटो वाले ने चिड़कर कहा : " आपका दिमाग खराब है ? आप पुलिस स्टेशन क्यों जाना चाहती है ? "


" सत्या की कप्लैन करने "  आयुषी उसे देख आराम से बोली ।


ओटो वाला साफ शब्दो मे बोला : " देखो मैडम तुम्हें अपनी जान की फिक्र नही है पर मुझे है , मेरे छोटे बच्चे है और बीवी भी  है " 


" हा तो जब बच्चे है तो बीवी भी होंगी ही न " आयुषी झल्लाकर बोली और हसँने लगी । वो ओटो वाला उसे अजीब नजरो से देखने लगा ।


आयुषी ने जब देखा की ओटो वाला उसे अजीब नजरो से  देख रहा है तो  वो झेप गई और बात बदलते हुए बोली :" मैने कहा न चलिए पुलिस स्टेशन , कोई चाहे कितना भी गुंडा हो, कानून के आगे सब को झुकना पड़ता है " 


ओटो वाले को उसकी बात पर हैरानी हुई , उसने पूछा : " क्या आप यहा नई आई है आपको कुछ नही पता ?" 


आयुषी ने बेफिक्री से जवाब दिया :  " जी हा मै यहा नई हूँ  ( फिर उसने गुस्से से कहा ) अब बाते नही जल्दी चलिए वरना सत्या का तो पता नही मै जरूर आपको मार दूंगी अगर आप नही लें जाएगे " 


ओटो वाला चिड़कर और झल्लाकर बोला : " मैडम मरूंगा तो मै तब भी अगर सत्या को पता चल गया की मै आपको पुलिस स्टेशन ले गया वो भी उसकी कंप्लैन करवाने " 


ओटो वाले ने उसे समझाने की कोशिश मे कहा : "देखो घर चली जाओ, अपनी नही तो कमसे कम अपने परिवार की खैर मनाओ, सत्या कोई मामूली गुंडा नही है " 


आयुषी ने गुस्से से कहा : " तुम मेरी फिक्र मत करो जितना कहा है उतना करो गाडी़ जल्दी चलाओ " 


आयुषी बोल ओटो मे बैठी । ओटो वाला बेचारा सा मू बनाकर बैठा ।


उसने एक आखिरी कोशिश करते हुए कहा  : " प्लीज मान जाओ " 


उसने एक आखिरी कोशिश करते हुए कहा था पर आयुषी उसे घूरने लगी ।


 वो घूरते हुए बोली : " टाइम वेस्ट मत कीजिए जल्दी चलिए "


ओटो वाले ने मरेमन से ओटो शुरू  किया और भगा दिया ।


सत्या का आदमी जिसने आयुषी और ओटो वाले की सारी बाते सुन ली थी । वो भी उसका पीछा करने लगा । ओटो सीधा पुलिस स्टेशन के सामने रूका । वो आदमी हैरान  रह गया ।


" ये सच मे पुलिस स्टेशन आई है, भाई को बताना पडे़गा " आदमी ने कहकर राजवीर को फोन लगाकर सब कुछ बता दिया ।


" क्या ?"  राजवीर सुनकर  हैरान था की किसी लड़की ने कंपलेन की है ।


वो हैरानी के साथ बुदबुदाया : " आखिर है कौन वो लड़की जो बेपाक हो गई, भाई के खिलाफ जा रही है , क्या उसे भाई के बारे मे कुछ नही पता , कौन है वो, पहले उस आदमी को होस्पिटल ले गई और अब कंप्लेन भी कर रही है " 


राजवीर हैरानी से ये सब सोच रहा था ।


 फोन मे से आदमी जो ये सब सुन रहा था, वो बोला : " वो पता नही अब बताओ क्या करना है ?" 


राजवीर जो ये सोच रहा था उस आदमी की आवाज से होश मे आया और बोला : " वापिस आ जा,पहले तेरा यहा काम है जल्दी आ " 

राजवीर ने कहकर फोन काट दिया । 


ये बात उसने असलम और अनवर को भी बताई तो दोनों हैरान रह गए  ।


" क्या करना है अब ?" राजवीर ने  चिंता से पूछा ।


" क्या करना है क्या मतलब भाई को बताना ही होंगा " असलम सोचते हुए बोला ।


" पर वो लड़की है कौन ?" राजवीर ने असलम को देखकर पूछा । 


अनवर चिंता से बोला : " ऐसा हो सकता है की वो ओटो वाला नही हो और वो लड़की उसआयुषी काफी देर तक वही सदमे मे बैठी रही । उसे लोगो पर गुस्सा आ रहा था ।


उसने दांत काटकिटाते हुए कहा: " अगर  इसे पहले ले आते तो शायद बच जाता पर उन लोगो ने ....( उसे लोगो की बाते याद आई की वो सत्या के नाम से डर रहे थे, ये सोचकर आयुषी ने नफरत से कहा ) सत्या, वो सत्या ने ही मारा है न इसे... " 


बगल मे बैठा ओटो वाला बोला : " मैने और उन सबने कहा था ना  बेटी की सत्या जिसे मारता है वो जिंदा नही बचता, तुम बेवजह उस आदमी को यहा ले आई " 


आयुषी  ने चिड़कर और गुस्से से कहा  : " तो क्या करती ? वहा उसे मरने के लिए  छोड़ देती , वहा किसी मे भी इतनी हिम्मत नही  थी की एक इंसान की जान बचा ले बस खडे़ होकर उसे तड़पता देख रहे थे " 


ओटो वाला आयुषी की हालत समझ सकता था । वो उसके चेहरे पर उदासी देख सकता था । उसे खुद भी बुरा  लग रहा था पर वो जानता था इसे सत्या के आदमियों ने मारा है तो बचना नामुमकिन ही था पर अब उसके पास कुछ करने को  था भी नही क्योंकी वो  मर चुका था ।


उधर नर्स डोक्टर के पास जाकर बोली : " सर जो अभी अभी यहा आई है उन्होंने फोर्म नही भरा " 


" क्यों ?" डोक्टर ने नर्स से पूछा ।


" वो कह रही थी की  वो इन्हें नही जानती " नर्स ने जवाब दिया  ।


डोक्टर ने फोर्म पकड़कर  कहा : " रूको मै बात करता हूँ " 


डोक्टर आयुषी के पास आया और पूछा : " मिस वैसे आपने फ्रोम नही भरा ?" 


आयुषी जो सर पकडे़ ये सब सोच रही थी । 


उसने डोक्टर की आवाज से नजरे उठाकर उसे देखा और खडी़ होकर जवाब दिया : " जी क्योंकि मै इनके बारे मे कुछ नही जानती ये मुझे रोड मे मिले थे " 


ये सुनकर डोक्टर ने पूछा : " आपको पता है ? इनका एक्सीडेंट कैसे हुआ ?"


आयुषी  ने सोचते हुए जवाब दिया : " जी नही , बस ये इसी हालत मे रोड थे " 


डोक्टर ने  उसे जवाब देते हुए कहा  : " ओ तब तो पुलिस केस बनता है , आपको पुलिस को इंफोर्म करना चाहिए " 


आयुषी सोचते हुए बोली : " पुलिस..( उसने कुछ देर सोचकर डोक्टर को देखकर अपनी बात पूरी की  )  हा ये तो मैने सोचा ही नही ? आप सही कह रहे है पुलिस कंप्लेन होनी चाहिए " 


ओटो वाला जो शांति से उन दोनों की बात सुन रहा था वो पुलिस का नाम सुनते ही डर गया और  डर  से बोल पडा़  : "नही, पुलिस कंप्लेन नही होंगी, नही होंगी " 


डोक्टर ने ओटो वाले को देखकर कहा : " क्या आप जानते है पेशेंट का नाम ? "


आयुषी ने ओटो वाले को देखा ।


" न, नही मै नही जानता, पर मै पुलिस कंप्लेन करने से मना कर रहा हूँ " ओटो वाला खौफ से बोला  ।


" क्यों ?" डोक्टर ने हैरानी से पूछा ।


" क, क्योंकि.. इ.. इसे  सत्या ने मारा है या फिर उसके आदमियो ने " वो ओटो वाला हकलाकर बोला ।


डोक्टर ने  जैसे ही ये  सुना वो डर से कांप गया पर वो डर छुपाकर बोला : " व.. वो ..मा.. मै चलता हूँ " 


ये कहकर वो दबे पाओ पीछे मुड़कर चला गया ।


वो नर्स के पास गया और उससे बोला : "इन्हें ऐसे ही जाने दो " 


नर्स ने हैरानी से फोर्म पकड़कर पूछा : " क्यो सर ?" 


" क्योंकि , ,क्योंकि इसे सत्या ने मारा है "  डोक्टर के कहने से नर्स  भी डर गई ।


आयुषी को समझ नही आया की सब सत्या के नाम से डर क्यों रहे है ?  उसने एक पल ओटो वाले को घूरा और नर्स के पास जाकर पूछा ।


" क्या कोई पेमेंट नही देनी ? " 


" न, नही वो हो गया.. ववव ..वैसे भी वो मर गया था "  नर्स ने आयुषी के सवाल से  बेचैनी से इधर उधर देखकर कहा ।


आयुषी ने उसकी घबराहट देखकर  सर्द सी नजरो से उसे देखकर पूछा :  " आप भी सत्या के नाम से घबरा रही है न ?" 


नर्स ने उसकी बात टालकर कहा : " म..मुझे काम है " 


  उसने फाइल उठाई और बाहना कर निकल गई ।


वो कुछ सोचकर आधे रास्ते  से पलटकर बोली : " और प्लीज हो सके तो भूल जाओ की तुम किसी को लाई थी और पुलिस के पास जाने की गलती मत करना " 


वो कहकर मुड़कर  चली गई । आयुषी काफी देर तक सोचती रही और फिर बाहर निकलकर ओटो मे बैठी ।



ओटो वाला ने पूछा : " अब कहा जाना है ? कहा रहती हो ?" 


" पुलिस स्टेशन " आयुषी बोली और ओटो वाले के हाथ से हैंडल छुट गया ।


उधर राधिका घर आ गई थी । अपनी बहन को ना पाकर उसने चिंता से इधर उधर देखा ।

" इस समय दी कहा गई ?" राधिका बुदबुदाई ।

उसने फ्लैट बंद किया और नीचे आकर उसे फोन मिलाया । आयुषी ने अपना  फोन साइलेंट कर  पर्स मे रखा था इसलिए वो सुन नही पाई ।

" हम्म शायद सामान लेने गई हो ?" वो सोचते हुए नीचे आई और पास की दुकानो मे गई । चलते चलते वो काफी दूर निकल गई ।

राधिका मू बनाकर बोली : " हम तो आज ही आए है,  कहा चली गई दी ? अभी तो हम यहा किसी को जानते भी नही " 

वो इधर उधर देख ही रही थी तबतक उसका फोन बजा । उसने सोचा की वो आयुषी का होगा इसलिए उसने बिना देखे उठाकर " हैल्लो " कहा ।

" बेटा कहा हो तुम ? और मेरा फोन क्यों नही उठा रहे थे ?" सामने से एक आदमी घबराई सी आवाज मे बोला । 

सामने आवाज सुनकर राधिका रूक गई और हैरानी से बोली : " अ..आप " 

" हा बेटा , कहा हो तुम दोनों ? और आयुषी कहा है ?" फोन मे से आवाज आई ।

राधिका ने ये बात टालते हुए कहा : " आप.." 

वो आदमी राधिका के बोलने से पहले बोल पडा़ : " राधिका आयुषी कहा है उसे फोन दो, तुम मुझे बता क्यों नही रही ? कहा गई तुम दोनों ? मैने कहा था मुझे बताना जरूर " 

" दी.. व.. वो ..." राधिका कह ही रही थी ततबतक सामने से आवाज आई : " मैने कल उसे फोन किया था उसने फोन नही उठाया " 

" क्या आपने दी को फोन किया था ?" राधिका हैरानी से बोली ।

" हा बेटा मुझे फिक्र हो रही है तुम दोनों की " सामने से आदमी की  फिक्र भरी आवाज आई ।

" वो दी अभी काम से गई है जब वो आएगी आपसे बात करवा दूंगी " राधिका ने कहकर फोन काट दिया ।

वो एक तक फोन को घूरती रही । उसके चेहरे के भाव देखकर कोई नही बता सकता था की उसके मन मे क्या चल रहा है ?, चलते चलते वो काफी आगे निकल गई । वहा उसे एक बीच दिखा । वो वहा एक चट्टान पर जा बैठी । उधर सत्या ने अपनी आँखें खोली और कोट लेकर नीचे पहुंचा । वो कार के पास आया और दरवाजा खोला ।

" सर आपको कही जाना है ?"  पीछे से करन ने पूछा ।

" मै खुद जाऊंगा "  सत्या  कार मे बैठकर बोला ।

" पर सर आप अकेले ? बिना सिक्योरटी के ?" करन ने फिक्र से कहा ।

" यहा मेरी पहचान कोई नही जानता और मै अपने दुशमनो के लिए अकेला काफी हूँ " सत्या ने कहकर गाडी़ शुरू की और चला गया ।

गाडी़ चलाते चलाते वो उसी रास्ते जा पहुंचा जहा आयुषी दिखी थी ।

उसने वहा गाडी़ रोकी जहा वो दिखी थी । उसने कार का शिशा नीचे किया उसे ऐसा लगा जैसे आयुषी उसके सामने ही है , एक अजीब से सुकून ने उसे घेर लिया  । कुछ देर बाद वो ड्राइव करने लगा । काफी दूर ड्राइव करके उसे बीच दिखा । सत्या ने कार साइड मे रोक दी और  बीच पर चला गया । वो शांति से आती जाती लहरो को देखने लगा , उसने सिगरेट निकाली और गश भरने लगा । आज सुबह जो कुछ भी हुआ सब उसे याद आने लगा । उसने आधी पी सिगरेट नीचे फेंक दी और अपने हाथ को निहारते हुए ना जाने क्या सोचने लगा । दुसरी तरफ राधिका शांत सी बैठी थी । उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे ।

वो अपने इमोशन को कंट्रोल करके भारी गले से बोली :  " माँ पापा मै आप दोनों को बहुत मिस करती हूँ " 

काफी देर अपने माँ पिता को याद कर वो रोती रही फिर अपने आँसू पोछकर उठ गई ।

उसने अपने आँसू पोछे और  बुदबुदाई   : " शायद दी आ गई होंगी " 

वो वापिस जाने लगी तबतक वहा कुछ लड़को  ने उसे घेर लिया और उसे देखकर  गलत कमेंट पास करने लगे । वो उन सबसे बचकर जाने लगी पर उन सबने चारो तरफ से उसे घेर लिया ।

उधर आयुषी की बात सुनकर ओटो वाले ने चिड़कर कहा : " आपका दिमाग खराब है ? आप पुलिस स्टेशन क्यों जाना चाहती है ? "

" सत्या की कप्लैन करने "  आयुषी उसे देख आराम से बोली ।

ओटो वाला साफ शब्दो मे बोला : " देखो मैडम तुम्हें अपनी जान की फिक्र नही है पर मुझे है , मेरे छोटे बच्चे है और बीवी भी  है " 

" हा तो जब बच्चे है तो बीवी भी होंगी ही न " आयुषी झल्लाकर बोली और हसँने लगी । वो ओटो वाला उसे अजीब नजरो से देखने लगा ।

आयुषी ने जब देखा की ओटो वाला उसे अजीब नजरो से  देख रहा है तो  वो झेप गई और बात बदलते हुए बोली :" मैने कहा न चलिए पुलिस स्टेशन , कोई चाहे कितना भी गुंडा हो, कानून के आगे सब को झुकना पड़ता है " 

ओटो वाले को उसकी बात पर हैरानी हुई , उसने पूछा : " क्या आप यहा नई आई है आपको कुछ नही पता ?" 

आयुषी ने बेफिक्री से जवाब दिया :  " जी हा मै यहा नई हूँ  ( फिर उसने गुस्से से कहा ) अब बाते नही जल्दी चलिए वरना सत्या का तो पता नही मै जरूर आपको मार दूंगी अगर आप नही लें जाएगे " 

ओटो वाला चिड़कर और झल्लाकर बोला : " मैडम मरूंगा तो मै तब भी अगर सत्या को पता चल गया की मै आपको पुलिस स्टेशन ले गया वो भी उसकी कंप्लैन करवाने " 

ओटो वाले ने उसे समझाने की कोशिश मे कहा : "देखो घर चली जाओ, अपनी नही तो कमसे कम अपने परिवार की खैर मनाओ, सत्या कोई मामूली गुंडा नही है " 

आयुषी ने गुस्से से कहा : " तुम मेरी फिक्र मत करो जितना कहा है उतना करो गाडी़ जल्दी चलाओ " 

आयुषी बोल ओटो मे बैठी । ओटो वाला बेचारा सा मू बनाकर बैठा ।

उसने एक आखिरी कोशिश करते हुए कहा  : " प्लीज मान जाओ " 

उसने एक आखिरी कोशिश करते हुए कहा था पर आयुषी उसे घूरने लगी ।

 वो घूरते हुए बोली : " टाइम वेस्ट मत कीजिए जल्दी चलिए "

ओटो वाले ने मरेमन से ओटो शुरू  किया और भगा दिया ।

सत्या का आदमी जिसने आयुषी और ओटो वाले की सारी बाते सुन ली थी । वो भी उसका पीछा करने लगा । ओटो सीधा पुलिस स्टेशन के सामने रूका । वो आदमी हैरान  रह गया ।

" ये सच मे पुलिस स्टेशन आई है, भाई को बताना पडे़गा " आदमी ने कहकर राजवीर को फोन लगाकर सब कुछ बता दिया ।

" क्या ?"  राजवीर सुनकर  हैरान था की किसी लड़की ने कंपलेन की है ।

वो हैरानी के साथ बुदबुदाया : " आखिर है कौन वो लड़की जो बेपाक हो गई, भाई के खिलाफ जा रही है , क्या उसे भाई के बारे मे कुछ नही पता , कौन है वो, पहले उस आदमी को होस्पिटल ले गई और अब कंप्लेन भी कर रही है " 

राजवीर हैरानी से ये सब सोच रहा था ।

 फोन मे से आदमी जो ये सब सुन रहा था, वो बोला : " वो पता नही अब बताओ क्या करना है ?" 

राजवीर जो ये सोच रहा था उस आदमी की आवाज से होश मे आया और बोला : " वापिस आ जा,पहले तेरा यहा काम है जल्दी आ " 

राजवीर ने कहकर फोन काट दिया । 

ये बात उसने असलम और अनवर को भी बताई तो दोनों हैरान रह गए  ।

" क्या करना है अब ?" राजवीर ने  चिंता से पूछा ।

" क्या करना है क्या मतलब भाई को बताना ही होंगा " असलम सोचते हुए बोला ।

" पर वो लड़की है कौन ?" राजवीर ने असलम को देखकर पूछा । 


अनवर चिंता से बोला : " ऐसा हो सकता है की वो ओटो वाला नही हो और वो लड़की का मौहरा हो ( अनवर सोचने लगा  फिर कुछ देर बाद उसने सबसे कहा  : " चलो हमे अभी साहब से बात करनी होंगी "

सबने हा कहा और वो लोग गाडी़ मे बैठकर होटल की तरफ निकल गए ।

हर हर महादेव ।