आयुषी ने सारा सामान ले लिया था और वो वापिस उस रास्ते मे जा रही थी । उसने देखा वहा भीड़ इकट्ठा हुई है तो वो उस तरफ आई ।
" क्या हुआ यहा पे ?" उसने इधर उधर देखकर पूछा ।
" वो वो .. वहापर " वो आदमी सामने इशारा कर बोला ।
आयुषी भीड़ को चीरते हुए आई और उस नीचे गिरे हुए इंसान को देखकर उसके हाथ से सारा सामान नीचे गिर गया और वो जोर से चीख पडी़ ।
" आआआआ.." उसने अपना हाथ मे मू मे रख दिया ।
उस इंसान को तड़पता देख वो नीचे बैठी और चीखते हुए लोगो से बोली : " कैसे लोग है आप सब, यहा ये तड़प रहे है और आप भूत बनकर खडे़ है , अरे कोई होस्पिटल ले जाओ इन्हें , एंबुलेंस को फोन करो "
पर किसी ने एक शब्द नही कहा ।
जब आयुषी ने सबको खामोश देखा तो चीखी : " अरे कैसे बेरहम लोग है, सबके सब चुपचाप सिर्फ तमाशा देख रहे है , क्या दिखाई नही देता कितनी लगी है इन्हें "
एक आदमी आगे आकर बोला : " " लड़की देखो इसे जिसने मारा है उसने साफ मना किया है इसे होस्पिटल ले जाने से "
" हा बेटी तुम भी हट जाओ " दुसरा आदमी भी आगे आकर बोला ।
उन दोनों की बात सुनकर आयुषी उन दोनों पर चीखते हुए बोली : " छी कैसे है आप सब एक इंसान को मरता हुआ देख सकते है पर बचा नही सकते "
" हम कुछ नही कर सकते है,अगर हम मे से किसी ने इसे हाथ भी लगाया तो हमारी जान के साथ साथ हमारे अपने भी मारे जाएगे " वो आदमी बेबसी से बोला ।
" और इसकी जान का क्या ? " आयुषी ने उस आदमी पर चीखकर पूछा जिससे वो आदमी कुछ नही बोला ।
आयुषी ने इधर उधर देखकर पूछा : " आप मे से कोई भी इनकी मदद करेंगा या नही ? "
आयुषी की बात सुनकर कुछ लोग चले गए और कुछ लोग वही खडे़ होकर उसकी बाते सुनकर खुद को बेबस महसूस कर रहे थे ।क्योंकि वो सब मीडियम क्लास की फैमली से थे जहा उनका परिवार था और अगर वो सत्या जैसे गुंडे के खिलाफ जाते तो उनकी जान को खतरा ही नही बल्कि उनके परिवार पर भी खतरा होता ।
जब आयुषी ने देखा की कोई उसकी मदद नही कर रहा और ना ही कुछ कह रहा है तो वो समझ गई की कोई उसकी मदद के लिए नही आएगा । उसे खुद कुछ करना होंगा ।
" ठीक है आप सब खामोश रहिए पर मै नही रहूंगी " आयुषी ने उस भीड़ को घूरकर कहा ।
फिर उसने अपनी बात पूरी कर कहा : " इस भीड़ मे कोई एक ऐसा इंसान नही है जो इंसानियत जानता है पर मै नही भूली अपनी इंसानियत "
ये कहकर उसने जल्दी से फोन निकाला और emergency नंबर डायल किया । होस्पिटल मे फोन बजा और एक लड़की ने फोन उठाया ।
" जी कहिए " लड़की ने कहा ।
तो आयुषी ने घबराकर कहा : " व.. वो रोड मे, रोड मे एक आदमी पडा़ है उसकी condition काफी सीरियस है आप ambulance भेज दीजिए "
" क्या वो critical condition मे है ?" उस लड़की ने पूछा ।
तो आयुषी ने उस आदमी को देखकर कहा : " हा, हा, बहुत ज्यादा प्लीज जल्दी से आ जाइए "
" देखिए मेरी बात सुनिए अगर वो critical कंडिशन मे है तो आप अपनी गाड़ी से आ जाइए क्योंकि सारी ambulance बीजी है और अगर फ्री हो भी गई तो शायद आप तक पहुंचने मे लेट कर दे "
" पर मेरे पास कोई गाड़ी नही है मै नही आ सकती " आयुषी ने कहकर इधर उधर देखकर उस रोड का नाम और कुछ दुकानो के नाम बताए ।
ये सब जानकर उस लड़की ने कहा : " ठीक है मै ambulance भेजती हूँ पर अगर हो सके तो आप आ जाइए कही हमे देर हो गई तो उस आदमी की जान चली जाएगी "
ये सब कहकर उस लड़की ने एडरेस दिया और फोन कट हो गया ।
आयुषी ने उस आदमी की हालत देखी तो उसे जल्द से ले जाना ही बहतर समझा इसलिए वो भीड़ को चीरते हुए ओटो के लिए भागी ।
काफी ओटो के बाद एक ओटो वाला रूका ।
आयुषी ने हाफती हुई आवाज मे कहा : " वहा एक आदमी पडा़ है उसे होस्पिटल ले जाना है "
" जी चलिए " ये कहकर वो ओटो वाला आयुषी के साथ गया ।
आयुषी और वो ओटो वाला उस आदमी को उठाने लगे वहा सत्या का आदमी जो ये सब देख रहा था ।
" ऐ लड़की उसे वही छोड़ " सत्या का आदमी आगे आकर बोला ।
आयुषी ने गुस्से से उसे देखकर कहा : " हट जाओ आगे से "
" ऐ ज्यादा बकवास ना कर फेंक इसे यहा पे वरना इसका अंजाम अच्छा नही होंगा " सत्या का आदमी बोला ।
वहा जितने भी लोग थे वो आयुषी को समझाने की कोशिश मे लग गए ।
एक आदमी ने आयुषी से कहा : " लड़की देखो, इसे जिसने मारा है उसने साफ मना किया है की कोई इसे नही बचाएगा "
आयुषी ने एक पल सबको देखा फिर चीखते हुए लोगो से बोली : " कैसे लोग है आप सब, यहा ये तड़प रहे है और आप भूत बनकर खडे़ है और जब मै ले जा रही हूँ तो मुझे भी रोक रहे है "
सत्या के आदमी को देखकर किसी ने आगे एक शब्द नही कहा ।
" अरे कैसे बेरहम लोग हो सबके सब , क्या दिखाई नही देता कितनी लगी है इन्हें, मुझे रास्ता दीजिए " आयुषी दोबारा चीखी ।
सत्या के आदमी ने उसे धमकाकर कहा : " अगर तू इसे ले गई तो इसका अंजाम अच्छा नही होंगा "
आयुषी ने गुस्से से सत्या के आदमी को देखकर कहा : " तुम कौन होते हो रोकने वाले हट जाओ आगे से "
" ऐ ज्यादा बकवास ना कर फेंक इसे यहा पे वरना इसका अंजाम अच्छा नही होंगा " सत्या के आदमी ने उसे दोबारा धमकाया ।
" बेटी मान जा मत जा " उनमे से एक आदमी बोला ।
उन सबकी बात से आयुषी चिल्लाकर बोली : " कैसी बात कर रहे है आप सब ? इसे मरने को यही छोड़ दू ?"
सत्या का आदमी गुस्से से बोला : " क्या तू नही जानती इसे किसने मारा है , सत्या ..सत्या ने मारा है और उनका ये हुक्म है की इसे कोई नही बचाएगा "
सत्या का नाम सुनकर आयुषी सर्द सी नजरो से बोली : " अच्छा और अगर मै ना मानू तो ?"
अभी बस उसे इस इंसान की जान बचानी थी किसी भी कीमत पर इसलिए वो सत्या के नाम से डर भी नही रही थी ।
" इसका अंजाम अच्छा नही होंगा तेरे लिए " आदमी ने डरावनी आवाज मे कहा तो आयुषी उसके पास आई और गालो मे थप्पड़ मार दिया । ये देखकर वहा सब हैरान रह गए । उस आदमी ने मुट्ठी बंद कर दी अगर ये किसी मर्द ने किया होता तो अब तक वो जिंदा नही बचता ।
" जाओ ये जवाब देदो उस सत्या को " आयुषी जो हमेशा मासूम सा चेहरा बनाकर रहती थी वो गुस्से से तिलमिला कर बोली । वो उस आदमी के पास आई और साहरा देकर ले जाने लगी ।
सत्या के नाम से उस ओटो वाले ने उस आदमी को छोड़कर कहा : " मैम साहब मै नही ले जा सकता, इ, इसे सत्या ने मारा है मेरी, मेरी ऐसी हिम्मत कहा जो उसके खिलाफ जाऊं, मेरा परिवार है, मै ऐसे कैसे गुंडे से पंगा लेलू "
उस ओटो वाले की बात सुनकर सत्या का आदमी टेडा़ मुस्कराने लगा और बोला : " ये इंसान समझदार है "
आयुषी ने गुस्से से सत्या के आदमी को घूरा और फिर उस ओटो वाले से कहा : " अगर तुम नही ले गए तो मै तुम्हें इसी कांच से मार डालूंगी "
बेचारा ओटो वाला फंस गया अगर वो उसे ले जाएगा तो मरेगा और अगर नही ले जाएगा तो सामने खडी़ लड़की के हाथो मरेगा ।
आयुषी उस ओटो वाले के पास जाकर बोली : " सोच क्या रहे हो जल्दी आओ "
वो डरते डरते आया और उसे कंधा देकर आटो तक ले गया । उसने पीछे मुड़कर देखा तो सत्या का आदमी उसे घूर रहा था । ये देखकर वो एक पल के लिए सहम गया ।
आयुषी ने उस आदमी को ओटो मे लेटाया और दुसरी तरफ बैठ गई और ओटो चल निकला ।
सत्या का आदमी दांत किटकिटाते हुए बोला : " ये लड़की और आदमी गए काम से , इन्होंने साहब के खिलाफ जाकर अच्छा नही किया, ये बात तो बतानी पडे़गी "
उधर सत्या होटल मे खडा़ था उसके पीछे उसके सारे आदमी खडे़ थे ।
उसने एक सिगरेट निकालकर मू मे रखकर गश भरकर कहा : " चच्चा "
" हा साहब " अनवर उसके सामने आकर बोला ।
" मेरा महल तैयार करो मै आ रहा हूँ वहा " वो धुआँ उडा़कर बोला ।
ये सुनकर अनवर ने खुशी छुपाकर : " जी साहब " कहा ।
अनवर के साथ साथ राजवीर असलम बाहर गए ।
" तैयारियाँ अच्छे से करना, साहब इतने सालो के बाद अपने घर जा रहे है " अनवर खुशी से बोला ।
" हा चच्चा सब ठीक से होंगा " राजवीर बोला ।
वो लोग जा रहे थे तबतक राजवीर को फोन आया ।
उसने फोन उठाकर कहा : " हा बता क्या हुआ ?"
वो आदमी रास्ते को देखकर बोला : " यहा एक लड़की और एक ओटो वाले ने उसे बचा लिया "
राजवीर को ये सुनकर काफी हैरानी हुई ।
उसने कंफोर्म करते हुए पूछा : " लड़की ने ?"
आदमी ने हा कहा ।
" हम्म " राजवीर ये बोल सोच मे पड़ गया ।
आदमी ने पूछा : " अब क्या करना है ,? क्या उस लड़की को उठवा ले ?"
राजवीर ने कुछ सोचा और उसे मना करते हुए कहा : " नही अभी नही, अभी तू सिर्फ उसका पीछा कर बस कैसे भी करके वो आदमी बचना नही चाहिए , वरना तू नही बचेगा बाकी बताते रहना क्या हो रहा है "
" ठीक है " उस आदमी ने कहकर फोन कट कर दिया और आयुषी का पीछा करने लगा ।
सत्या ने करन से कहा : " आज से तुम यही से सारा काम संभालोंगे "
करन ने " ओकए सर " कहा ।
सत्या टेडी़ हँसी हसँकर बोला : " अब यही मेरा बसेरा है , अब इस शहर को मेरे कहर से कोई नही बचा सकता "
वो डरवानी हँसी हसँने लगा । उसकी हँसी पूरे फ्लैट मे गुंजने लगी ।
उसने करन को जाने का इशारा दिया । उसके जाते ही सत्या ने अपनी सिगरेट नीचे फेंकी और ब्रेसलेट निकालकर उसे निहारने लगा । उसकी गहरी नीली आँखें उस ब्रेसलेट की चमक को देख रही थी ।
" ना जाने कितनी बार उसने तुम्हें पहना होंगा , तुमने उसके हाथो को छूआ होंगा , उसकी कलाई को महसूस किया होंगा " आचानक ही सत्या मन मे बुदबुदाया ।
वो उस ब्रेसलेट को हर तरफ से छूने लगा । कुछ देर बाद वो कपडे़ बदलकर आया और लेट गया । उसने वो ब्रेसलेट टेबल मे रखा था ।दुसरी तरफ आयुषी होस्पिटल मे थी और आदमी को अभी अभी वार्ड मे ले गए थे ।
" मिस आप फ्रोम भर दिजिए " नर्स आयुषी से बोली ।
आयुषी ने जवाब दिया : " सौरी मै इन्हें नही जानती "
" अम्म मतलब ?" नर्स ने कंफ्यूजन से पूछा ।
आयुषी ने जवाब मे कहा : "एक्चुली ये मुझे रास्ते मे मिले थे, मै नही जानती इनके बारे मे कुछ, ना ही इनका नाम , ना ही पहचान, ये कहा रहते है क्या करते है कुछ भी नही "
" ओ, ओकए " नर्स बोलकर काउंटर मे चली गई ।
" अ, अब मै जाऊं ?" ओटो वाले ने आयुषी को देखकर पूछा ।
" नही अभी रूकिए " आयुषी बोलकर बैठ गई ।
काफी देर बाद डोक्टर आए और आयुषी खडे़ होकर उनके पास गई और पूछा : " डाक्टर क्या हुआ ?"
डोक्टर ने अफसोस के साथ कहा : " जी आपने उन्हें लाने मे देर कर दी वो कबके मर गए है "
" क्या " आयुषी ने हैरानी से कहा ।
" जी हा प्लीज आप फोर्म भर दिजिए " डोक्टर कहकर चला गया ।
" बच गई लड़की अगर ये बच जाता तो तूझे और इस ओटो वाले को साहब से कोई नही बचा सकता था " सत्या का आदमी जो छुपकर सुन रहा था वो बुदबुदाया ।
उसने राजवीर को फोन किया और जब सामने से राजवीर ने फोन उठाया तो वो बोला : " वो आदमी मर गया "
राजवीर खुशी से बोला : " वाह बहुत अच्छी खबर है " और बिना कुछ बोले उसने फोन काट दिया ।
उधर आयुषी काफी देर तक वही सदमे मे बैठी रही ।
हर हर महादेव ।
So ye kahani continue hongi pratilipi par kahani ka name same hai but poster yaha update nhi hora tou same nhi hai but dark hai. After 10 - 15 episode i will stop this update if, you want do comment and follow me on pratilipi
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Story name - same - Dastane - ishq ( mafia romance) see the picture you will get to know
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