विमल की बात को मान कर चेतना ने उसी दिन शाम को हर्ष से पूछा, "हर्ष अब हमें तेरी शादी करनी है। यदि तूने कोई लड़की पसंद कर रखी हो तो बता दे, हमें लड़की ढूँढने में जबरदस्ती की मेहनत नहीं करनी पड़े।"
हर्ष ने कहा, "अरे नहीं मम्मी, मैंने किसी लड़की को पसंद नहीं किया है। आप अपनी पसंद की लड़की ढूँढ लीजिए।"
"क्यों क्या तू मेरी पसंद की लड़की से चुपचाप शादी कर लेगा?"
"नहीं-नहीं ऐसा मैंने कब कहा? मैं भी देखूँगा, लड़की हम तीनों को पसंद आनी चाहिए।"
हर्ष की बात सुनकर विमल ने चेतना की तरफ़ देखा और मुस्कुरा दिए। तब चेतना उन्हें घूर कर देखने लगी तो विमल ने दूसरी तरफ़ सर घुमा लिया।
इस तरह से लड़की ढूँढने का अभियान शुरू हो गया। ना जाने कितनी ही लड़कियों को हर्ष ने मना कर दिया। किसी की आंखें छोटी हैं, किसी की नाक मोटी है तो किसी का रंग सांवला है, कोई ज़्यादा पतली है तो कोई मोटी है। इस तरह काफ़ी समय बीतता जा रहा था। घर में सभी को एक बहुत ही खूबसूरत लड़की का इंतज़ार था, जो हर्ष के बाजू में खड़ी हो तो किसी भी सूरत में उससे कम ना लगे। उनका मानना था कि जोड़ी टक्कर की होनी चाहिए।
उनका परिवार जब भी कहीं लड़की देखने जाता तो विमल तनाव ग्रस्त हो जाते। उन्हें हमेशा डर लगा रहता कि अच्छी भली लड़की में हर्ष फिर कुछ कमी निकाल देगा और ना में जवाब उन्हें देना पड़ेगा, जो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी बेचारे अपने बेटे के विवाह के लिए यहाँ से वहाँ भटकते ही रहते थे।
कई बार वह हर्ष को समझा कर कहते, "बेटा अच्छी तो है लड़की, क्यों मना कर रहा है? अरे क्या मैं तेरे लिए स्वर्ग से कोई अप्सरा लेकर आऊँ?"
हर्ष हँस कर कहता, "पापा देख लेना आएगी तो अप्सरा ही।"
इसी बीच एक परिवार से लड़की का रिश्ता आया। लड़की की फोटो भी उनके पास भेजी गई। फोटो में तो लड़की बहुत ही सुंदर लग रही थी।
चेतना ने अपने पति विमल से कहा, "मुझे लगता है यहाँ बात जम जाएगी। लड़की बहुत ही सुंदर लग रही है।"
विमल कुछ कहता उससे पहले ही हर्ष ने कहा, "मम्मी तस्वीर में तो बहुत-सी लड़कियाँ सुंदर दिखती हैं। हक़ीक़त तो सामना होने पर ही पता चलती है। चेहरे की कमी को मेकअप से छिपाना तो लड़कियों के लिए बहुत ही आसान हो गया है। ब्यूटी पार्लर सब कमियों को पूरी कर देता है।"
विमल ने बौखला कर कहा, "हर्ष क्यों इतना नकारात्मक सोचते हो तुम? हो सकता है लड़की सच में बहुत सुंदर हो। तुम अब तक लगभग बीस लड़कियों को मना कर चुके हो। जवाब तो मुझे देना पड़ता है और इस तरह किसी की बेटी का अपमान करना मुझे अच्छा नहीं लगता।"
"क्या पापा जब पसंद आएगी तभी तो करूँगा ना शादी?"
विमल ने कहा, “पता नहीं आज भी क्या होने वाला है, मुझे तो बेचैनी हो रही है।”
हर्ष ने कहा, “ठीक है पापा, देखने चलते हैं, उसके बाद ही आगे की बात तय होगी।”
इस तरह वे तीनों लड़की देखने गरिमा के घर पहुंच गए। गरिमा के परिवार ने उन्हें बहुत ही आदर सत्कार के साथ बिठाया।
हर्ष को देखते ही गरिमा की मम्मी ने कहा, "वाह हर्ष तो कितना हैंडसम है।"
विमल धीरे से मन ही मन में बुदबुदाया, "यही तो मुसीबत है।"
अब सब को लड़की का इंतज़ार था। क्या वह हर्ष को पसंद आएगी?
कुछ ही समय में गरिमा चाय और नाश्ता लेकर आई। उसे देखकर उन तीनों की आंखों में चमक आ गई। जिस सुंदरता का वे इंतज़ार कर रहे थे, वह आज उनके सामने खड़ी थी। हल्के गुलाबी रंग की साड़ी से गरिमा की सुंदरता में चार चांद लग रहे थे। काले घुँघराले बालों की लंबी चोटी गले से आगे सीने पर से लटकती हुई नीचे कमर तक जा रही थी, मानो कोई नागिन हो। गरिमा ने सुंदर आभूषण पहन रखे थे। होठों पर हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक थी। ज़्यादा ना सही परंतु हल्का-सा मेकअप चेहरे पर ज़रूर दिखाई दे रहा था।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः