unknown connection - 44 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 44

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अनजान रीश्ता - 44

अविनाश स्टेज पर गाना तो गा रहा था लेकिन उसका दिल मानो वही अस्पताल में ही था वैसे तो वह यह सारी की सारी चीजें जगमगाहट देख रहा था पर वह बार-बार पारुल को ही मन में याद कर रहा था । वह सोच रहा था कि पारुल को होश आया होगा या नहीं या फिर उसे कुछ हुआ तो नहीं होगा यह सारे ख्याल उसके मन में घूम रहे थे वह मानो जैसे एक मूर्ति बनकर स्टेज पर खड़ा था । वह किसी भी तरह जल्द से जल्द यहां तो खत्म करके यहां से जाना चाहता था लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकता था इसी वजह से उसके दिल में एक बेचैनी सी हो रही थी उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट तो थी लेकिन मन में जो उथल-पुथल हो रही थी वहां सिर्फ अविनाश ही जानता था।


अविनाश: कितनी देर लगेगी यार अब बहुत हो गया और कितना टाइम बाकी है जो खत्म होने में।


विशी: ( अविनाश का मैनेजर ) बस अब इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस है करीब एक दो घंटे लगेंगे उसके बाद पार्टी में भी जाना है तुम्हे ।


अविनाश: विशी यार इस बार मेरी मदद करदो कुछ भी करके ये पार्टी और प्रेस को तुम संभाल लो प्लीज़ यार मेरा सच मै में नहीं कर रहा है। एक अजीब सी घुटन महसूस हो रही है ।


विशी: क्या बात है सब कुछ ठीक तो है । आई मीन मैंने कभी भी तुम्हे इतना परेशान नहीं देखा । जब तुम्हारा स्कैंडल सोफिया के साथ हुआ था तब भी नहीं ।


अविनाश: कुछ ठीक ही तो नहीं है। यार ..! ( हांहआ..) पता नहीं भगवान मुझसे किस बात का बदला ले रहे है । अगर मुजसे दुश्मनी है तो मुझसे लड़े ये कैसी लड़ाई है जहां पर चौट किसी दूसरे को मिले और दर्द किसी ओर को पहुंचे।


विशी: ( मुस्कुराते हुए ) तुम अविनाश ही हो ना..!?


अविनाश: ( चिढ़ते हुए ) क्या मतलब!! और तुम मुस्कुरा रहे हो यहां मेरी जान निकली जा रही है और तुम मुस्कुरा रहे हो कसम से अगर तुम मेरे मैनेजर ना होते तो ये तुम्हारे दांत ज़मीन पर गिरे हुए मिलते।


विशी: ( जोर जोर से हंसते हुए ) पहली बात मुझे समझ नहीं आ रहा मै मुस्कुराऊं या रोउ क्योंकि एक तो पहली बार तुम्हे इन्सानों जैसे व्यवहार करते देख रहा हूं और दूसरी बात इतने सालो मे पहली बार तुम्हारे मुंह से भगवान का नाम सुना है । तो मुझे तो लगता है आज मेरा आखिरी दिन है इस दुनिया मै।


अविनाश: सीरियसली!! सारी बातें कहीं उसमें से तुमने सिर्फ यही बातें ध्यान में ली कमोन!! पता नहीं क्या हो गया है लोगो को!!?


विशी: लोगो को कुछ नहीं हुआ है तुम बदल रहे हो तो हम सब का ऐसे रिएक्ट करना लाज़मी है। और ये तो बताओ कौन है वो लड़की!!!?


अविनाश: लड़...की..! कौनसी लड़की!!?


विशी: ओह हैलो ये ज्यादा भोले बनने कि जरूरत नहीं है तुम्हारी हर एक आदत से वाकिफ हूं तो बताओ बोलो किसी के साथ डेट पर जाना है यार फिर कुछ और हां!!?


अविनाश: ( गुस्से में ) नो.. स्टॉप इट जस्ट शट अप तुम उसके बारे मे ऐसा सोच भी कैसे सकते हो ! प्यार करता हूं मै उससे समझे तुम आइंदा अगर ऐसी उल्टी सीधी बातें की तो मुजसे बुरा कोई नहीं होगा


विशी: ओके ओके चिल डयुड!!? फाइन पर कम से कम तुमने माना तो सही की तुम उससे प्यार करते हो!!


अविनाश: हा करता हूं प्यार है मुझे उससे प्यार बोलो क्या करोगे तुम इन्फेक्ट इस पूरी दुनिया मै एक वहीं है जिससे मैंने प्यार किया है और करता रहूंगा!!?


विशी: क्या बात है भाई बात यहां तक पहुंच गई और हमे पता भी नहीं।


अविनाश: ( गुस्से में ) तुम्हे मै मजाक के मूड में लग रहा हूं! हं।


विशी: अबे यार मै तुम्हारा गुस्सा कम करने की कोशिश कर रहा हूं और तुम हो की मुझ पर ही भड़क रहे हो। ठीक है तुम जीते मै हारा अभी इस शो के बाद सारे प्लान कैंसल खुश अब।


अविनाश: ( चिल्लाते हुए ) सच मे!??


विशी: तुम्हे क्या मुझे इतनी छोटी सी उम्र में बहरा कर देना है मैंने अभी शादी भी नहीं की मेरे छोटे छोटे बच्चों का क्या होगा अगर मै ऐसे मर गया तो!!?


अविनाश: हाहाहाहाहा!!!.. बच्चे!! कैसे क्या बोल रहे हो!


विशी: वैसे तुम हंसते हुए खूबसूरत लग रहे हो!! अब पता चला सारी लड़कियां क्यों मरती है तुम पर


अविनाश: अबे ओय कैसी बातें कर रहा है!!? ( अविनाश दोनों हाथो से खुद को छिपाते हुए ) देख मुझे लड़कियां ही पसंद इन्फेक्ट एक ही लड़की पसंद है..!


पीछे से आवाज आती है!! " और कौन है वो लड़की "


अविनाश: ( मुड़ते हुए ) अरे!!! मिस चांदनी !!! क्या बात है आप और वो भी यहां!!


चांदनी: ( मुस्कुराते हुए ) अब क्या करे! जहां सुपरस्टार होगा वहां मेरा होना तो बनता है वर्ना मिर्च मसाले वाली खबरे कहा से मिलेगी!।


विशी: वैसे आप बहुत सुंदर लग रही है आज!?


चांदनी: एक्सक्यूज़ मी!!?


विशी: मेरा मतलब है अम्म..


चांदनी: खैर जो भी .. बातें घुमाना बंद करे और क्या बातें चल रही थी कौन है वो लड़की जिससे अविनाश खन्ना बेइंतेहा मोहब्बत करता है!!?


विशी: ( खांसते हुए ) किसने कहा आपसे ये!?


चांदनी: मैंने खुद सुना अभी तुम दोनो बात कर रहे थे !!


विशी: अच्छा अच्छा !! वो अरे वो तो अविनाश का नया आलबम आ रहा है उसी का डायलॉग था है ना अविनाश!!।


अविनाश: हां!!।


चांदनी: मुझे तो नहीं लगता यह सच है बात तो कुछ और ही है पर मै खुद पता लगा लूंगी!!।


अविनाश: कमोन चांदनी अगर ऐसी कोई खबर होती तो मै पहले ही सबको बता देता!।


चांदनी: देखते है ये तो वक्त ही बताएगा!! मिलते है प्रेस कोंफ्रेस में! । ( यह कहते हुए वह वहां से चली जाती है !)


अविनाश: शिट यार शिट ये अब जरूर कोई उल्टा सीधा लिखेगी!!।।


विशी: हा तो इसमें तुम्हारी गलती है!! किसने कहा था बोलने को में सिर्फ एक लड़की से प्यार करता हूं!!


अविनाश: हां वो तो तुमने!! पहले तुम बताओ ये तुम खूबसूरत लगते हो ऐसी बकवास किसने कहा था ।


विशी: हा तो वो तो मैने चांदनी को आते हुए देखा था इस वजह से बात को बदलने कि कोशिश कर रहा था पर तुमने तो और भी बिगाड़ दी तुम्हे सच मै लगता है में और तुम्हे खूबसूरत कहूंगा !! यूहहह... भगवान ऐसा दिन ना दिखाए !!


अविनाश: ओह हैलो इसी इंसान की मेहनत पर घर चलता है तुम्हारा युहह.. से क्या मतलब है हां दुनिया मरती है इस मुस्कुराहट पे!! वैसे भी लोग सही ही कहते है घर की मुर्गी दाल बराबर !! । अविनाश खन्ना के एक झलक पे ही लाश के ढेर हो जाए समझे !! और तुम ना बिल्कुल परी के भाई लग रहे हो कोई कदर ही नहीं है मेरी !!।


विशी: ( बोलने ही वाला होता है कि अविनाश का फोन बजता है )


अविनाश: वैट ए मिनिट !! ( फोन पर बात करते हुए भागते हुए विशी के पास जाता है ) आई हैव टू गो !! नाउ संभाल लेना ( यह कहते हुए वह दूसरी ओर भाग ही रहा होता है की विशी चिल्लाते हुए कहता है )


विशी: हेय ऐसे भागते हुए तुम सुबह तक भी नहीं पहुंच पाओगे कार की चाबी तो ले जाओ ( वह चाबी अविनाश कि ओर फेक्ता है )


अविनाश: थेकंस बाद मै सारी बाते बताऊंगा ( यह कहते हुए वह पार्किंग की ओर भागता है कार स्टार्ट करता है) फाईनली.. फाईनली.. थैंक गॉड ।


अविनाश पागलो की तरह ड्राइव कर रहा था जैसे उसे कुछ दिख ही नहीं रहा था । दो घंटे बाद वह आखिरकार पहुंच ही जाता है यह एक एक मिनिट का इंतजार मानो जैसे सालो का हो। वह भागते हुए कार पार्क करते हुए अस्पताल की ओर जाता है। वह कोई पागल इंसान की तरह पारुल के तुम की तरफ आगे बढ़ता है । वह जैसे ही पारुल के रूम का दरवाजा खोलता है तो पारुल खिड़की के पास खड़ी थी । यह एक महीना अविनाश रोज़ यही दुआ करता की पारुल को होश आ जाए लेकिन कितनी भी कोशिश करे उसकी हालत मे कोई बदलाव ही नहीं हो रहा था। एक एक दिन नर्क जैसा बन चुका था । अविनाश पारुल की ओर आगे बढ़ता है ।


अविनाश: अहम्म..!!


पारुल: ( मुड़ते हुए ) अविनाश की ओर देखती है तो देखती ही रह जाती है!!।


अविनाश: कैसी है तबियत अब तुम्हारी!!!.।


पारुल: हहंह!!?


अविनाश: वैसे मै भी पागल हूं ! जाहिर सी बात है ठीक नहीं है तभी तो तुम यहां हो!।


पारुल: ( कुछ बोलती नहीं है बस अविनाश की और देखे जा रही थी !!)


अविनाश: ( डरते हुए ) देखो मैने जो भी कुछ कहा था उस दिन वो मैंने गुस्से में कहा था अगर तुम्हारी खुशी से...म...


पारुल: ( अविनाश को कसके गले लगाते हुए ) गोलू... ( रोते हुए ) गोलू .. ये लोग ....।


अविनाश: ( समझ नहीं पाता क्या ही रहा है । पारुल को इतना करीब पाकर उसकी धड़कन बढ़ती ही जा रही थी । वह खुद को संभालते हुए ) शहशहह!!! कोई बात नहीं मै यही पर हूं । तुम्हे कुछ नहीं होगा!!। शांत शांत!!


पारुल: तुम.. तुम्हे पता है वो .. लोग....


पारुल..... ( चिल्लाने की आवाज आती है!)


किरीट: ( पारुल को अविनाश से अलग करते हुए ) ये क्या कर रही हो तुम ! तुम जानती भी हो यह इंसान कौन है!?


पारुल: हाथ छोड़े आप मेरा । आप है कौन जब से में इस अस्पताल मै हुए पीछे ही पड़ गए है मैंने कहा ना में नहीं जानती आपको एक बात समझ नहीं आती । मेरे मामा पापा घर पर है!! गोलू !! मुझे घर ले चलो !!! प्लीज़ ये अंकल पता नहीं क्या बोले जा रहे है !! मुझे!! ( पारुल यह कहते हुए ही बेहोश हो जाती है !! )


अविनाश: ( पारुल को बेड पर सुलाते हुए डॉक्टर को बुलाने जा रहा होता है तभी किरीट उसका हाथ पकड़ कर रोकत्ता है जिससे अविनाश अपना हाथ छुड़वाते हुए कहता है ) आप बहार आइए मै नहीं चाहता हमारी वजह से पारुल को कोई तकलीफ़ पहुंचे।


किरीट: ( गुस्से में अविनाश के साथ कमरे के बाहर जाते हुए कहता है ) देखो!! मै नहीं चाहता तुम पारुल के आसपास भी भटको तो बेहतर होगा कि तुम उससे अपनी दूरी बनाए रखो ।


अविनाश: ( किरीट की बात को इग्नोर करते हुए ) परी ... परी को क्या हुआ है!!!


किरीट: मैंने कहा तुमने सुना नहीं पारुल से दूर रहो!।


अविनाश: ( गुस्से में ) मैंने कहा परी को क्या हुआ है । और मुझे जवाब चाहिए। रही बात परी के दूर करने की तो वो तो आप क्या ये सारी दुनिया भी चाहे तब भी नहीं कर सकती तो बेहतर है आप ये ख्याल अपने दिमाग से निकाल दे ।


किरीट: तुम्हे लगता है में तुम्हे पारुल के करीब जाने दूंगा मै मर जाऊ तभी ये नहीं होने दूंगा कभी भी नहीं !।


अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) और आपको लगता है अविनाश खन्ना को इस दुनिया मे कोई ताकत है जो रोक सकेगी । अगर मुझे कुछ चाहिए तो मै किसी भी कीमत पर हासिल कर के ही रहता हूं। और यहां बात पारुल की हो रही है तो उससे मुझसे कोई दूर नहीं कर सकता चाहे फिर आप भी नहीं और अगर कोई मेरे और पारुल के बीच में आया तो बिलीव मि उस इंसान का आख़री दिन होगा इस दुनिया मे । बाकी आप खुद समजदार है । ( किरीट के शर्ट कि कोलर को ठीक करते हुए ) ।


किरीट: ड...रा.. रहे.. हो मुझे!! ह?


अविनाश: अरे अंकल मै तो प्यार से समझा रहा हूं वैसे समय आने पर मै ये करके भी दिखा सकता हूं!!!।
किरीट:....


डॉक्टर: अहमम.. यहां पर गोलू किसका नाम है !!?
अविनाश: मेरा क्यो क्या हुआ !?
डॉक्टर: नहीं वो पारुल आपका नाम पुकार रही है वैसे तो वह बेहोश है पर शायद उनको आपसे कुछ ज्यादा ही लगाव है । तो मै तो यही कहूंगा कि आप उनके साथ जितना हो सके उतना वक्त बिताने की कोशिश करिए ताकि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाएं।
अविनाश: डोंट वरी डॉक्टर आई विल पर उसकी...
डॉक्टर: यादाश्त राईट..।
अविनाश: यस.।

डॉक्टर: देखिए अभी कुछ कह नहीं सकते क्योंकि अभी सिर्फ उन्हें सिर्फ बचपन की बाते याद है अब एक बार उनकी तबियत मै कुछ बेहतरी हो तभी पता चले कि आगे क्या करना है ।


अविनाश: ओके थैंक्यू ..


किरीट: मै तुम्हे कभी भी पारुल भी पारुल की जिंदगी में दाखिल नहीं होने दूंगा चाहे कुछ भी हो याद रखना .. कभी भी नहीं ...।


अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) वी विल सी...


डॉक्टर: (किरीट को बुलाते हुए ) मिस्टर व्यास आप आइए मेरे साथ कुछ दवाइयां और इंजेक्शन की लिस्ट है सो आप ले आए ।


किरीट: जी मै अभी आया।


अविनाश:: जाइए बाते तो फिर कभी होती रहेगी ।


किरीट: ( गुस्से में जाते हुए )


अविनाश किरीट के जाने के बाद पारुल के कमरे में जाता है और बेड के पास बैठते हुए पारुल को देखे ही जा रहा था । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस बात से खुश हो की पारुल को याद आ गया कि वह कौन है या फिर दुखी हो की अगर उसे सारी सच्चाई याद आ गई तो पारुल कभी भी उसकी शक्ल नहीं देखेगी! वह ऐसे ही सोच रहा था कि तभी पारुल पानी !! पानी कह रही थी । जिससे अविनाश ख्याल मै से बाहर आते हुए पारुल को पानी पिलाता है। तभी पारुल थोड़ी देर मै आंखे खोलती है तो देखती है अविनाश उसके पास ही बैठा हुआ था।


पारुल: गोलू...


अविनाश: हमम..!


पारुल: क्या सोच रहे हो!?


अविनाश: कुछ नही बस ऐसे ही!!


पारुल: झूठ मत बोलो मुझे पता है तुम्हे कुछ बात परेशान कर रही है।


अविनाश: ( पारुल की ओर देखते हुए ) सच मै! कोई बात नहीं है और तुम अपना ख्याल रखो पहले फिर मेरी परवाह करना।


पारुल: ( मुस्कुराते हुए ) पर.. मेरा ख्याल रखने के लिए तो तुम हो ना...


अविनाश: ( चहेरे पर मुस्कुराहट आ जाती है ) हां पर..


तभी रूम का दरवाजा खुलने की आवाज आती है । अविनाश देखता है तो सेम्म..भागते हुए पारुल को गले लगा लेता है... !
सेम: पारो .. पारो... लाख लाख शुक्र है कि तुम ठीक गई पता है मै कितना डर गया था । मेरी तो जान ही निकल गई थी ।
पारुल: थैंक यू मेरी फिक्र करने के लिए .. पर आप कौन !?
सेम की तो जैसे सांस रुक गई थी वह पारुल और अविनाश की ओर देखे जा रहा था वह समझ नहीं पा रहा था कि पारुल क्या बोल रही है तभी अविनाश सेम से कहता है कि थोड़ी देर के लिए वह बाहर आ सकता है कुछ जरूरी बात करनी है । यह कहते हुए दोनो रूम के बहार चले जाते है। और पारुल सोच ही रही होती है कि कौन था वो लड़का और वह उसके लिए इतनी चिंता क्यों कर रहा था..!।