BAGHA AUR BHARMALI

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गाँव, किले, रेगिस्तान और पुरानी हवेलियाँ—हर जगह इन दोनों की छाप मिलती है, पर साफ़-साफ़ कुछ नहीं मिलता। कुछ बूढ़े बताते हैं कि उनके इर्द–गिर्द जो घटनाएँ हुईं, वो साधारण नहीं थीं। कुछ कहते हैं ये किस्मत के खेल थे, कुछ इन्हें किसी पुराने श्राप या अधूरी प्रतिज्ञा से जोड़ते हैं। कहानी आगे बढ़ती है तो लगता है हर मोड़ पर कोई छाया साथ चल रही है— कभी किसी का नाम हवा में तैरता है, कभी किसी रात की आवाज़ सच से ज़्यादा डर पैदा करती है, और कभी लगता है कि दोनों से जुड़ा हुआ सच किसी ने जानबूझकर दबा रखा है। जो भी हुआ था, वह इतना आसान नहीं था कि लोग उसे भूला दें— ना ही इतना साफ़ कि कोई इसे पूरी तरह बयान कर सके

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BAGHA AUR BHARMALI - 1

गाँव, किले, रेगिस्तान और पुरानी हवेलियाँ—हर जगह इन दोनों की छाप मिलती है, पर साफ़-साफ़ कुछ नहीं मिलता।कुछ बूढ़े हैं कि उनके इर्द–गिर्द जो घटनाएँ हुईं, वो साधारण नहीं थीं।कुछ कहते हैं ये किस्मत के खेल थे, कुछ इन्हें किसी पुराने श्राप या अधूरी प्रतिज्ञा से जोड़ते हैं।कहानी आगे बढ़ती है तो लगता है हर मोड़ पर कोई छाया साथ चल रही है—कभी किसी का नाम हवा में तैरता है,कभी किसी रात की आवाज़ सच से ज़्यादा डर पैदा करती है,और कभी लगता है कि दोनों से जुड़ा हुआ सच किसी ने जानबूझकर दबा रखा है।जो भी हुआ था, ...Read More

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BAGHA AUR BHARMALI - 2

Chapter 2 — रावल लूणकरण का मालदेव को उम्मादे का विवाह-प्रस्ताव भेजनासंधि के बाद किला शांत तो हो गया लेकिन रावल लूणकरण के मन में शांति अभी भी दूर की चीज थी।मालदेव की सेनाएँ लौट चुकी थीं, पर लूणकरण जानता था कि यह वापसी स्थायी नहीं है—यह सिर्फ एक वक़्त का टल जाना है।दरअसल, लूणकरण के मन में सबसे बड़ा डर यही था कि—“मालदेव आज चला गया है… पर क्या गारंटी है कि वह कल या किसी भी समय वापस नहीं आएगा?”और वह जानता था कि जैसलमेर हमेशा धन देकर अपने आप को नहीं बचा सकता।राजकोष सीमित था, और ...Read More