दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ थी। हर कोई अपनी मंज़िल की तरफ भाग रहा था। गाड़ियों की आवाज़ें, चायवालों की पुकार, और बैग घसीटते हुए लोग — मानो हर चेहरा किसी कहानी का हिस्सा हो। रेहाना, 26 साल की, एक सादी सी लड़की — आँखों में गहराई और चेहरे पर सुकून। वो प्लेटफॉर्म नंबर 5 पर खड़ी, ट्रेन का इंतज़ार कर रही थी। सफर छोटा नहीं था, लेकिन उससे भी ज़्यादा मुश्किल थी वो यादें जो इस सफर में साथ चल रही थीं। रेहाना की उंगलियों में एक पुरानी रेशमी रुमाल था — हल्का सा फटा हुआ, लेकिन उसमें अब भी वही पुरानी खुशबू थी — "उसकी..." > "सात साल हो गए," उसने बुदबुदाया, "लेकिन उस आख़िरी मुलाक़ात की तस्वीर अब भी वैसी ही है।"
बरसों बाद तुम - 1
"बरसों बाद तुम..." का एपिसोड 1 — एक इमोशनल और रोमांटिक शुरुआत, जो धीरे-धीरे दिल में उतरती है।---️ एपिसोड "पहचान जो अधूरी रह गई..."> "कुछ मुलाक़ातें अधूरी होती हैं…और कुछ अधूरापन ही पहचान बन जाता है।"---दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ थी।हर कोई अपनी मंज़िल की तरफ भाग रहा था। गाड़ियों की आवाज़ें, चायवालों की पुकार, और बैग घसीटते हुए लोग — मानो हर चेहरा किसी कहानी का हिस्सा हो।रेहाना, 26 साल की, एक सादी सी लड़की — आँखों में गहराई और चेहरे पर सुकून। वो प्लेटफॉर्म नंबर 5 पर खड़ी, ट्रेन का इंतज़ार कर रही थी। सफर छोटा ...Read More
बरसों बाद तुम - 2
️ एपिसोड 2: “सामना — बरसों बाद”"कुछ रिश्ते अल्फ़ाज़ नहीं, आँखों से बयान होते हैं…और कुछ मुलाक़ातें… बस चुपचाप कह जाती हैं।"---स्थान: पुणे – एक आलीशान कॉन्फ्रेंस हॉलघड़ी की सुइयाँ शाम के पाँच बजा रही थीं। कॉन्फ्रेंस का पहला दिन खत्म हो चुका था।रेहाना थोड़ी थकी हुई थी लेकिन मन ही मन कुछ बेचैन। जैसे कुछ होने वाला हो…वो हॉल के बाहर खड़ी थी — हल्की बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी।उसने अपना दुपट्टा सिर पर ओढ़ा और मोबाइल पर कैब बुक करने लगी।---उसी समय —एक काली SUV गेट पर आकर रुकी।दरवाज़ा खुला और आरव बाहर निकला — ...Read More