🖋️ एपिसोड 6: "कुछ अधूरी बातें..."
> "जब दो लोग फिर से पास आते हैं,
तो सबसे पहले लौटते हैं वो सवाल…
जो कभी पूछे ही नहीं गए थे।"
---
स्थान: दिल्ली — कनॉट प्लेस, शाम के 7 बजे
रेहाना आज कुछ अलग महसूस कर रही थी।
दिल में हल्की सी खुशी, पर साथ में एक अजीब सी घबराहट भी।
उसे वो दिन याद आ रहा था — जब पहली बार आरव ने उसे कॉलेज के बाहर मिलने बुलाया था।
आज फिर वही अहसास था…
बस फर्क इतना था कि अब वो लड़की नहीं थी, जो आँखों से बातें करती थी और जवाबों से डरती थी।
अब वो ज़िम्मेदार थी, समझदार थी…
लेकिन कहीं न कहीं, अब भी अधूरी थी।
---
कॉफी शॉप — वही पुरानी जगह
आरव पहले से वहाँ बैठा था — एक किताब हाथ में, लेकिन नज़रें बार-बार दरवाज़े की तरफ।
रेहाना आई, सफेद कुर्ते में, सादगी से भरी — लेकिन उसकी मुस्कान में इस बार एक अपनापन था।
> “Hi…”
“Hello…”
(मुस्कुराहट… और कुछ देर की चुप्पी)
---
☕ ऑर्डर देने के बाद...
आरव ने बात शुरू की —
> “काफी कुछ बदल गया है, है ना?”
> “हाँ… तुम भी।”
“अंदर से या बाहर से?”
“दोनों ही…”
“और तुम?”
“मैंने तो बस चुप रहना सीख लिया है।”
---
आरव ने गहरी साँस ली।
> “हम जब आख़िरी बार मिले थे…
तब तुमने कुछ नहीं पूछा।
लेकिन आज… अगर पूछोगी, तो मैं जवाब दूँगा।”
रेहाना ने कुछ सेकंड सोचा, फिर धीरे से बोली —
> “क्यों गए थे आरव, बिना बताये?”
---
सन्नाटा।
आरव ने नजरें झुका लीं।
कॉफी का कप हाथ में था, लेकिन होंठ अब भी सूखे थे।
> “उस वक़्त मुझे लगा कि अगर बता दूँ, तो तुम रोक लोगी…
और मैं उस वक़्त सिर्फ सपनों का पीछा करना चाहता था।
तुम्हारे साथ होकर भी... खुद को अधूरा महसूस करता था।”
रेहाना सुनती रही — बिना रोके, बिना टोंके।
> “पर बाद में समझ आया —
सपने तुम्हारे बिना पूरे हो भी जाएँ, तो अधूरे लगते हैं।”
---
रेहाना की आँखें नम हो चुकी थीं।
> “तुमने सोचा मैं रोक लूंगी,
पर तुम्हें पता था कि मैं कभी ज़ोर नहीं डालती।”
> “हाँ… और शायद इसी ख़ामोशी से डर गया था मैं।”
“तो क्या इसीलिए पीछे नहीं मुड़े?”
“हर रोज़… लेकिन डरता रहा —
कहीं लौट कर आया और तुमने मुँह मोड़ लिया, तो?”
> “और मैं हर रोज़ सोचती रही —
तुमने वापस देखा क्यों नहीं…”
---
बारिश फिर शुरू हो गई थी…
खिड़की के शीशे पर पानी की बूंदें दौड़ रही थीं — जैसे उनके जज़्बात उस काँच पर उतर आए हों।
---
रेहाना ने धीमे से पूछा —
> “क्या अब भी कुछ अधूरा है?”
“बहुत कुछ…”
“जैसे?”
“जैसे तुम्हारा एक सवाल — ‘क्या तुम अब भी मुझसे प्यार करते हो?’”
रेहाना मुस्कराई —
“तो क्या तुम करते हो?”
आरव ने सीधा उसकी आँखों में देखा —
> “हाँ… रोज़ करता हूँ। लेकिन अब डरता नहीं हूँ कहने से।”
---
☔ Scene Change — बाहर, पैदल चलते हुए
बारिश हल्की-सी हो रही थी।
दोनों बिना छतरी, बस चलते जा रहे थे।
> “अगर हम फिर से कोशिश करें,” रेहाना ने कहा,
“तो क्या गारंटी है कि सब पहले जैसा होगा?”
> “कोई गारंटी नहीं।
पर अब मैं हर दिन तुम्हारे साथ गुज़ारना चाहता हूँ —
चाहे वो खुशी हो या बहस…
लेकिन तुम्हारे साथ।”
---
Scene Shift — रेहाना का घर, अगली सुबह
रेहाना ने पहली बार उस डायरी को उठाया जिसमें वो कभी खुद को नहीं लिख पाती थी।
आज उसने उस पर पहला शब्द लिखा:
> "शायद अब मैं फिर से लिख पाऊं…
क्योंकि अब जो कहानी शुरू हो रही है, उसमें मैं अकेली नहीं हूँ।"
---
उधर, आरव अपने कमरे में बैठा था — लैपटॉप पर एक फ़ोल्डर खोलते हुए।
Folder Name: “Us”
उसने उसमें एक डॉक्यूमेंट खोला — नाम था: “Woh Kahani Jo Adhoori Thi”
वो एक नॉवेल पर काम कर रहा था — उनके रिश्ते की कहानी।
और आज उसने पहला चैप्टर पूरा किया।
> "ये कहानी दो लोगों की है…
जो कभी बोले नहीं,
और जब बोले…
तो हर लफ़्ज़ मोहब्बत बन गया।"
---
Scene Change — एक हफ्ते बाद
रेहाना और आरव अब हर दिन मिलते थे —
कभी कॉफी शॉप, कभी लाइब्रेरी, कभी पुराने कॉलेज के पास।
उनकी मुलाकातों में अब शिकवे नहीं थे…
बस नई शुरुआत की मिठास थी।
एक दिन, दोनों पुराने कॉलेज कैंपस गए।
---
कॉलेज का वही लाइब्रेरी कॉर्नर
रेहाना ने उसी जगह बैठते हुए कहा:
> “याद है, यहीं से शुरुआत हुई थी?”
> “हाँ… और यहीं से अधूरा भी छूटा था।”
“तो चलो, यहीं से फिर शुरू करें।”
रेहाना ने उसका हाथ थामा।
पहली बार — इतने सालों बाद — दोनों ने खुद को बिना डर, बिना सवाल, बस थाम लिया।
---
☀️ अगले दिन — एक नई सुबह
आरव ने रेहाना को एक छोटा सा गिफ्ट दिया —
एक नोटबुक, जिस पर लिखा था:
> “अब जो अधूरी बात रह गई हो…
वो इसमें पूरी करना।”
रेहाना ने नोटबुक खोली —
पहला पन्ना कोरा था।
> “ये हमारा नया पन्ना है,” आरव ने कहा।
“इस बार दोनों मिलकर लिखेंगे।”
---
❤️ एपिसोड की आख़िरी लाइन:
> "कुछ रिश्ते अधूरे रह कर भी मुकम्मल लगते हैं…
लेकिन जब वो फिर से जुड़ते हैं —
तो ज़िंदगी एक नई किताब बन जाती है।"
---
🔔 Episode 7 Preview: “जब दिल बोलता है…”
> अब जब दोनों करीब हैं — क्या वो ज़िंदगी में एक साथ आगे बढ़ पाएंगे?
या फिर किस्मत एक और इम्तहान के लिए तैयार है?