यशस्विनी 21वीं सदी में महिलाओं की बदलती भूमिकाविषय पर एक आलेख लेखन में व्यस्त है।अपने लैपटॉप पर हेडफोन से वॉइस टाइपिंग करने केसमय वह कई बार भावनाओं में डूबती- उतरती रही। उसने यह महसूस किया कि 21वीं सदी मेंमहिलाएं अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने को तैयार हैं और जीवन का ऐसा कौन सा क्षेत्रहै, जहां उन्होंने अपनी पहचान स्थापित नहीं की है, अपनी योग्यता सिद्ध नहीं की है,वहींमहिलाओं के विरुद्ध देश में ज्यादती की बढ़ती घटनाओं पर वह बार-बार व्यथित भी होतीरही। वह शहरके कृष्ण प्रेमालय सामाजिक संस्थान की योग प्रशिक्षक है। अखबारों में भारतीय संस्कृति,योग से लेकर समसामयिक विषयों पर फ्रीलांसर जर्नलिस्ट का भी काम करती है।सार्वजनिक जीवन,घर-परिवारआदि सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका का बारीक विश्लेषण करते हुए वह इस रिपोर्टको अंतिम रूप देने ही जा रही थी कि उसे न्यूज़ पेग का एक मटेरियल मिल गया।इसे पढ़कर उसका मन वितृष्णासे भर उठा। खबर थी, चलती ट्रेन में एक युवा महिला से उसके पति के सामने ही सामूहिक…..
यशस्विनी - 1
लघु उपन्यास यशस्विनी(देह से आत्मा तक) : अध्याय1 दंश और पीड़ा (1) यशस्विनी 21वीं सदी में महिलाओं बदलती भूमिकाविषय पर एक आलेख लेखन में व्यस्त है।अपने लैपटॉप पर हेडफोन से वॉइस टाइपिंग करने केसमय वह कई बार भावनाओं में डूबती- उतरती रही। उसने यह महसूस किया कि 21वीं सदी मेंमहिलाएं अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने को तैयार हैं और जीवन का ऐसा कौन सा क्षेत्रहै, जहां उन्होंने अपनी पहचान स्थापित नहीं की है, अपनी योग्यता सिद्ध नहीं की है,वहींमहिलाओं के विरुद्ध देश में ज्यादती ...Read More