Imperfectly Fits You

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सखी (मन मे) - आप मेरे हो सत्या और मैं आपकी हु। में आपकी ही रहूंगी । में आपकी हंसिनी हु जो अकेली रह सकती है मर सकती है पर कही ओर नहीं जा सकती । दुनिया की रिवाजों जरूरत मुझे नहीं है सत्या में आपकी हो चुकी हूं। मेरी आत्मा ने आपको स्वीकार किया है। भले ही आप मुझसे न कहे पर आप भी मुझे याद कर रहे हो । सत्या ( मन में)- मैं तुमसे बाहर निकल ही नहीं पा रहा हूं। काश, काश मेरे ये हालात न होते तब तुम पक्का मेरी बाहों में होती मेरी संगिनी बन कर । मां परिवार के बंधन में ऐसा बंधा हु के ना रहा जा रहा है ना ही कही भाग सकती हूं। तुम क्यों मुझे गालियां देकर दुत्कारती नहीं हो।

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Imperfectly Fits You 7

//मन से मन की बात//सखी (मन मे) - आप मेरे हो सत्या और मैं आपकी हु। मैं आपकी ही । मैं आपकी हंसिनी हु जो अकेली रह सकती है मर सकती है पर कही और नहीं जा सकती । दुनिया की रिवाजों जरूरत मुझे नहीं है सत्या! मैं आपकी हो चुकी हूं। मेरी आत्मा ने आपको स्वीकार किया है। भले ही आप मुझसे न कहे पर आप भी मुझे याद कर रहे हो ।सत्या ( मन में)- मैं तुमसे बाहर निकल ही नहीं पा रहा हूं। काश, काश मेरे ये हालात न होते तब तुम पक्का मेरी बाहों में ...Read More

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Imperfectly Fits You - 1

एक प्रेमिका//जो प्रेम करते है वो जानते होंगे प्यार पाने से ज्यादा प्यार करने में सुकून मिलता है । जमाने का प्यार मिल जाए और एक तरफ अपने प्रेमी को प्यार करने हक मिल जाए बस भले ही उससे कुछ न मिले तो भी वही प्रेमी की अभिलाषा होगी, दुनिया भर के प्यार की नहीं । प्रेम हैं ही इसी भावना बिना बुलाए कब मन में जागृत हो जाती है पता नहीं और फिर बुझती नहीं । मैं सखी प्रेम के विरह में जलती ओर प्रेमी के सुख की आशा करती प्रेमिका ...... मैं सखी..... सत्या की प्रेमिका.....हा उनकी ...Read More