Imperfectly Fits You - 2 in Hindi Love Stories by rakhi jain books and stories PDF | Imperfectly Fits You - 2

Featured Books
Categories
Share

Imperfectly Fits You - 2

मेरा तब सेल्फ कॉन्फिडेंस जैसे कब्र में सो गया था इतनी ज्यादा डिप्रेस्ड थी खुद से , परिस्थिति से और आने वाले कल से । खैर ये चीजें ऐसे सामने से दिखाती नहीं थी । जिन लोगों ने काफी लंबे समय तक लगातार एक से ज्यादा दुख या हार देखी हो उन्हें स्वयं में तूफान पाल के रखने का हुनर आ ही जाता है । 

                #वो अनोखा शख्स......#

हमारे जीवन में कितने लोग आते है जाते है पर कुछ ऐसे होते है जो हमारे मन में स्थाई रूप से बस जाते है ।.... सत्या भी कुछ ऐसे ही थे । उनके शब्द....... उनका व्यवहार ऐसा था के लोगों के दिल दिमाग में कुछ अलग जगह बना ही लेते थे । सत्या काफी कम उम्र से घर की जिम्मेदारी संभालना शुरू कर दिए थे । इसलिए अपनी उम्र से भी ज्यादा तजुर्बा था उनमें । और अकेलेपन से थोड़ी दिलचस्पी भी । अगर उनकी तस्वीर शब्दों में बताने का प्रयास करु तो एक स्ट्रांग समझदार जिम्मेदार लड़का , जो सबके सामने उम्र से ज्यादा गंभीर है , दोस्तो में बहुत मस्ती वाला है पर खुद में वो एक गुमशुदा बच्चा सा है जिसे घूमना, अच्छा खाना , बात करना और किसी ऐसे की चाह जो उसे छाया दे उसे सम्भाल ले बिना कुछ उम्मीद किए प्यार दे एक मां पिता की तरह.....जो उसकी सारी सारी कमी को अपना ले....... इस थकाने वाली जिंदगी में सुकून की जगह हो कोई...। 

इतना कुछ चाहने के बाद भी कभी किसी को ये बच्चा दिखाई  न दे इसे छुपा के रखने का अच्छा जादू आता था सत्या को । पर मैने उनका ये जादू भी निरस्त कर दिया था । 

हम कभी प्यार की कसमें खा कर साथ नहीं थे जब मैं उनके साथ थी तो दो साल तो हमने एक दूसरे को ठीक से i love you तक नहीं बोला था । इसलिए रिलेशनशिप कब कैसे शुरू हुई ठीक से मैं भी नहीं जानती । मेरे ख्याल से तब से जब हम पहली बार मूवी देखने गए थे तब से शुरुआत हुई थी। मुझे मेरी पहली सैलरी मिली थीं सारे कॉलीग पार्टी देने की बात कर रहे थे बाद में चार लोग ही बचे तो मूवी का प्लान बना । पर बाद में एंड टाइम पर कोई काम आ गया तो हम दो ही बचे । सत्या को मूवी देखने का बहुत शौक है तो वो तो एक्साइटेड थे । तब फास्ट एंड फ्यूरियर्स 6 लगी थी । उन्होंने टिकट्स का कहा तो मैने पैसे दे दिए मैने पूछा बाकी लोग का क्या तो उन्होंने ने बाकी दो लोगों को कॉल किया उन्होंने कहा के वो काम में फंसे है आ पाएंगे भी या नहीं पता नहीं । तो वो कहने लगे उनलोग थोड़ी देर में आ जाएंगे और खुद टिकट्स ले लेंगे। अभी दो टिकट्स ही लेता हु । मेरे ख्याल से ये उनका प्लान किया हुआ था शायद जो वो बाद में भी सही से नहीं बताये । वो टिकट्स लेकर आए और हम सिनेमा हॉल में चले गए । मैने कई बार  उनलोगों को कॉल करने आने को कहा पर उनलोगों ने काम का वास्ता देकर इनकार कर दिया । अब हम दोनों ही थे हम दोनों अगल बगल बैठे थे मुझे तो कुछ समय तक यही लगा के कही मैने गलती तो नहीं कर दी । अकेले किसी के साथ कैसे बैठ गई पहले कभी किसी के साथ ऐसे गई ही नहीं थीं। ये पहली बार था जब में किसी के साथ ऐसे मूवी देखने आई थी पर वो मुझे नासमझ ना समझे इसलिए फ़्रीमाइंड की लड़की हु ऐसा बिहेव करने लगी । के मूवी बस तो देखना है । 

मूवी कुछ सीन से चालू हुई में तो एकदम घबरा गई और आंखे साइड कर ली थी। तब सत्या कहने लगे के ये बॉलीवुड मूवी ये सब सीन डाल ही देते है बाकी ये मूवी ऐसी है नहीं ....फुल एक्शन मूवी ही है और कुछ नहीं । जल्द ही वो सीन चला गया और  मैं थोड़ी ठीक हो गई । कुछ देर बाद सत्या ने कहा मुझे हाथ रखते नहीं बन रहा क्या मैं तुम्हारे साइड हाथ टेक कर बैठ जाऊ मैंने हामी भर दी और थोड़ा साइड हो गई । ब्रेक में वो पॉपकॉर्न लेकर आए हमने पॉपकॉर्न खा कर मूवी देखी । इस दौरान कई बार हम एक दूसरे को देखते और फिर आंखे चुरा कर मूवी की ही बात करने लगे के अच्छा था मूवी खत्म हुई और फिर हम बाहर  थोड़ी दूर जाकर समोसा खा कर अपने अपने घर चले गए ।

मुझे आज भी वो दिन याद है वो मूवी और उनका मेरी तरफ देखना । और जैसे ही वो स्क्रीन की तरफ मुड़ते तो मैं उन्हें देखती । मैं उनकी तरफ खींची चली जा रही थी। घर आने के बाद भी एक अलग सा डर एक अलग सी खुशी का एहसास हो रहा था । जैसे कोई डरावनी खतरनाक सी जंग थी पर सब कुछ बदल सा गया । सब कुछ बार बार मेरे दिल दिमाग में घूम रहा था बार बार मैं सारी बातें रिपीट सोच रही थीं और खुद को जज कर रही थी के कही मैने कुछ गलत तो नहीं कर दिया । उनको ये ना लगे के में ज्यादा ही फ्री हु ओर ऐसा भी न लगे के मैं बोरिंग टाइप की लड़की हु ।