Imperfectly Fits You - 3 in Hindi Love Stories by rakhi jain books and stories PDF | Imperfectly Fits You - 3

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Imperfectly Fits You - 3

उस मूवी के बाद हमने बहुत सी मूवी साथ में देखी । और हर मूवी के साथ एक अलग किस्सा जुड़ा हुआ है । ब्यूटी एंड द बीस्टफास्ट एंड फ्यूरियर्स 💋 , 3x , bahubali 1, spider man, avengers,padman , saho, और भी कितनी मूवीज है और कितनी यादें है । मुझे तब एहसास होता तो हर लम्हा एक डायरी में लिख कर रखती ।

ऐसा ही होता है , रियल लाइफ में बैक ग्राउंड म्यूजिक न होने के कारण समझ ही नहीं आता कि ये ब्रेकअप वाला प्यार है , एक्ट्रेक्शन है या द वन है( once in a life wala love हैं)। 😁😁...... काश ऐसा बैक ग्राउंड म्यूजिक और सेकंड साइड स्टोरी पता होती जैसी सीरियल्स में रहती है । कितना आसान होता मुश्किल समय निकलना और फैसले लेना । दिल और दिमाग का कन्फ्यूजन कितना sorted हो जाता । मैं उनसे फिर इतना लड़ती ही नहीं न उन्हें कभी खुद से दूर होने देती एक भी पल के लिए । टेस्ट गेम्स नहीं खेलती उनके साथ और ना खुद के साथ । उनसे बहुत बाते करती । उनकी आवाज रिकॉर्ड करके रखती ।
    हमारी बाते होती थी msg, व्हाट्सअप ,call pr या अक्सर सुनसान सड़क पर स्कूटी साइड लगा कर । और मुझे अधिकतर ऐसा समझ आता था कि ये वैसे नहीं है जैसा में सोचती हु कि होंगे । हा इतना पता था कि मुझे किसी तरह का एक्ट्रेक्शन फील होता है उनसे । तभी मैं उनसे दूरी बना नहीं पाती। लेकिन ये वो नहीं है जिससे मैं प्यार कर सकू या आगे का सोच सकू । असल में उनके मन में जो पिक्चर है लाइफ पार्टनर की मैं उसके आस पास भी नहीं हु । और मुझे वो उस तरीके से जानना ही नहीं चाहते । उन्हें बस मेरे साथ वक्त बिताना ,खाना ,बाते करना अच्छा लगता है । जब भी जैसा भी समय मिलता है सत्या बस दो ही चीजों के पीछे पड़े रहते है एक मूवी दूसरा खाना । ऐसा भी नहीं है कि वो ये केवल मेरे साथ ही एंजॉय करते हो उनके करीबी मेल फ्रेंड भी है जिनके साथ उनका सेम बिहेव रहता है । वो पसंद की मूवी की लिस्ट पहले से ही बना कर रखते है कि जब जहां मौका मिला तो ये मूवी देखनी है ।
मुझे कोई ऐसे की तलाश है जो मुझे निखार दे मुझे सपोर्ट करे फाइनेंशियली भी और इमोशनली भी । इमोशनल सपोर्ट तो बहुत ज्यादा होना चाहिए क्योंकि अब मैं स्पैशल फील करना चाहती हु । मुझे चाहिए कि कोई मुझे एक रानी या एक परफेक्ट लड़की की तरह ट्रीट करे । उसके लिए मैं एक अकेली ही बेहतर रहुं। मुझे उससे कहना न पड़े कि मुझे वक्त दो मुझे बुरा फील हो रहा है... थोड़ा मुझसे पूछो कि मैं कैसा फील कर रही हु ...मेरी तकलीफ, मेरे सपने सुने । मुझे कैसे खुश रखना है वो उसे पता हो । भीड़ में भी वो केवल मेरी ओर देखे और मुझसे भी यही चाहे । अगर में कही और ध्यान दूं तो जलन फील करे और मेरा ध्यान खींचने के लिए मुझसे बाते करे मेरा हाथ थाम ले...... मुझसे भागे नहीं .....मेरे साथ रहने के लिए स्ट्रगल करे पर दूर जाना न चुने।  तब हर लड़के में अपना द परफेक्ट वन खोजने इमैजिन करने का शौक था मुझे ।वो ऐसे बिल्कुल नहीं है। ये वैसे नहीं है  जैसा मुझे चाहिए । मुझे मेरे परफेक्ट वन से ही प्यार करना है। ये शायद मेरे अच्छे फ्रेंड हो सकते हैं शुरू में तो सब एक्ट्रेक्टिव ही लगते है शायद कुछ समय बाद मुझे क्लियर समझ आ जाएगा और एक्ट्रेक्शन की वजह भी समझ आ जाएगी।
तब मैं एक रिलेशनशिप में थी ऐसी रिलेशनशिप जो शायद थी ही नहीं । मुझे पता चला था कि वो मुझसे झूठ बोलता है वो अब भी ex में अटका है और मुझसे कहा कि अब बात भी नहीं होती । मुझसे झूठ बर्दाश्त नहीं होता और न ही ऐसी रिलेशन जिसमें दो के अलावा तीसरा कोई हो फिर वो तीसरी चाहे मैं रहूं या कोई और। इसलिए मैं आगे बढ़ गई कि कोई तो होगा जो केवल मुझे चाहे, केवल मुझे...मेरे बाद कोई और न हो। जहां मुझे अपनापन फील हो ।


सत्या काम की बात सही से करते है दोस्तो से भी बढ़िया खुल के मौज मस्ती में रहते है उनकी दोस्ती लड़कों से भी gf bf jesi ही है कोई एक खास दोस्त रहेगा और बस वहीं खास रहेगा उसी से कहेंगे उसी की सुनेंगे उसी को टाइम देंगे । और ऐसा नहीं के और कोई पूछता न हो सब दोस्त पूछेंगे बहुत मानेंगे...... पता नहीं क्या करते है जो सब इतना भाव देते है । मैं उनकी दोस्त कम एंप्लॉई हु पर मुझे उनके उस एक दोस्त से भी जलन फील होती है । जरूरत से ज्यादा उनके कोई भी करीब हो मुझे बर्दाश्त नहीं होता । फिर मन में चीड़  कर यही बोलती के हां.. हां.... पिछ्ले जनम के हसबैंड सौतन जो है  .....इतना लगाव होना तो जमता है।

सत्या मुझे थोड़ा अच्छा मानते थे या मानने लगे थे। उनको मैं काफी समझदार पढ़ी लिखी और बहुत पारिवारिक लगती हु । तब सास बहु वाले झगड़े बहुत चर्चा में रहते थे और मेरा मानना था के अगर शादी कर रहे हो तो पति के साथ साथ उसके परिवार को अपनाना ही पड़ेगा ये सोच रख कर ही आगे बढ़ना चाहिए । मां बाप हमें शुरू से देखते आ रहे है और हम भी उनसे बचपन से वाकिफ इसलिए उनका गुस्सा , उनका टोकना हर चीज का हमें रीजन बिना कहे ही समझ आ जाता है पर ससुराल में सब नया होता है और डिफरेंस भी बहुत होता है बहु सोचती है जो मैने अच्छा सिखा है वो में ससुराल में अप्लाई करूंगी और सास सोचती है जैसा मैं सबका ख्याल रखते आई हु वैसा ये सबका ख्याल रखे किसी की पसंद नापसंद में कोई गलती न हो जाए या किसी का टाइम टेबल न डिस्टर्ब हो घर जैसा चलते आ रहा है वैसा ही चले । यही डिफरेंस बहस का कारण बनते है । अगर ये डिफरेंस समझ ले तो थोड़ा समय देने पर दोनों एक दूसरे को समझ लेंगे और दोनों मिलकर एक अच्छा तरीका निकाल लेंगे । बस यही कुछ कुछ मैने बातो बातों में कह दिया । तब सत्या कहते है जल्दी शादी कर लो । तब मुझे ये डायलॉग थप्पड़ से कम नहीं लगाता था। क्या मैं इतनी चुभ रही हु पर काफी महीनों बाद मुझे ये लाइन सही तरीके से समझ आई । किसी लड़की की तारीफ कोई ऐसे करता है क्या ? डायरेक्ट बोलो न के बहुत अच्छी सोच है मैं इंप्रेस हो गया या कुछ भी । खेर मुझे क्या...ये इंसान मुझे कभी समझ में नहीं आएगा न मैं उन्हें ।