Imperfectly Fits You - 6.1 in Hindi Love Stories by rakhi jain books and stories PDF | Imperfectly Fits You - 6.1

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Imperfectly Fits You - 6.1

सत्या के लिए मेरे दोनों चेहरे सच्चे थे नफरत , ईगो वाला भी और साइलेंट लव वाला भी । करीब होने पर उनका हाथ पकड़ना उन्हें देखना ऐसी चीज थी जिसमें मेरा न दिल काबू में था न दिमाग और उनके पास आने पर दूर भागना मेरे दिमाग की उपज रहती थी । एक पल लगता की खुद को रोक लू क्या पता ये गहरा गड्ढा हो  और फिर दूसरे पल लगता क्या पता ये वही हो अभी दिख रहा नहीं हो। और फिर अचानक से दिल रुक जाता की मैं उतनी खास भी तो नहीं हु अगर इसे सब पता चला तो मुझसे खेल कर मुझे छोड़ न जाए । इससे पहले बहुत से heartbreak झेले थे मैने । उम्मीद थी कि अब कोई आएगा तो घाव भरने वाला होगा सत्या अच्छे थे पर इमोशनली सपोर्ट वो कभी दे ही नहीं सकने वाले इंसान थे । मेरा दुख दर्द मेरे बचपन से था जो नॉर्मल रहा नहीं... अधिकतर हॉस्पिटल के चक्कर काट कर ही गया लंबे इलाज के बाद भी एक नासूर जख्म और कई ऑर्गन की डिसेबिलिटी । सामने दिखने में एक पूरी स्वस्थ लड़की दिखती थी पर जो ज़िन्दगी भर की बॉडी डिसेबिलिटी है वो मुझे तोड़ दे रही थी । छोटा कद पतली दुबली हेल्थ और चेहरे का सांवलापन इन्होंने भी मेरी हिम्मत कमजोर करने में पूरा साथ दिया । फिर लोगों का हर साल का सवाल की अब सब ठीक हो गया ना ये मुझे और कुरेद देता । सहेलियों का बढ़ती उमर में मुझसे अलग बर्ताव करना फिर रिलेशनशिप में भी ऐसा धोखा मिलना और पढ़ाई में मेहनत करने के बाद भी पीछे रह जाना ... मेरा खुद से नाखुश रहने का कारण बन गया । पर फिर भी एक उम्मीद थी क्योंकि ऐसा ही होता है ...जो बहुत दुखी होता है भगवान उसके लिए कोई न कोई सहारा भेजते है । और सभी जगह से निराशा के बाद मेरी उम्मीद यही पर रुकी थी .....कोई आएगा मेरी लाइफ में मेरा सहारा बन कर और सब imperfect से परफेक्ट हो जाएगा । एक परफेक्ट लाइफ हो जाएगी और मैं खिलखिलाती हुई अपनी मोहल्ले की गलियों में घूमेंगी लोगो से मिलूंगी खुश हो कर । जिंदगी में बहुत खुशियां होंगी और उसे बांटने वाला भी साथ होगा । मुझे तब लोगो के सवालों से अकेले जूझना नहीं पड़ेगा या मेरी खुशी के आगे वो सारे सवाल उठने से पहले ही निरस्त हो जाएंगे । पर पता है ..."जब दो खाली दिल मिलते है वो खाली ही रह जाते है चाहे कितना भी प्यार हो ....लेकिन जब वो केवल देने का सोचते है तब एक पूरा जहांन बन जाते है । उससे अच्छा पावर couple koi और हो नहीं सकता क्योंकि उन्होंने वो परेशानियां, वो रिजेक्शन , वो अकेलापन देखा है और जब वो देने पर आते है तो केवल एक दूसरे को नहीं देते आस पास हर पशु प्राणी इंसान का ख्याल रखते है क्योंकि वो उन अनकही पीड़ा को भी समझ सकते है जो बेजुबान कह नहीं पाते और इंसान झेल नहीं पाता..." 

सत्या .....की जिंदगी 

सत्या - मैने  बचपन से सबको समझा है और एक अच्छा खासा बचपना खोकर खुद को बड़ा बनाया है वक्त से पहले.. । कभी लगता है कि कोई गोद हो जो बिना पूछे मुझे आसरा दे दे ...कुछ चाहिए ये ना कहे!... मुझे क्या जरूरत है ये प्यार से पूछ ले या ना पूछे तो भी बस मुझे समा ले...। मैने खुद को अपने आप में मजबूत बनाया है । पापा के जाने के बाद बेटे से खुद को बहनों के बाप बनाया है लेकिन कभी कभी लगता है बहुत कुछ छूट गया ...जब मुंबई में था तो अपने शौक किस्तों में पूरे कर ही लिया करता था नए लोगों से बात करके वो दोस्तो की भीड़ की कमी को पूरा कर लिया करता था । अपनी खेलकूद की चाहत जोखिम भरे कामों से या आदतों से पूरी करता था । घर से उतने दूर घर  की याद सताती... कॉल पर बात करने पर भी बड़े की तरह हर जरूरतें सुनता था पर मैं मेरी जरूरतों के लिए किससे कहता ..कोई ऐसा नहीं था । होता तो कहता कि मुझे भी बच्चा बनना है । स्कूल दिनों की बहुत याद सताती थी यूं तो 17 18 साल में जब घर वापस आया तो यह सब बदल गया था दोस्त कॉलेज जाने लगे थे कइयों के तो डिग्री भी पूरी हो गई थी और मैं तब एक नए सिर से काम ढूंढने में लगा था घर की जिम्मेदारी देख रहा था । बड़ा मन करता था कि अगर इनके जैसे माहौल मिलता तो कॉलेज जाता बहुत पढ़ाई करता और इतना फेमस रहता कि दोस्तो का हुजूम साथ होता कई नए चेंजेस लाता कुछ गलत होता तो दमदारी से बोलता और फिर गड़बड़ होता तो पापा संभाल लेते । पापा का लड़ंका बेटा होता और एक सक्सेसफुल सिविल इंजीनियर । पापा..आपका अचानक  जाना मुझे मजबूर कर गया है मजबूत दिखने के लिए । जिंदगी कभी एक जैसी चली ही नहीं जब हाथ में पैसा था तब घर से दूर था अब घर आया हु तो पैसे के लिए भटकना पड़ रहा है एक रास्ता चुनता हु कुछ दूर जाने के बाद वो वही शुरुआत में ले आता है । ये दर्द कोई लड़का या बाप ही समझ सकता है कि कमाई में आगे न बढ़ पाना कितना बड़ा बोझ है। पैसा कितना जरूरी है निश्चिंत होकर जीने के लिए । मुंबई में मैने सब कुछ कमाया इज्जत , पैसा ओर शौक लेकिन घर की जरूरतों ने मुझे वापस बुला लिया उसी शहर में नई शुरुआत के लिए । और यहां आने के बाद कितने साल बीत गए है स्ट्रगल करते करते लोगों से धोखा खाते खाते और फिर भी जिम्मेदारी वैसी ही पूरी करते करते । अब थक रहा हु ।

     इस बीच तुमसे मुलाकात हुई सखी । मेरी स्कूल की मेरी क्लास की सखी .... स्कूल के सभी प्रोग्राम में गाने वाली सखी ...टीचर्स की चहेती सखी । तुम्हे देखते ही मेरे बोझ मुझसे दूर हो जाते है खुद को आजाद महसूस करता हु । एक चाहत महसूस करता हु तुम्हारे करीब आने की । कुछ अलग सा है जो तुमसे महसूस होता है यूं तो घर में कामकाज में कितनी लड़कियां आसपास रही हैं पर तुम्हारा चेहरा तुम्हारी आंखें दिल भर देती हैं। मैं बस इसे जानना चाहता हूं और जानना है की क्या तुम सच में करिश्मा हो या भ्रम हो मेरा ।

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हमारा साथ रहना अब दिन का हिस्सा हो गया था और मूवी ब्रेक का और खाना सेलिब्रेशन का जरिया । सत्या अक्सर हग करने का करते पर बातों में अब भी उनके पुरानी बातें ही खास थी । एक पल लगता मैं स्पेशल हु एक पल लगता कुछ खास नहीं ...। मूवी में अब उनका चेहरा मेरे चेहरे से लगने लगा था दाढ़ी वाले गाल मेरे गालों में सरकते । नॉर्मल लड़की के हिसाब से मुझे ये फ्लर्ट समझ जाना चाहिए था पर मैं समझ नहीं पाई मैं खो जाती थी सही गलत से परे । मैं कभी इस पर सवाल उठा नहीं पाई या शायद सवाल आया नहीं । और यही मेरी परेशानी का कारण बन गया था इससे पहले किसी लड़के का touch अलग झट से समझ आ जाता था इनका touch अलग लगता ही नहीं । न स्पेशल लगता है न बुरा लगता है न अलग लगता है । ऐसा कुछ लगता ही नहीं जो रोका जाए । बस वो लंबे वक्त तक कही बस सा जाता है । कभी कभी उनका हाथ मुझे छूने को करता तब में मैं हटा देती पर गुस्सा नहीं कर पाती । मैं खुद को बहुत कोसती की ".....क्या हो गया है मुझे...... क्या इतनी used too हो गई हु कि किसी का touch होने पर भी गुस्सा नहीं कर पा रही हु । वो क्या समझेंगे...उनके लिए तो रजामंदी जैसा ही हो गया होगा । और अगर ऐसा है तो कही ये गलत इंसान रहे तो क्या होगा मेरा...कुछ गलत step उठाए तो गलत तो मैं ही साबित होऊंगी । मुझे ये रोकना होगा.....।" ये हर बार सोचती पर कुछ कर नहीं पाती । उनका साथ होना एक कंफर्ट था लेकिन प्यार है इस जवाब से कोसों दूर थी । क्योंकि न दिल की घंटी बजी ...न वुमन हारमोंस पॉजिटिव सेंसेशन दे रहे थे मतलब जब कोई खास पास होता है तो आंखों में चमक आ जाती है उसके छूने से होंठो में कुछ अजीब सा कंपन होता है दिल जोर से धड़कता है या थम जाता है वक्त के साथ, और वो touch अलग दिल तक महसूस होता है। पर मेरे साथ ऐसा कुछ हो ही नहीं रहा था । ये सोचते सोचते 7 8 महीने बीत गए कभी हग करने के बाद सवाल कर देती थी के वो ऐसा क्यों करते है मेरे करीब ऐसे क्यों आते हैं? उनका जवाब मुस्कुराकर यही रहता " हम बहुत क्लोज फ्रेंड है और तुम बहुत स्पैशल हो मेरी इकलौती क्लोज फ्रेंड ।" 

कुछ न हो कर भी बहुत कुछ हो रहा था  मैने भी उन्हें फूल फिसलने का लाइसेंस दे रखा था ऑफिस में लोगों की नजरों से चुरा कर हाथ पकड़ कर काम करना , लंच उनके बगैर न करना और  उनसे बात करते रहना उनके साथ  गाड़ी में बिना हिचक के बैठ जाना, न होने पर बेताबी से ढूंढना चेहरे पर वो बेचैनी छा जाना मेरी शकल देख के कोई भी जान सकता था कि मैं उन्हें ढूंढ रही हु पर वो इससे बेखबर ही थे पता नहीं क्यों। कोई अनजान भी तो इतने में समझ जाए पर वो तो मुझे बचपन से जानते थे और अब ऑफिस में और पर्सनली इतना वक्त बिताने के बाद भी सब कुछ कैसे समझ नहीं आ रहा था। या शायद जानते थे इसलिए भाव खा रहे थे । तभी तो फ्रेंड और गर्लफ्रेंड की edge पर झुलाए रखा था । इतना स्पेशल फील कराओ कि फ्रेंड से ज्यादा लगे और फिर इतना दूर हो जाओ के मिशन इंपोसिबल हो जाए । मेरी हरकते सारी मजनू वाली थी लेकिन मुझे reason समझ नहीं आता था । मुझे तो अभी भी दूसरे टाइप के लड़कों में इंटरेस्ट था । ना वो वैसा ट्रीट करते है जैसा मैं सोची थी । पता नहीं कौनसा ऐसा हिस्सा है मेरा.. जो उनकी तरफ भागे जाता है । 

/* मैने बताया था न आपको हर मूवी से कोई न कोई यादें जुड़ी है ऐसी ही कुछ यादें है शुरुआत एक मूवी के बाद से beauty and the beast के शो में उनका बार बार कहना "एक kiss...बस एक kiss की दूरी रहती है बस उस beast के लिए " 

Fast and furious में उनका अचानक kiss करना वो भी धमकी के साथ के मुझे करने दो या चाटा मार लो ... और फिर पूछना के " कौन हु मैं तुम्हारा? " 

अगर आज जैसा एहसास होता तो आंखों में आंखे डाल कर बड़े रोमांटिक अंदाज में लंबी कविता सुना देती की क्या है वो मेरे लिए और रिटर्न kiss करती उनके माथे पर ....और फिर खो जाती । लेकिन तब मेरे मुंह से कुछ निकल नहीं पाया " close friend " के अलावा और उनके दूसरे सवाल ने मुझे सुलझा सा दिया क्या सबको kiss करने दे देती हो विशाल अजय kiss करेंगे तो करने दोगी? मेरे मुंह से तुरंत न निकला और थोड़ी clarity आई की कुछ अलग है क्या है पता नहीं । फिर उन्होंने जबरन love you कहलवा कर ही छोड़ा। 

मैं अब एक ऐसे रिलेशनशिप में आ गई थी जहां प्रपोज किया नहीं गया है बुलवाया गया है । जबकि मेरी चाहत थी कि कोई मेरी लिए स्ट्रगल करे मैं थोड़ा भाव ख़ाऊ और अंत में जाकर हा कहूँ। क्योंकि हिसाब भी तो यही रहता है ना " जहां ज्यादा एफर्ट लगाना पड़ता है वहां लड़के हमेशा सीरियस और लायल रहते है " और यही मेरा सोचना था कि अगर कोई मिले तो ऐसे मिले की अब कोई एग्जिट का ऑप्शन न हो कोई मुझे खोने से डरे। पर सब प्लान किया होने के बाद भी.... मन, जो है उसमें बहता जा रहा था । ऐसे एक साल बीत गए बिना किसी प्रॉपर i love you कहे। 

रोज प्यार भरी बाते , शक और बेबात की लड़ाई और उनका चीड़ कर थक कर सोने का कहना ।😔 पता नहीं कब ऐसे दिन आएंगे जब मैं नखरे करूंगी और वो सर झुका कर झेलेंगे मुझे मनाएंगे । थोड़ा बचपना तो चलता है।