उत्तर भारत के एक छोटे से गांव में एक अजीब सी खामोशी थी, जिसमें किसी प्रकार के बदलाव की कोई संभावना दिखाई नहीं देती थी। यह गांव अपनी पारंपरिक संस्कृति और मान्यताओं के कारण जाना जाता था, लेकिन उसमें एक कुप्रथा भी व्याप्त थी, जो समय के साथ और भी सख्त होती जा रही थी। सती प्रथा, जिसे कुछ लोग ‘धार्मिक कर्तव्य’ मानते थे, यहाँ की महिलाओं की नियति बन चुकी थी। इस गांव की मुख्य सड़क के किनारे एक छोटी सी झोपड़ी में अर्चना अपने परिवार के साथ रहती थी। अर्चना एक किशोरी थी, जिसकी आँखों में जिज्ञासा और आत्मविश्वास की चमक थी। उसकी मां, शारदा देवी, एक विधवा महिला थीं, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद अकेले ही अपनी बेटी को पाला था। अर्चना की मां ने कभी भी सती प्रथा को न स्वीकार किया था, और हमेशा यह सोचती थीं कि यह कुप्रथा महिलाओं के साथ होने वाला अत्याचार है।
एक कदम बदलाव की ओर - भाग 1
उत्तर भारत के एक छोटे से गांव में एक अजीब सी खामोशी थी, जिसमें किसी प्रकार के बदलाव की संभावना दिखाई नहीं देती थी। यह गांव अपनी पारंपरिक संस्कृति और मान्यताओं के कारण जाना जाता था, लेकिन उसमें एक कुप्रथा भी व्याप्त थी, जो समय के साथ और भी सख्त होती जा रही थी। सती प्रथा, जिसे कुछ लोग ‘धार्मिक कर्तव्य’ मानते थे, यहाँ की महिलाओं की नियति बन चुकी थी।इस गांव की मुख्य सड़क के किनारे एक छोटी सी झोपड़ी में अर्चना अपने परिवार के साथ रहती थी। अर्चना एक किशोरी थी, जिसकी आँखों में जिज्ञासा और आत्मविश्वास ...Read More
एक कदम बदलाव की ओर - भाग 2
गांव में अर्चना के द्वारा उठाई गई आवाज ने कुछ महिलाओं को प्रेरित किया, लेकिन समाज के कई हिस्सों इस मुद्दे को लेकर गहरी असहमति और विरोध भी देखने को मिला। अर्चना जानती थी कि यह संघर्ष केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे समाज का था। यह उस समय की सोच और समाज की संरचना से एक जंग थी, जिसमें महिलाओं को हमेशा से एक दबे और दबाव में रहने वाली कड़ी माना गया था।गांव की गलियों में अर्चना और उसके समर्थकों की बातें सुनकर, कई लोग उन्हें असमाजिक और धार्मिक दृष्टि से गलत मानते थे। गांव के ...Read More
एक कदम बदलाव की ओर - भाग 3
अर्चना का संघर्ष अब एक नई दिशा में बढ़ चुका था। गांव के कुछ महिलाएँ और अन्य लोग, जो इस प्रथा को धर्म और परंपरा के रूप में मानते थे, अब धीरे-धीरे उनके विचारों से प्रभावित हो रहे थे। अर्चना का यह विचार कि सती प्रथा एक कुप्रथा है और इसे समाप्त करना ही समाज की भलाई के लिए आवश्यक है, अब अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने लगा था। लेकिन जैसे-जैसे यह आंदोलन बढ़ रहा था, अर्चना को यह समझ में आने लगा कि बदलाव लाना इतना आसान नहीं है।गांव में जहां कुछ महिलाएँ अर्चना के साथ खड़ी ...Read More
एक कदम बदलाव की ओर - भाग 4
गांव में अर्चना के आंदोलन को लेकर हंगामा मचा हुआ था। उसकी बातें अब केवल महिलाओं तक सीमित नहीं बल्कि कुछ पुरुष भी उसकी विचारधारा से प्रभावित हो रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे उसके समर्थकों की संख्या बढ़ रही थी, विरोध करने वाले भी उतने ही उग्र होते जा रहे थे। कुछ रूढ़िवादी लोग, जो धर्म और परंपरा के नाम पर इस कुप्रथा का समर्थन कर रहे थे, अर्चना को हर हाल में रोकने का प्रयास करने लगे।पुरानी सोच का विरोधगांव के चौपाल पर एक दिन बैठक बुलाई गई, जहाँ गांव के पंडित, मुखिया और अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे। ...Read More