"बुआ, क्या बनाऊं..." बीस साल की मधुरिमा ने बेहद उदास स्वर में पूछा "ऐसे पूंछ रही हौ बिटिया जैसे घर भरा पड़ा है सामान से" भगवतगीता बन्द करते हुए पचपन वर्ष की सुशीला बोलीं, फिर बड़ी मुश्किल से कमर पर हाथ रखते हुए बुदबुदाई "हाय जे कमर का दर्द तो जान लेकर रहेगा...हे ईश्वर, मैं तो खुशी से चली आती तेरे पास.. लेकिन बिटिया.. कहॉं जाएगी फिर " "कितनी बार कहा है आपसे ऐसी, बातें मत करा करो ...अभी चौदह दिन ही हुए है बाऊ जी को गए, और आप" कहते हुए रमा की आँखे नम हो गयीं "अच्छा..अच्छा रो मत.....कौन जीत सका है उसकी इच्छा के आगे" सुशीला आसमान की ओर देखते हुए बोली "पता है बुआ, घर में कुछ भी नहीं है..." रमा आँसू पोंछते हुए बोली " क्या। कछु नाइ"? सुशीला ने पूछा तो रमा ने ना में सिर हिला दिया
रिश्ते का बांध - भाग 1
(काल्पनिक कहानी, सर्वाधिकार सुरक्षित)---------------------- ----------------------------- ------------------- बुआ, क्या बनाऊं... बीस साल की मधुरिमा ने बेहद उदास स्वर में ऐसे पूंछ रही हौ बिटिया जैसे घर भरा पड़ा है सामान से भगवतगीता बन्द करते हुए पचपन वर्ष की सुशीला बोलीं, फिर बड़ी मुश्किल से कमर पर हाथ रखते हुए बुदबुदाई हाय जे कमर का दर्द तो जान लेकर रहेगा...हे ईश्वर, मैं तो खुशी से चली आती तेरे पास.. लेकिन बिटिया.. कहॉं जाएगी फिर कितनी बार कहा है आपसे ऐसी, बातें मत करा करो ...अभी चौदह दिन ही हुए है बाऊ जी को गए, और आप कहते हुए रमा की आँखे नम हो गयीं अच्छा..अच्छा रो ...Read More
रिश्ते का बांध - भाग 2
"तू रुक, मैं देखती हूँ" बुआ ने हाथ के इशारे से रमा को रोक दिया और खुद दरवाजे की लपकीं, रमा ने अपने कान और पूरा ध्यान दरवाजे की ओर लगा दिया। "भूरे..."सुशीला के मुँह से अचरज से निकला.. भूरे मातादीन का आवारा और अनपढ़ लड़का है जो खुद को कस्बे के सूबेदार समझता है और मातादीन के लिए काम कर रहे मजदूरों पर हुकूमत करता है...यूं तो इकहरे बदन का है..लेकिन सफेद दागों की समस्या के चलते शरीर अस्सी प्रतिशत तक सफेद हो गया है ...इसलिए लोग उसे भूरे कहने लगे हैं..उसके मुंह में हमेशा पान मसाला रहता ...Read More
रिश्ते का बांध - भाग 3
"बेटा, बस्स कहीं ठहराने के इंतजाम कर दो बड़ा एहसान होगा" सुशीला ये बोलते हुए दीवार की तरह रमा आगे जाकर खड़ी हो गयी"हाँ क्यों नहीं...लेकिन कहीं और क्यों? आप लोग इसी घर में रह जाइये" माधव मुस्कुराते हुए बोला"यहाँ .? अगर भाई साहब होते तो और बात थी...लेकिन""जी, मेरे पिताजी ने ही कहा था कि वो आपकी मदद करेंगे, और हर बेटे का कर्तव्य है कि वो अपने पिता के बचे हुए कार्य पूरे करे..किसी तरह की चिंता मत कीजिये ..यहाँ आप लोगों को कोई दिक्कत नहीं होगी" माधव अपने हाथ घर की ओर फैलाते हुए बोला"उन्होंने मुझे ...Read More
रिश्ते का बांध - भाग 4
आवाज से चौंक कर माधव ने पीछे घूम कर देखा तो वंशी मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था।"क्या चल है ...कुछ तो नहीं" माधव नजर चुराते हुए बोला"अच्छा...सच में कुछ नहीं"...वंशी फिर हँस कर बोला"तो और क्या...क्या चलेगा भला" तनिक झुंझला कर बोला माधव"कल से देख रहा हूँ, ना कुछ खाते हो ना ही पीते हो...बस्स बेचैन दिखते हो ...जैसे अभी दिख रहे हो""अभी तो इसलिए कि रमा नहीं आई अभी तक..." माधव आवेग में बोल गया...फिर जब एहसास हुआ नहीं बोलना था तो एकदम चुप हो गया,"ओह्ह तो ये बात है" वंशी हँसते हुए बोला"...इसमें इतने हँसने जैसा ...Read More
रिश्ते का बांध - भाग 5
"तेरी इतनी हिम्मत...जानता है तू कौन हूँ मैं " थप्पड़ पड़ने से जमीन पर गिरा, भूरे चीखा"तू जो कोई हो...रमा का हाथ पकड़ने की हिम्मत कैसे हुई तेरी" माधव ने भी तेज आवाज में कहा, इतने में भूरे के साथ आये दोनों आदमी माधव की ओर लपके, तो भूरे ने उन्हें हाथ के इशारे से रोक दिया...और अपने कपड़े झाड़ते हुए उठ गया।"मेरी छोड़...पहले तू बता ...तू कौन है इसका?" भूरे ने उँगली को माधव की ओर करते हुए पूँछा, तो माधव ने रमा की ओर देखा जो अपनी साड़ी का पल्लू पकड़कर सिर झुकाए रोये जा रही थी...और ...Read More