तेरी छुअन का असर मुझ में आज भी बाकी है,
ये दिल धड़कता है, पर तेरे लिए ही साकी है।
वो एक लम्हा जो सदियों पे भारी था, बीत गया,
मगर ख़ुमार-ए-नज़र मुझ पे अब भी तारी है।
तेरी निगाह का जादू, तेरी ही बाँहों का घेरा,
ज़िन्दगी तेरे बिना एक क़ैद ख़ुद-इख़्तियारी है।
वो कदम जो कभी मेरे शाने पे आके रुकती थी,
वो याद आज भी मेरे दर्द की चिंगारी है।
जहाँ से तूने छुआ था, वो हिस्सा आज भी मेरा,
किसी भी ग़ैर की दस्तक वहाँ पे क्यों जारी है?
असर ये है कि अब हर शय से तेरा अक्स मिले,
हर एक मंज़र में तेरी ही एक तस्वीर प्यारी है।