मनचला सावन
मनचला सावन बरखा बहार
बरसती बुंदे प्रेम रस की फुहार
झूमे मन संग मर के पंख पसार
इतराती हवा में बजती धुन सवार
घनघोर घटा छाये पूछे किसका इंतजार
बावरा मन चाहे बादलों की बहार
चेहरे पर गिरती बूंदे करे बेकरार
नाचे दिल सांसे लेती अंगड़ाई उतार
मनचला सावन बरसा लेकर अपनी रफ्तार
तपती धूप से घेरे नैना खो गया सावन सा प्यार
ममता गिरीश त्रिवेदी