बिछड़े हुए लोग कहाँ लौटते हैं?
तारों की रौशनी
कब दोबारा ज़मीं पे उतरती है,
फूल खिले हों जो कभी,
वो दोबारा नहीं महकते हैं।
साँसें तो चलती हैं,
मगर कोई आवाज़ नहीं देती,
जो एक बार दिल से उतर जाए,
वो यादों में ही बसती है।
"बिछड़े हुए"
मिलते हैं,
बस ख़ामोशी की गहराइयों में..!!
–निर्भय शुक्ला....