विचारों में बदलाव
और बदलाव के सोच के खिलाफ
समझने को तैयार नहीं
परफेक्ट कपल की बातें नहीं
जमाने की बातें हैं
परफेक्ट कपल की बातें हैं?
दिखने को परफेक्ट कपल है!
दो चार साल की बातें हैं?
अपने दम पर चलने की बातें हैं
दूसरे की बातें सुनने को तैयार नहीं है
हाय डार्लिंग तेरे लिए ही जीते हैं
दूसरों के सामने ऐसी ही जीते हैं!
बनावटीपन अब जिंदगी में आ गया है
कई मनमुटाव बढ़ते जा रहे हैं
रिश्तों के नाम पर चीटिंग अब करते हैं
कहने को तैयार हैं,तेरे लिए हम जिंदगी जीते हैं
हमारे जमाने की बातें पुरानी हो गई है
परफेक्ट कपल अब किताबों में मिलते हैं
आज की बातें नहीं,पापा और दादा के जमाने की बातें हैं
हमें सोचना है,हम परफेक्ट कपल क्यूं नहीं बनते हैं?
- कौशिक दवे