अरावली—
भारत की प्राचीन प्रहरी,
दो अरब वर्ष पुरानी
धरा की अटल रीढ़।
वो केवल पहाड़ नहीं,
थार का तटबंध है,
इस मिट्टी की संरक्षक,
राजस्थान की साँस है।
आदिवासियों की जन्मभूमि,
आमजन की पहचान,
लूणी, साबरमती, बनास की जननी।
पर अब खनन की चोटों ने
कर दी इन पहाड़ियों की छाती छलनी ।
ये कभी राजस्थान की ढाल थी,
रेगिस्तान से लड़ने की दीवार थी।
किसी ने इसे वीरों की भूमि कहा,
पर अब इस पर अरावली की छाँव कहाँ?
अगर यह कटेगी—
तो होगा धूल का साम्राज्य,
नंगे घाव, प्यास ,भूख
और सन्नाटे का विस्तार।
फिर आरम्भ होगा प्रकृति का प्रतिशोध,
विप्लव, विनाश और विध्वंस के साथ।
और याद रखना—
अरावली बचेगी, तो थार रुकेगा;
अरावली गिरेगी,
तो रेत —
हमारे भविष्य पर राज करेगी।
ArUu ✍️