🌙 कविता : सपनों की उड़ान
सपने वो रंगीन परिंदे हैं,
जो पंख नहीं, हौसलों से उड़ते हैं।
अंधेरों में भी रौशनी ढूँढते,
गिरकर फिर से संभलते हैं।
कोई सपनों को छोटा कहे,
कोई कहे ये बेकार हैं।
पर सपनों के बिना ज़िंदगी,
सूखी शाखों के समान है।
सपनों से ही मिलता साहस,
सपनों से ही मिलती राह।
ये ही हमें आगे बढ़ाते,
ये ही बनते हैं हमारी चाह।
सपनों को मत छोड़ो अधूरा,
इन्हें मेहनत से सच बनाओ।
क्योंकि जो सपनों को जी लेता है,
वही जीवन का असली सुख पाता है।