✨ एपिसोड 1: गुमशुदा परछाइयाँ
(शब्द: ~950)
रात के साढ़े बारह बजे का समय था। मुंबई की गलियों में गाड़ियों का शोर अब धीरे-धीरे थम चुका था। लेकिन वेदिका के दिल की बेचैनी किसी सायरन से कम नहीं थी।
फोन की स्क्रीन बार-बार देखना अब उसकी आदत बन गई थी। उसका छोटा भाई आरव, जो हर रात ठीक 10 बजे "मैं घर पहुँच गया दीदी" कहकर मैसेज करता था — आज उसका कोई अता-पता नहीं था।
"शायद दोस्तों के साथ रुक गया होगा," मन ने कहा।
"नहीं, आरव ऐसा कभी नहीं करता," दिल ने जवाब दिया।
वेदिका उठी, अलमारी से एक पुरानी फाइल निकाली और टीवी को म्यूट करके अपने भाई की तस्वीरों को देखने लगी। उसके मन में वही पुरानी बातें चलने लगीं — आरव पिछले कुछ दिनों से परेशान था। किसी से छुपकर बात करता था। कई बार देर रात कॉल पर किसी से बहस करता।
तभी दरवाज़े की घंटी बजी।
वेदिका भागकर पहुँची। दरवाज़े पर दो पुलिसवाले खड़े थे। एक जवान सब-इंस्पेक्टर और दूसरा एक अधेड़ कांस्टेबल।
"क्या आप मिस वेदिका हैं?"
"हाँ, क्यों? क्या हुआ?"
सब-इंस्पेक्टर ने एक गहरी साँस ली और कहा,
"हमें खेद है... एक लड़के की लाश मिली है लोकल ट्रेन के पास। पॉकेट में एक आईडी कार्ड था... आरव मेहरा..."
वेदिका की दुनिया वहीं थम गई।
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📍तीन दिन बाद
शमशान की राख अब भी आँखों में चुभ रही थी। पुलिस ने केस को "आत्महत्या" करार दिया था। लेकिन वेदिका को यकीन था — उसका भाई कभी हार नहीं मानता।
वो एक तेज़ जर्नलिस्ट थी। सच्चाई को उजागर करना उसका पेशा था। और अब यही उसका मकसद था — सच का सामना।
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🔎 पहला सुराग
आरव के कमरे में कुछ भी संदिग्ध नहीं था... सिवाय एक चीज़ के — एक पुरानी डायरी, जिसका आखिरी पन्ना फाड़ा हुआ था।
वेदिका ने उसकी बाकी एंट्रीज़ पढ़नी शुरू कीं। एक लाइन बार-बार दिख रही थी:
> "अगर ये बात बाहर गई तो सब खत्म हो जाएगा..."
वेदिका को यकीन था – आरव कुछ बड़ा जानता था। कोई ऐसा राज जो उसने खुद तक सीमित रखा।
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🚨 नई मुलाकात
वेदिका पुलिस स्टेशन गई, लेकिन वहाँ कोई उसकी बात को गंभीरता से नहीं ले रहा था। तभी एक अफसर ने इशारा किया – "वो एक आदमी है... विक्रम राणा। खुद भी सस्पेंड है, लेकिन इनसाइड जानता है।"
वेदिका ने विक्रम से मिलना तय किया।
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🧩 एपिसोड एंड – Suspense Hook:
विक्रम राणा एक छोटी सी शराब की दुकान के पीछे बैठा था, जैसे किसी ने ज़िंदगी से उसका सब कुछ छीन लिया हो। लेकिन जैसे ही वेदिका ने कहा – "मेरा भाई मारा गया है, और पुलिस झूठ बोल रही है..."
विक्रम ने सिर उठाया, और कहा:
"तो तुम भी उस राज के करीब आ गई हो... बहुत लोगों की जान जा चुकी है। अब तुम्हारी बारी है।"
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