तू ऐसे न जाता...
यूँ तो हम कभी रोते नहीं,
तेरे प्यार ने वो भी सिखा दिया।
अरे तू हँसाकर नहीं, रुलाकर ही साथ देता,
बस! तू जैसे आया था, वैसे न जाता।
हमारा हर एक पल तुझे ढूँढ रहा है,
मेरा दिल तो बस तेरे ज़ख़्म सह रहा है।
तू कह देता "हम तो बस दोस्त हैं" — वो भी काफ़ी था,
बस! तू जैसे आया था, वैसे न जाता।
तुझे मोहब्बत से इंकार था,
तो हमें तेरी दोस्ती भी मंज़ूर थी।
बस! तू जैसे आया था, वैसे न जाता।
तुझे दूर ही जाना था तो तू क़रीब आया ही क्यों?
अब पूरी ज़िंदगी क्या तेरे ग़म ही सहूँ?
फिर... दिल बोला...
अच्छा हुआ — तू जैसे आया था, वैसे ही चला गया।
~ मयुरी जराहे