दोस्ती बेवजह थी तभी तो खास थी
कृष्ण से सुदामा की, सुदामा से कृष्ण की।।
दोस्ती वजह से थी पर फिर भी निभाई गई
दुर्योधन की कर्ण से, कर्ण की दुर्योधन से।।
दोस्ती ना वजह देखती है ना बेवजह होती है
दोस्ती दिल से होती है, दिल से ही निभाई जाती है।।
- Kanchan Singla