कहते हैं ढूंढो तो रब भी मिल जाता है,
पर सच्चा दिल कहाँ हर शख़्स में आता है।
हुस्न के मेले लगे हैं हर गली शहर में,
पर रूह से जुड़ने वाला कौन निभाता है?
वक़्त के साथ बदल जाते हैं लोग यहाँ,
जो वादा करते हैं, वो ही तोड़ जाते हैं।
हर कोई चाहता है बस चाँद-सितारे,
दिल की सादगी कोई कहाँ समझ पाता है?
हम भी निकले थे मोहब्बत की तलाश में,
पर हर मोड़ पे बस धोखा ही साथ आता है।
हार्दिक 💔