हमारे सितारे मुफ़लिसी में हैं तो क्या हुआ,
दिल में उम्मीदों की रोशनी तो अभी जला रही है।
जो राहें अंधेरों में खो गईं थीं कहीं,
मगर ज़रा देख, सुबह भी आ रही है।
चमकते नहीं तो क्या, धुंधले सही,
आसमान में अपनी जगह बना रही है।
ग़म के बादल गर बरसते हैं हर घड़ी,
तो इन बूँदों में भी ज़िंदगी मुस्कुरा रही है।
मुश्किलों के साए लंबे सही, गहरे सही,
उन्हीं में उम्मीद फिर से दिशा बता रही है।