सहारे इंसान को अपाहिज़ बना देते है।
मेरे पिता श्री की ये पंक्तियां जीवन में बहुत बार ये अहसास करवाती है कि वाकई
इंसान अकेले जब लड़ना सीख जाए तो उसे किसी की जरूरत न रहे ...जीवन सरल हो जाए
पापा ने एक बात कही थी कि एक बेल जो किसी रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ती है उस रस्सी को काटते ही वो धड़ाम से नीचे आ गिरती है
क्योंकि वो किसी ओर के कंधे पर चढ़ ऊंचाई पर खड़ी थी और जब वो कंधा न रहा तो वो नीचे आ गिरी।
हम इंसान भी कुछ ऐसे ही है...जिंदगी में सहारे चाहते है... और वो सहारे जब छीन जाते है तो धड़ाम से जमीन पर आ गिरते है।
इसलिए बहुत से महानुभाव कह गए कि जो अकेला लड़ना सिख गया उसे दुनियां की कोई ताकत नहीं हरा सकती हां सफर थोड़ा मुश्किल होता है पर रोमांचक और खुद से मिलने का होता है।
ArUu ✍️