Hindi Quote in Book-Review by Kishore Sharma Saraswat

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उपन्यास : जीवन एक संघर्ष
उपन्यासकार : किशोर शर्मा 'सारस्वत'
कुल भाग : 42, कुल पृष्ठ : 940
आज समीक्षा : भाग 37 की

कथानक : शादी राधोपुर गाँव के एक व्यक्ति रमन की हो रही थी लेकिन पूरे गाँव का कायाकल्प हो गया था क्योंकि गाँव में उनकी चहेती जिलाधीश, बहू बनकर आ रही थी।
गाँव में सब लोग इस शादी से आह्लादित थे। बारातियों के लिए चंडीगढ़ का एक नामी होटल बुक करा लिया गया। कुछ पलों के लिए राज्य के मुख्यमंत्री भी वर-वधू को आशीर्वाद देने पहुँचे।
बाराती इस खूबसूरत शहर में घूमे-फिरे, बढ़िया नाश्ता-खाना खाकर तृप्त हुए। फिर सायं दुल्हन की विदाई की बेला आ गई।
इधर दुल्हन की मामी अपने ओछे वक्तव्यों से बाज नहीं आ रही थी।
रात 10 बजे बारात राधोपुर पहुँची तो दुल्हन की सास ने दुल्हन की अगवानी की। सबने रात का खाना खाया। गाँव की महिलाएँ लोकगीतों को गाने में मस्त थीं। फिर स्टेज पर कार्यक्रम हुआ। थकान के बावजूद सबमें जोश था। दूल्हा-दुल्हन थक चुके थे लेकिन नाच-गानों में ही सुबह के तीन बज गए। कविता, जिसके आदेशों का डंका पूरे जनपद में चलता था, आज बेबस होकर कार्यक्रम समाप्ति के लिए बेचैन हो रही थी।

उपन्यासकार ने विवाह की तैयारियों से लेकर चंडीगढ में विवाहोत्सव, विदाई व राधोपुर में बारात वापसी व उत्सव समाप्ति तक का वर्णन बहुत ही सुंदर ढंग से किया है।
प्रस्तुत हैं, बेटी की विदाई के कुछ मार्मिक क्षण:
- माँ की आँखों में आँसू थे, जिन्हें वह रोकने की कोशिश कर रही थी। आखिर कब तक रोक पाती। मुँह मोड़कर अपने दिल में रुका हुआ गुबार निकालने लगी। इससे पहले कि सुचित्रा, भाभी को ढाढ़स बँधाती वह स्वयं ही बच्चों की तरह अपना धैर्य खो बैठी। भाई के कंधे पर सिर रखकर रोने लगी। महेश्वर प्रसाद जी मुँह से कुछ न बोल पाए। भारी मन से बहन के सिर पर हाथ रखकर उसे चुप कराने की कोशिश करने लगे। (पृष्ठ 679)
- पीहर का घर दुनिया में सबसे अनमोल चीज होती है। उससे बिछोह शायद सबसे अधिक मार्मिक होता है। डबडबाती सुर्ख आँखों को भींचकर वह पहले माँ की छाती पर अपना सिर टिकाकर उस जननी के मातृत्व के स्नेह में सराबोर हो गई, जिसकी कोख से जन्म लेकर वह आज उस मुकाम तक पहुँची थी। माँ ने उसका सिर अपने चेहरे के सामने लाकर उसके माथे को चूमा और फिर अपने आलिंगन में लेकर अपनी दुलारी को अपने धड़कते दिल से लगा लिया। (पृष्ठ 679)
लेखक ने सभी वैवाहिक घटनाओं का जीवन्त वर्णन किया है जिसमें उत्कृष्ठ भाषा शैली, जानदार संवाद व परिवेश का चित्रण, सब-कुछ मानो सामने घटित हो रहा हो।

समीक्षक : डाॅ. अखिलेश पालरिया, अजमेर
17.01.2025

Hindi Book-Review by Kishore Sharma Saraswat : 111966026
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