मेला
रंग-बिरंगा मेला देखा।
ट्रैक्टर देखा, ठेला देखा।।
गुल्लक थी वो प्यारी-प्यारी।
ऊँट की हमने की सवारी।।
पानी में फिर नाव चलाई।
चाट पकौड़ी जी भर खाई।।
बच्चे सभी झूमते देखे।
जोकर वहाँ घूमते देखे।।
झूले में सभी हुए सवार।
एक सीट पर बच्चे चार।।
जादूगर ने खेल दिखाया।
मेला हमको बेहद भाया।।
वापस मेले से जब आए।
अपने संग खिलौने लाए।।
- हरीश सेठी 'झिलमिल'