एक व्यंग्यात्मक कविता है:
उस रिसॉर्ट में कई कमरे है,attached स्विमिंग पूल है पर मग बाल्टी नहीं है,
कमरे में एसी है पर कुर्सी नहीं है, किराया बीस हजार पर खाने को गोभी है।
सोचो, क्या अजीब हाल है, ये कैसी जगह है,
जहाँ आराम के नाम पर बस दिखावा है।
स्विमिंग पूल में डुबकी लगाओ, पर नहाने को मग नहीं,
एसी की ठंडक में बैठो, पर कुर्सी की जगह नहीं।
बीस हजार का किराया, पर सुविधा का नाम नहीं,
खाने में गोभी, जैसे स्वाद का कोई काम नहीं।
क्या यही है लक्ज़री, क्या यही है आराम,
या फिर ये है बस एक दिखावा, एक बड़ा धोखा नाम।
रिसॉर्ट के मालिक से पूछो, ये कैसी व्यवस्था है,
क्या यही है उनका मानक, क्या यही उनकी व्यवस्था है?
(Resort का नाम नहीं बताऊँगा पर य़ह एक reality है)
आशा है आपको यह कविता पसंद आई होगी! 😊