Hindi Quote in Poem by Jatin Tyagi

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मैं स्वयंसेवक मुझे न चाह है जयगान की ।
मैं स्वयंसेवक मुझे परवाह न यशगान की ।
मैं पूजा का पुष्प हू आराध्य माता भारती ।
मैं स्वयंसेवक मुझे न चाह है जयगान की ॥

परम मंगलवत्सला माँ, गोद मे जिसकी पला मैं-2
जिस धरा के अन्न-जल, से नित्यप्रतिपल हूं बढ़ा मैं ।
प्राणदीप से मैं उतारू-2 उस धरा की आरती ...। ।
मैं स्वयंसेवक मुझे ...॥

धर्मपथ पे मैं चला हूं , अटल यह विश्वास मेरा -2
सुजन रक्षण असुर मर्दन श्रेष्ठ जीवन कार्य मेरा ।
धर्म हित महायुद्ध को हे-2 माँ मुझे ललकारती । ।
मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥

अग्निपथ पर मैं चला हूं, छोड़ सुखमय मार्ग जग का-2
कण्टको से पूर्ण पथ पर नित्य हे स्वीकार चलना
श्रेष्ठतम बलिदान की-2 हे मातृभू अधिकारी ।
मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥

ना रहे कुछ भिन्नता अब बन सकूं मैं अंश तेरा-2
बिंदुबनकर संघसरिता कर सकूं अभिषेक तेरा ।
तव चरण पर वन्दना-2 स्वीकार हे माँ भारती । ।

मैं स्वयंसेवक मुझे न चाह है जयगान की ।
मैं स्वयंसेवक मुझे परवाह ना यशगान की ।
मैं पूजा का पुष्प हूं, आराध्य माता भारती ।
मैं स्वयंसेवक मुझे ....॥

Hindi Poem by Jatin Tyagi : 111951565
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