श्री किशोर शर्मा 'सारस्वत' प्रणीत उपन्यास
बड़ी माँ : एक समीक्षा
बड़ी माँ उनके रचनाधर्मी मानस का प्रतीक है। यह उपन्यास आदि से अन्त तक पाठक की जिज्ञासा और उत्सुकता को बाँधे रखने की क्षमता से पूर्ण है। इसमें सहजता, सरलता और स्वाभाविकता है। इस उपन्यास में मानवीय सवेदनाओं का मर्मस्पर्शी चित्रण हुआ है। माँ और बड़ी माँ में निहित महिमा-गरिमा का अनुभव पाठक को सहज ही हो जाता है। पुत्र के वियोग में विक्षिप्त और व्याकुल माता-पिता की मनोदशा और मनोव्यथा का दृष्य-वर्णन देखते ही बनता है। इस भावपूर्ण रचना के लिए इसके रचनाकार श्री किशोर शर्मा 'सारस्वत को उनके इस उत्तम प्रयास की मैं हृदय से सराहना करता हूँ। इसके लिए उन्हें मैं अपनी हार्दिक शुभकामना अभिव्यक्त करता हूँ। आशा करता हूँ कि वे भविष्य में इसी तरह अपनी रचनाधर्मिता को ग्रन्थबद्ध करते रहें।
डॉ० शशिकान्त राय
चण्डीगढ़।