मैं और मेरे अह्सास

सजा मिली है तो गुनाह किया होगा l
किसीकी बद्दुआ ओ को लिया होगा ll

हसीन मनचाही जिंन्दगी को तरस कर l
इच्छाओ का करके कत्ल जिया होगा ll

मतलब या बिना मतलब के कभी कहीं l
जाने अनजाने में ही दुःख दिया होगा ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111928398

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