स्वस्ति सुखद सुन्दर सरस
सुषमायुत नव वर्ष।
समता सिंहासन चढ़े
हो अभिनव उत्कर्ष।।
प्रगति पंथ के शूल सब
बने मनोरम फूल।
अनुरागी आशा उगे
वर्ष रहे अनुकूल।।
बढ़ो कर्म पथ पर अभय
लिये नवल उत्साह।
अभ्यंतर में हो बसी
विश्व विजयनी चाह।।
नव संवत २०८१ विक्रमी मंगलमय हो।
चैत्र शुक्ल १सम्वत २०८१ विक्रमी