वोट से नेता नहीं देश बनता है (नुक्कड़-नाटक)
भारत का एक सुदूर गाँव| खेत के किनारे चार ग्रामीण भरी दुपहरी में एक विशाल नीम के वृक्ष की छाया में बैठे आपस में बात कर रहे| तभी गाँव के विद्यालय के मास्टर अपनी साइकिल से वहां पहुँचते हैं और साइकिल किनारे लगाकर अपने गमछे से मुंह पोछते हुए उनके पास बैठ जाते हैं|
वाचक बोलता है
“भरी दुपहरी खेत किनारे चार जने नीम तले सुस्तावत हैं, मुंह पोछ्त गमछा से मास्टरजी उनके नेरे बैठत है|”
मास्टरजी पूछिन – “का हो बंधो, अबकी बिरिया कहिका जोर लागति है|” (मास्टर बोलते हैं)
रज्जू कहिन –
“अरे मास्टर कोनौ जीते हम सब तो बस बतवईबे, जो जितिहे आपन जितिहे हमका का दई जईहें,
उई हमका का दई जईहें” (रज्जू बोलते हैं)
मुन्ना कहिन-
“मानौ हमरे चाचा बने सांसद तौ हवाईजहाज पर उड़ीहैं, अत्ता ऊपर उड़ने वाले हमका का पहिचनीहैं,
गाँव देहात सब छोड़छाड़ कर दिल्ली मां रहि जईहें, उई हमका का दई जईहें,
उई हमका का दई जईहें” (मुन्ना बोलते हैं)
बल्लू कहिन-
“मामा हमरे बने सांसद पैसा खूब कमाईहें, बड़े अमीरों बहुबलियों के पिछलग्गू बन जईहें,
सब मिलकर बस हम जईसन का सोषण करते जईहें, उई हमका का दई जईहें,
उई हमका का दई जईहें” (बल्लू बोलते हैं)
कक्कू कहिन-
“बहुतेरे देखे नेता यूँ आने जाने वाले, वोटों के मौसम में बनते हम सबके रखवाले,
वोट लूटकर भाग जात सब केवल धोखा दईहें, आपन रोटी खुदऐ कमावेक उई हमका न दई जईहें,
उई हमका का दई जईहें” (कक्कू बोलते हैं)
सबका सुनिके मास्टर बोले-
“बात सही सब आप कहत हो, पर बखत बदलने वाला है,
सदियों के अधियारों को परकास निगलने वाला है,
हम भी बदलें तुम भी बदलो देश तभी तो बदलेगा,
भारत माता का परचम सारी दुनिया में फेहरेगा,
क्यों डालत हो वोट तुम जात-धरम के नाम पर,
चकाचौंध फ़िल्मी दुनिया या खेलकूद को मानकर,
खुद देखो सोंचो और समझो कौन तुम्हारे काम का,
रक्खे ध्यान सदा तुम्हारी रोटी और सम्मान का,
रोज़गार पढना लिखना जो बच्चों का करवाएगा,
वही हमारा नेता है आशीष देश का पायेगा,
कसम हमें है भारत मां की मत सबसे डलवायेंगे,
नेता क्या हम वोट से अपने देश का भाग्य बनायेंगे” (मास्टर बोलते हैं)
सारे एक साथ बोलते हैं
“कसम हमें है भारत मां की मत सबसे डलवायेंगे
नेता क्या हम वोट से अपने देश का भाग्य बनायेंगे”
“वोट से नेता नहीं देश बनता है”
“वोट से नेता नहीं देश बनता है”
स्वरचित- अर्जित मिश्र
सीतापुर, उत्तर प्रदेश
मो. 9473808236
उपरोक्त नुक्कड़ नाटक का शहरों, कस्बो, गाँवों में मंचन कर मतदान के प्रति जागरूक करने का निश्चय है| आप सबके आशीर्वाद से ये छोटा सा प्रयास सफल होगा|