राम मंदिर ५०० वर्ष
अवध में बंटी आज बधाई ।
चौदह वर्ष नहीं ५०० वर्षों का वनवास खत्म कर आए हैं रघुराई।
किसी समय आया वो बाबर आत्यातायी ।
हमारी संस्कृति नष्ट करने हेतु उसने मंदिर तुड़वा बाबरी मस्जिद थी बनवाई।
उसने सोचा हम हिन्दू भूल जाएंगे गाथा ए रघुराई।
अयोध्या का नाम बदल उसने नगरी फैज़ाबाद बसाई ।
फिर पीढ़ियां बीत गई पर राम लला की वापसी न होने पाई ।
हुआ देश आजाद परंतु राम लला की किसी को सुध न आई ।
ऐसे ही बीते कुछ साल और फिर अटल जी के संग युवाओं ने कर दी बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई।
परंतु कुछ सियासी दलों को राम भक्ति रास न आई।
उन्होंने राम भक्तों पर गोलियां भी बरसाई।
अब मंदिर है या मस्जिद ये होती रही सुनवाई।
और न जाने राम लला ने कितने ही वर्षों टेंट में बिताई।
फिर दिया कोर्ट ने फैसला कि वहां मंदिर था और हो उसकी बनवाई।
सुन कर सब की अखियां अति हर्षाई।
अब आई वो शुभ घड़ी जब मोदी जी ने राम मंदिर की नींव रखवाई ।
आज हर घर मन रही दिवाली ‘शान' से लौट कर आए हैं हमारे रघुराई।
सृष्टि तिवाड़ी शान