जवानी तुम संसार को देते हो,
और बुढ़ापा पत्मात्मा को।
तुम्हारे देने से पता चलता है कि मूल्य किसका कितना है ?
जवानी तुम व्यर्थ को देते हो, और बुढापा सबसे मूल्यवान को।
जब शक्ति होती है, तब तुम गलत करते हो। और जब शक्ति नहीं होती तो तब तुम कहते हो कि अब अच्छा करेंगे।
स्वयं विचार करें।
-नीतू रिछारिया