बात हर एक करनी जरूरी है।
समाधान और समज निकाल ना जरूरी है,
पर बात करना पहले ज़रूरी है।

इतना तो समझ और सिख चुका बिट्टू है,
वश में नहीं उसे सिर्फ देखना ही पड़ता है।

इतना तो और भी समझ चुका बिट्टू,
प्रयास केवल उचित समय पर ही फल दायी होता है।

तब तक मौन और धैर्य धरे हुए शांत रहते हुए,
अवसर की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

सारी परिस्थितियां हमेशा सानुकूल नहीं होती,
ऐसे में स्वयं को शांत बनाए रखना ही उचित है।

कभी यह समय कुछ अधिक लंबा रहता है,
ऐसे में अक्सर स्वयं को संभालने में सहायता जरूरी हो जाती है।

कभी यह भी होता है, समय निकल जाने पर,
उस समस्या की महत्ता भी नहीं बचती।
स्वत: सब सही हो जाता है।

ममा ! आपका बिट्टू इतना समझ चुका है।

आप बिट्टू की ममा है, बेहतर समझती है,
पता है...
कुछ परिस्थितियां ऐसी होंगी जरूर कहीं...
बिट्टू चाह के आपकी मदद नहीं कर सकता।

आपको लगे जो सही, बिट्टू है आपका,
मदद की कोशिश जरूर करेगा।

नारायण भी यूं ही अवतार नहीं लेते,
हजार काम करने को एक बार आते है।

समस्याएं सुलझने से पहले अक्सर
उलझती सबसे ज्यादा है।

पर पहले बात सारी होना जरूरी है।

ममा ! बिट्टू इतना समझ चुका है।
बस खुद को विकट स्थिति में भी,
शांत बनाए रखना होता है।

ममा ! आप तो इतनी अच्छी ममा हो!
आपकी ममा कितनी अच्छी होंगी...

बिट्टू तो आपके पास आ सकता नहीं,
आप ममा के पास वक्त क्यों नहीं बिताती?

वो सब ठीक कर देती है।


#बिट्टू_की_ममा #मेरी_ममा #सखी_मां

Hindi Poem by बिट्टू श्री दार्शनिक : 111872662

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