पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं;
उड़ जाएंगे एक दिन तस्वीर से रंगों की तरह हम वक्त की टहनी पर.... बैठे हैं परिंदों की तरह खटखटाते रहिए दरवाजा..
एक दूसरे के मन का;
मुलाकातें ना सही, आहटें आती रहनी चाहिए...
ना राज़ है..."ज़िन्दगी” ना नाराज़ है..." ज़िन्दगी"
बस जो है वो आज है...
" ज़िन्दगी"

-Ri.... :-!

Hindi Poem by Riddhi Trivedi : 111866607

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