जय जय चित्रगुप्त भगवान
चित्रगुप्त जी है नमन,करिये मम कल्याण।
सकल अर्थ विद्या मिले,रक्षित रखिए प्राण।।
चित्रगुप्त सत देव हैं, करते जग का न्याय।
सत्य कर्म जो भी करे,सदगति निश्चित पाय।।
अच्छे करता कर्म जो,पाता श्री से मान।
मिलता उसको स्वर्ग है, पावन यही विधान।।
कायस्थों के देव हैं, चित्र गुप्त महराज।
करते जग का न्याय वह,पहनें पावन ताज।।
पूजन करिये भाव से,लेकर समुचित साज।
हर्षित होंगे चित्र जी,सुफलित होंगे काज।।
चित्रगुप्त के नाम से,डरते दर्पी लोग।
छोड़ें कुटलित कर्म को,चखते सात्विक भोग।।
चित्रगुप्त जी हो कृपा,पाऊँ सात्विक भोग।
प्रेम भाव उर में बसे,मिटे अहम का रोग।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
कानपुर नगर