लिखता हूं,
हर रोज लिखता हूं,
बहुत लिखता हूं,
इन कागजों पर अपनी खामोशियों को
हर रोज कुरेदता हूं,
पर क्या फर्क पड़ता है किसी को? जैसे मैं टूटा हूं वैसे जग टूटा है, मेरी किस्मत रूठी है जैसे तू रूठा है।।
आह से चीख निकलती है हर रोज, आंसूओं का सैलाब उमड़ा है और दिल एक बात कहता है, I MISS YOU ❤️❤️