के जब ज़िंदगी मे हम और तुम मिलजाएँगे
सूखे पत्ते भी पेड़ों में खिल जाएँगे
सुबह की हवा इस कदर चलेगी
तुम्हारी खूबसूरत अदाओं से वो भी थोड़ा तो जलेगी
और उस रात मे चाँद कि ऐसी शान होगी
जैसे दो दिल होंगे और एक जान होगी
बस यही ख़्वाब देखे में अपनी सुबह शाम और रात जीता हूँ
गूट ग़मी तो ग़मी का सही मगर प्यार से पिता हूँ