मेरे अलावा कितनो से बाते कर ली होगी,
जिंदगी में आधार ढूंढने में कुछ तो मजबूरी होगी,
ये आलम सारा मेरे जज्बात से खेल रहा है यार,
खुदकी खुशबू पहेचान ने में किस किसको मान सम्मान दुगी,
ये अल्लाह गवाह भी होगा कभी मेरी नियति में लिखा गुजरा कल,
कलम भी तो रों रों कर बरस कर जिंदगी की अहमियत कागज में उतार रही होगी,
मेने हर एक एक कतरे मेरे हिस्से को हर एक में बाट कर जिंदगी जी ली होगी,
खुदा शब्र रखना को कहेता रहा मेरे आंखो मे दिल में एक शहर में रहते छिपे मोती की खोज भी तो की होगी
Dear Zindagi❣️