कभी अपने कभी पराये.(2)....
अपनो को खुद का दिल निकालकर दिया,
तो भी वो पत्थर लगता हैं,
गैरो को तो अपना दिया पत्थर भी,
सोने से कम ना लगता हैं!....
अपने तो परदे रखते हैं कभी,
गिला-शिकवा मन में रखते हैं,,
गैर से ना गिले होते न शिकवे,
इसलीये मन ये साफ रखते हैं!......
अपने तो छोटीसी भूल भी,
गलती समझ लेते हैं,
पराये भूल को भी,
भूल समझकर भूल जाते हैं!....
-प्रिया...