देश के रक्षक
आज लॉकडाउन में सबको अपने घर जाना है,
कैसे भी हो बस खुद को उन्हें बचाना है,
कुछ जवान भी आज अपने घर लौटे है...
चुप-चाप तिरंगे में लिपटे हुए,
उनके जिस्म पे बहुत चोटे हैं,
“आँखे बंद है,
चेहरे पे उनके नूर है,
मानो देश की हिफाज़त में जो शहादत
उन्होंने दी उसपे उन्हें ग़ुरूर हैं...,”
एक वायरस के डर से हम सबके मन में एक उदासी हैं,
ना जाने कैसे यह वीर इतने सहासी हैं,
यह भी तो इसी देश के वासी हैं...,
हम एक सुई के चुबने से भी डरते हैं,
“ना जाने कैसे यह हिन्द के सैनिक
हमारी रक्षा करने को हसते-हसते हर गोली अपने सीने में जरते हैं...”
“उस माँ का दिल भी फौलाद हैं...
जिसने देश पर कुर्बान की अपनी औलाद हैं, “
“उस पिता को मेरा नमस्कार हैं...
जिसने अपने वंश का अंश भारत माँ पर किआ निःसार हैं, “
“उस पत्नी को भी मेरा सलाम हैं...
अपना सब कुछ देश पर लुटा कर...
जिसके चेहरे पर गर्व भरी मुस्कान हैं, “
“दूध मुहे उस बच्चे को देख सब आंखें बह चली...
जब अपने पिता को माँ की गोद से दी
उसने श्रद्धांजलि...,”
उसने अभीतक अपने पिता का प्यार ना पाया था,
क्यूंकि यह देश का जवान पिता बन आज पहली बार
जो घर आया था,
क्या होता हैं पिता का दुलार यह जवान अभी कहा समझ पाया था,
“यह लॉकडाउन, यह वायरस, यह वक़्त
सब ठीक होजाएगे...,
पर यह जवान दुबारा ना सरहद
और
ना ही अपने घर लोट पाएगा...,”
हम भी तो इसी देश के वासी हैं,
ज़्यदा ना सही थोड़े तो हम भी सहासी हैं...
हर शहीद की सहादत की कदर करो,
अपने साथ-साथ तुम देश की भी थोड़ी फ़िक्र करो,
सब मिलकर लड़ो,
सब मिलकर खड़ो,
घर पर रहो, घर पर रह कर ही देश
और देश वासिओ की रक्षा करो...
तुम भी देश के रक्षक हो
तुम भी अपना फ़र्ज़ पूरा करो...
तुम भी देश के रक्षक हो,
तुम भी देश की रक्षा करो ...!
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